सिंगापुर , तीन जून, हिंद - प्रशांत क्षेत्र को ‘‘ प्राकृतिक क्षेत्र ’’ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत के सशस्त्र बल , खासकर नौसेना , रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में मानवीय सहायता के साथ साथ शांति और सुरक्षा के लिए सहयोग को विस्तार दे रहे हैं। मोदी ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया के दस देश दो प्रमुख महासागरों - हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को भौगोलिक और सभ्यता दोनों ही दृष्टि से जोड़़ते हैं। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार की शाम यहां प्रतिष्ठित शांगरी - ला वार्ता में कहा , ‘‘ समावेश , खुलेपन और आसियान केंद्रीयता और एकता इसीलिए नए हिंद - प्रशांत के केंद्र में है। हिंद - प्रशांत क्षेत्र के बारे में अपने नजरिए की व्याख्या करते हुए मोदी ने कहा कि भारत हिंद - प्रशांत क्षेत्र को एक रणनीति के रूप में या सीमित सदस्यों के क्लब के रूप में नहीं देखता है और न ही ऐसे समूह के रूप देखता है जो हावी होना चाहता हो। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल , विशेष रूप से नौसेना , शांति और सुरक्षा के साथ साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत के लिए भारत - प्रशांत क्षेत्र में भागीदार रहे हैं। वे पूरे क्षेत्र में सद्भावना मिशनों को प्रशिक्षित , अभ्यास और संचालन करते हैं। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए , सिंगापुर के साथ , भारत का सबसे लंबा निर्बाध नौसेना अभ्यास रहा है जो अब 25 वें वर्ष में है। उन्होंने घोषणा की कि भारत जल्द ही सिंगापुर के साथ एक नया त्रिकोणीय अभ्यास शुरू करेगा और भारत को उम्मीद है कि इसका अन्य आसियान देशों तक तक विस्तार होगा।
रविवार, 3 जून 2018
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अहम साझेदारी का निर्माण हो रहा : प्रधानमंत्री
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