बिहार में भाजपा-जदयू सरकार द्वारा चल रहा है गरीब उजाड़ो अभियान : धीरेन्द्र झा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 27 मई 2018

बिहार में भाजपा-जदयू सरकार द्वारा चल रहा है गरीब उजाड़ो अभियान : धीरेन्द्र झा

  • पटना के गेट पब्लिक लाइबे्रेरी में वास-आवास और भूमि अधिकार कन्वेंशन का आयोजन.
  • देश भर के जुटे खेत मजदूरों के नेता, आंदोलन को आगे बढ़ाने का किया गया निर्णय.

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पटना 27 मई 2018, भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता व अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्टीय महासचिव काॅ. धीरेन्द्र झा ने आज गेट पब्लिक लाइब्रेरी में आयोजित वास-आवास और भूमि अधिकार राज्यस्तरीय कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में भाजपा - जदयू सरकार के तहत पूरे बिहार में गरीब उजाड़ो अभियान चल रहा है. नीतीश कुमार ने भूमि सुधार के एजेंडे को तो पहले ठंडे बस्ते में डाल दिया है, अब पहले से मौजूद भूमि कानूनों को भी कमजोर किया जा रहा है और बरसों-बरस से दलित-गरीबों के दखल-कब्जा वाली जमीन से भी उनका बेदखल किया जा है. उन्होंने आगे कहा कि राज्य की ग्रामीण आबादी का तकरीबन 30 प्रतिशत दलित और भूमिहीन गरीब परिवार ऐसे हैं, जिनके पास वासभूमि का कोई कागजात नहीं है. वे रैयती, गैरमजरूआ, भूदान अथवा सरकारी जमीन पर बसे हैं. सड़कों और तटबंधों के किनारे लाखों परिवार बरसों-बरस से बसे हैं. 5 डिसमिल वासभूमि देने का कार्यक्रम कमोबेश ठप्प पड़ गए हैं, वहीं बिना वैकल्पिक व्यवस्था के हजारों-हजार परिवार को उजाड़ दिया गया है और लाखों परिवार को नोटिस थमा दिया गया है. इसके खिलाफ आने वाले दिनों में पूरे बिहार में जुझारू आंदोलन चलाया जाएगा. खेग्रामस की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक के पहले दिन यह राज्यस्तरीय कन्वेंशन आयोजित हुई. जिसमें देश भर के जाने-माने खेत मजदूर नेताओं ने हिस्सा लिया. सम्मेलन में पूर्व सांसद व खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद, भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता स्वदेष भट्टाचार्य, खेग्रामस के बिहार राज्य सचिव गोपाल रविदास, विधायक महबूब आलम व सत्यदेव राम, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, पंकज सिंह सहित आंध्रप्रदेश के बंगा राव, कर्नाटक के बसावन प्रसाद, तमिलनाडु के बाला सुंदरम, असम के अरूप मोहंती, धूर्जटी बर्धन, पश्चिम बंगाल के सजल चक्रवर्ती, सजल पाल, काजल रॉय, झारखण्ड के परमेश्वर महतो, देबकी नंदन बेदिया, उस्मान अंसारी, पंजाब के हरबिंदर, यूपी के श्री राम चैधरी, राजेश सहनी, जीरा भारती और अनिल पासवान समेत पूरे देश के सैकड़ों ग्रामीण मजदूरों के नेता उपस्थित थे. कन्वेंशन में साॅलिडरटी व्यक्त करने के लिए एनएपीएम के आशीष रंजन भी पहुंचे. संचालन पंकज सिंह ने किया. इसके पूर्व वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कन्वेंशन में आधार पत्र प्रस्तुत किया. कन्वेंशन को संबोधित करते हुए रामेश्वर प्रसाद ने कहा कि सरकार, प्रशासन और न्यायालय का संश्रय सामंतों-दबंगों के हित में काम कर रहे हैं. अतिक्रमण हटाने के नाम पर भी गरीबों पर कहर ढाया जा रहा है. सीलिंग से फाजिल, बेनामी परचेधारी, गैरमजरूआ, वन भूमि, भूदान, बटाईदारी आदि प्रकृति की जमीन जो जोत-आबाद की है, उससे भी पूरे बिहार में व्यापक पैमाने पर बेदखली की प्रक्रिया जारी है. पुराने सीलिंग से संबंधित कानून में छिद्रों का इस्तेमाल कर नीचे अंचलाधिकारी, भूमि उपसमाहर्ता, जिला समाहर्ता जैसे विभिन्न राजस्व न्यायालयों में राजनीतिक पहुंच के आधर पर पूरी चीजें उलट-पुलट दी जाती इस तरीके से पूरे बिहार में भूमि सुधर के लिए बना पुराना कानून फेल हो चुका है.

