दरभंगा : नारियां तभी सशक्त होंगी जब कन्या भ्रुण हत्या को रोका जाएगा : डाॅ. बिंदेश्वर पाठक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 29 मई 2018

दरभंगा : नारियां तभी सशक्त होंगी जब कन्या भ्रुण हत्या को रोका जाएगा : डाॅ. बिंदेश्वर पाठक

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दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) 29 मई । सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डाॅ. बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि नारियां तभी सशक्त होंगी जब कन्या भ्रुण हत्या को रोका जाएगा उन्होंनं स्त्री-पुरुष के अनुपात को ठीक करते हुए बालिकाओं को शिक्षित करने की अपील की। अस बवसर पर भारतीय मंडन सोशीओलाॅजी आॅफ सेनिटेसन चेयर की स्थापना की घोषणा की । वे आज स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग द्वारा नारी सशक्तिकरण विषय पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए उक्त बातें कहीं । उन्होंने कहा कि पुरातन युग में श्रद्धा और विश्वास स्वरूपा नारी किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं थी । मध्यकाल में बदलती परिस्थितियों के कारण नारी को विलासिता की वस्तु समझा जाने लगा जिससे उन्हें घर की चाहारदीवारी के भीतर बंद रहना पड़ता था। इसी वजल से बाल-विवाह तथा सती प्रथा जैसी कुरीतियाँ भी पनपने लगी। आधुनिक काल में महिलाओं ने विश्व मंच पर अपनी विजय पताखा लहराई है। वेदों में महिला को विद्या, धन और ताकत की प्रतिमूर्ति की संक्षा दी गई है। उनका मानना था उस समय में कि नारी कभी भी अपनी क्षमता का दुरुपयोग नहीं करेंगीं। बल्कि वह मानव और समाज कें विकास में अपनी शक्ति का सदुपयोग करेंगी। 

उन्होंने कहा कि समाजशास्त्री का कार्य है कि समाज में समानता स्थापित करना। अहिंसा के माध्यम से समाज में समरूपता स्थापित करने का प्रयास समाजशास्त्रीयों का करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जाति एवं धर्म गलत नही है बल्कि उसमें जो विभेद हैं वह गलत है। समाजशास्त्री क्रियाशील बने सिर्फ पुस्तक तथा वर्ग लेने से कार्य नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस आर्गेनाईजेशन के केंद्र में सामाजिक दर्शन है। उसके अनुसार देश को हर प्रकार की विसंगतियों से मुक्त कराना है। विशेष तौर पर उनलोगों को मुक्त करने के लिए सुलभ प्रयासरत है जो सामाजिक वर्गीकरण में सबसे पिछली सीटों पर है और पारंपरिक तौर पर अन्य लोगों को मैला साफ करते आ रहे हैं। ये सारे कार्य स्त्रित्व के द्वारा किए गए है। यह मार्ग अहिंसा, प्रेम, सद्भावना, दया, करुणा और स्नेह का होता है। इसके लिए ना वेद-पुराण के पन्ने फाड़ने की जरूरत है न हीं कहीं धरना प्रदर्शन की। आज की नारी को अपने अधिकार और कर्तव्य का बोध हो गया है। उसे अपनी गरिमा का ज्ञान के साथ साथ स्वाभिमान की रक्षा करना उसे भली भाती आ गया है। अब वह न तो जयशंकर प्रसाद की मात्र श्रद्धा और विश्वास की प्रतीक है न हीं मैथिलीशरण गुप्त की अबला । वह पुरुषों के समकक्ष अधिकारों की अधिकारिणी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि दुलिया के हर हिस्से में नारियां सशक्त हुई हैं, लेकिन नारी- उत्थान के लिए समाज में उन्हें बराबरी का हक दिलाने के लिए और प्रयास की आवश्यकता है इसके लिए आवश्यक है कि कन्या भु्रण हत्या को रोकें। स्त्री पुरुष के अनुपात को ठीक करते हुए नारियों को शिक्षित करने की आवश्यकता है। 

इस अवसर पर बीज भाषण बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डाॅ. ए.के. पांडेय ने कहा कि नारी भी मानव होती है और उसे भी समानता का अधिकार मिलना चाहिए। कहने के लिए उसे बहुत अधिकार दिया गया है लेकिन अभी भी सुधार की आवश्यकता है। इसके लिए सरकार के साथ-साथ समाज को भी कार्य करना होगा। नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की सीमाओं की रक्षा की जिम्मेदारी महिला पर दी है, वही विदेशों में देश की छवि निखारने की जिम्मेदारी महिला को दे रखे हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महिला सशक्तिकरण के प्रति क्या सोच है। इतना ही नहीं केंद्र की योजनाओं का केंद्र बिंदु महिला ही है। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में नारी सशक्तिकरण के मामले में बिहार देश में अव्वल स्थान पर है। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. मुस्तफा कमाल अंसारी ने कहा कि नारी किसी भी समाज के आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती है इस वजह से उसके उन्मुखीकरण तथा विकास के लिए हर हमेशा प्रयास रहना चाहिए। नारी का विकास होगा तो समाज का विकास होगा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो. ए. क.े पाॅल ने कहा कि नारी को उपेक्षित करने से समाज का विकास नहीं होगा। भूमंडलियाकरण के दौर में भी महिलाओं को उचित अधिकार नहीं मिला। उन्होंने महात्मा गांधी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महिला के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा करते हुए कहा कि जहाँ गांधी ने अपने दर्शन में नारी सशक्तिकरण पर बल दिया वहीं नीतीश कुमार ने गांधी के दर्शन को मूर्त रूप दिया।

उन्होंने कहा कि संस्थाओं एवं राज्य को मजबूत करने की आवश्यकता है । नारी को जहां आजादी के साथ-साथ सुरक्षा देने की जरूरत है। उसके बीच समन्वय स्थापित होने से ही सही अर्थों में नारी का सशक्तिकरण होगा। छात्राओं को अंग्रेजी के साथ-साथ कंप्यूटर के ज्ञान देने की जरूरत है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. जय गोपाल ने कहा कि नारी सशक्तिकरण में विश्वविद्यालय प्रयासरत है। नारी सशक्तिकरण बहुत पुराना विषय है लेकिन आज भी यह प्रसांगिक है। वातावरण में शारीरिक रूप से पुरुष को ताकतवर बताया जिसका ज्यादा फायदा उन लोगों ने उठाया है। जिस वजह से नारी सशक्तिकरण का मुद्दा बना हुआ है। नारी शारीरिक रूप से कमजोर है जिस वजल से उसे ताकतवर बनना पड़ेगा तभी जाकर नारी का सशक्तिकरण होगा। विधायक डाॅ. फैयाज अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि नारी सशक्तिकरण समय की पुकार है। इस अवसर पर डाॅ. बिंदेश्वरी पाठक को भारत रत्न से सम्मानित करने का प्रस्ताव पारित किया गया। संगोष्ठी में आगत अतिथि का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार चैधरी ने किया वही मंच संचालन डाॅ. पुतुल सिंह ने किया।

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