नयी दिल्ली, एक जून, जीएसटी संग्रह मई महीने में 94,016 करोड़ रुपये रहा। यह गत वित्त वर्ष के मासिक औसत से बेहतर है लेकिन पिछले महीने में प्राप्त 1.03 लाख करोड़ रुपये से कम है। आलोच्य महीने में हालांकि कुल 62.47 लाख इकाइयों ने बिक्री रिटर्न जीएसटीआर-3बी दाखिल किये जो अप्रैल में 60.47 लाख से अधिक है। वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि मई में कुल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अधिक रहा जो 2017-18 में औसत मासिक संग्रह 89,885 करोड़ रुपये से अधिक है। राजस्व सचिव की भी जिम्मेदारी संभाल रहे अधिया ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘यह ई-वे बिल पेश किये जाने के बाद बेहतर अनुपालन को प्रतिबिंबित करता है।’’ राज्यों के भीतर वस्तुओं की आवाजाही के लिये इलेक्ट्रानिक वे और ई-वे बिल प्रणाली एक अप्रैल को पेश किया गया। राज्यों के बीच वस्तुओं की ढुलाई के लिये 15 अप्रैल से इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। पचास हजार रुपये के मूल्य से अधिक की वस्तुओं की झुलाई करने वालों को मांगे जाने पर ई-वे बिल जीएसटी निरीक्षक को दिखानना होगा। इस कदम से नकदी में होने वाले कारोबार पर अंकुश लगेगा तथा कर संग्रह बढ़ाने में मदद मिलेगी मंत्रालय के अनुसार सकल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व मई 2018 में 94,016 करोड़ रुपये रहा। इसमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) 15,866 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) 21,691 करोड़ रुपये तथा आईजीएसटी (एकीकृत जीएसटी) 49,120 करोड़ रुपये रहा। उपकर संग्रह 7,339 करोड़ रुपये रहा।
वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘‘हालांकि मई महीने का राजस्व संग्रह पिछले महीने से कम है लेकिन इसके बावजूद मई महीने में संग्रह पिछले वित्त वर्ष के औसत संग्रह (89,885 करोड़ रुपये) से कहीं अधिक है। अप्रैल में राजस्व अधिक होने का कारण साल समाप्ति का प्रभाव था।’’ राज्यों को मार्च 2018 के लिये जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में 6,696 करोड़ रुपये 29 मई को जारी किये गये। मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में (जुलाई 2017 से मार्च 2018) राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में कुल 47,844 करोड़ रुपये जारी किये गये। सरकार ने जीएसटी लागू होने के पहले साल में 7.41 लाख करोड़ रुपये कर के रूप में संग्रह किया। जीएसटी एक जुलाई 2017 से लागू हुआ। ईवाई इंडिया के कर भागीदार अभिषेक जैन ने कहा कि ई-वे बिल, राज्यों के बीच क्रेडिट मिलान आदि उपायों से आने वाले महीनों में कर संग्रह बढ़ने का अनुमान है। डेलायट इंडिया के वरिष्ठ निदेशक अतुल गुप्ता ने कहा, ‘‘जनवरी-मार्च तिमाही में आर्थिक वृद्धि मजबूत रही और यह इस तथ्य को बताता है कि जीएसटी को लेकर जो एक शुरूआती उलझन थी, वह दूर हो गयी है।’’
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