कन्वेंशन से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किए गए

1. गरीबों को उनके वास-आवास और जोत-आबाद की जमीन से बेदखली की प्रक्रिया पर नीतीश सरकार अविलंब रोक लगावे. जो गरीब जहां बसे हैं, उस जमीन का परचा सरकार दे.
2. सभी वास भूमिहीन गरीबों को 5 डिसमिल जमीन देेने के लिए भूमि सुधार के बगैर सरकार के पास भूमि हासिल करने का कोई तरीका नहीं है. खरीद से यह संभव नहीं है. अतः वास-आवास की समस्या के समाधान के लिए और सीलिंग से फाजिल बेनामी, गैरमजरूआ जमीन पर गरीबों के अधिकार के लिए भूमि सुधार की प्रक्रिया तेज की जाए.
3. पुराने भूमि सुधार कानून के भरोसे बिहार में भूमि सुधार नहीं हो सकता, यह तय हो चुका है. अतः डी बंद्योपाध्याय भूमि आयोग की सिफारिशों को लागू की जाए.
4. शहरी गरीबों के वास-आवास संबंधी नए कानून बनाकर सभी शहरी गरीबों को उनकी वास भूमि का परचा दिया जाए और विस्थापन आदि सरकारी जरूरी कार्यों के लिए अनिवार्य हो तो उन्हें शहर में ही बसने के लिए जमीन उपलब्ध कराया जाए. तथा पक्का मकान दिया जाए.
5. बेतिया राज की जमींदारी संरक्षण का औपनिवेशिक कानून कोर्ट आॅफ वाडर््स को खत्म किया जाए.
6. वन अधिकार कानून लागू किया जाए.
7. जिन जिलों में भूमि संबंधी वाद ज्यादा हों, वहंा जिला स्तर का लैंड ट्रिब्यूनल का गठन किया जाए. चपारण लैंड ट्रिब्यूनल का गठन हो.
8. लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून का दुरूपयोग बंद हो. यह गरीबों को जमीन से बेदखल करने का सामंतों का हथियार बनते जा रहा है. लिहाजा इसे भूमि संबंधी मामलों से अलग रखा जाए.
9. बिहार भूमि सर्वे एंड सेटलमेंट की जारी प्रक्रिया में सीलिंग से फाजिल, बेनामी आदि जमीन की नयी जमाबंदी भूपति परिवारों के कब्जे में अवैध तरीके से पड़ी जमीन के आधार पर नहीं बल्कि सीलिंग एक्ट के लागू होने की तिथि के आधार पर परिवारों को मिले जमीन के आधार पर हो.
10. सिकमी बटाईदारों को जमीन पर मालिकाना हक दिया जाए.
11. 10-20 जून 18 के बीच उपर्युक्त प्रस्तावों से संबंधित मांगों को लेकर बिहार के सभी अंचल मुख्यालयों पर प्रदर्शन के माध्यम से भूमि आंदोलन तेज करने की दिशा में बढ़ा जाए.

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