- यह फैसला पूरी तरह राजनीतिक, सामंती-सांप्रदायिक ताकतों का बढ़ेगा मनोबल.
- 1 जून को भाकपा-माले करेगा राज्यव्यापी प्रतिवाद, दलित अत्याचार के खिलाफ लड़ाई रहेगी जारी.
पटना 30 मई, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बाथे-बथानी-मियांपुर-नगरी आदि जनसंहारों की ही तर्ज पर पटना जिले के बहुचर्चित हैबसपुर जनसंहार के सभी 28 आरोपियों को एससी-एसटी कोर्ट द्वारा बरी करने की कार्रवाई बेहद निराशाजनक है और इसकी हम घोर निंदा करते हंै. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से पहले के जनसंहारों में कोर्ट ने पर्याप्त साक्ष्य का अभाव बतलाकर रणवीर सरगनों को बरी करने का काम किया था, हैबसपुर मामले में भी ठीक वही तर्क लाया गया है. बाथे-बथानी-मियांपुर मामले में जब रणवीर सरगना थोक भाव में हाइकोर्ट से रिहा किए गए तो हमारी पार्टी ने इसके खिलाफ पूरे राज्य में न्याय आंदोलन चलाया था. व्यापक पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चलाकर लाखों आवेदन देश के राष्ट्रपति को सौंपा था और रणवीर सरगनों को दंडित करने की मांग की थी. बावजूद आज एक और न्यायिक संहार को अंजाम दिया गया. नीतीश कुमार से भी इन मामलों में ढिलाई न देने व हत्यारों को सजा दिलवाने के लिए संजीदा प्रयास चलाने की मांग की गई थी लेकिन हैबसपुर के फैसले ने यह पूरी तरह साबित कर दिया कि नीतीश कुमार गरीबों के न्याय की बजाए रणवीर सरगनों की रिहाई को ही प्राथमिकता देते रहे हैं. कोबरा स्टिंग के सामने रणवीर सरगनों ने खुलेआम स्वीकार किया कि उन्हें भाजपा नेताओं से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता था, लेकिन उस भाजपा से नीतीश कुमार ने बेशर्मी के साथ गलबहिलयां कर रखी है. इस तरह हैबसपुर कांड में आया फैसला एक राजनीतिक फैसला प्रतीत होता है, जिसमें दलित-गरीबों की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया है.
विदित हो कि पटना जिले के रानीतालब थाने के हैबसपुर-गोना पंचायत के हैबसपुर में मुसहर जाति के दस लोगों की निर्मम हत्या 1997 में होलिका दहन के दिन रणवीर सेना द्वारा कर दिया गया था. घटना में करीब मांझी, किशुन मांझी, भोपाली मांझी, शकुनी मांझी, राजकुमार मांझी समेत दस लोगों की हत्या कर दी गयी थी. जनसंहार पीड़ितों को उम्मीद थी कि उन्हें न्याय मिलेगा, लेकिन नीतीश राज में एक बार फिर उनके न्याय का संहार किया गया. भाकपा-माले ने कहा है कि हम गरीबों के न्याय की आकांक्षा का गला घोंटने नहीं देंगे. बाथे-बथानी-मियांपुर-नगरी आदि जनसंहारों में नीतीश कुमार सुप्रीम कोर्ट में लड़ें या न लड़ें, हमारी पार्टी रणवीर सरगनों की सजा के लिए मजबूती से लड़ रही है. उसी प्रकार हैबसपुर मामले में भी न्याय आंदोलन को जारी रखा जाएगा और आगे की लड़ाई संगठित की जाएगी.
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