- अकेलेपन बर्दाश्त नहीं कर सकने के कारण मोहम्मद मुर्शीद हैं संकट में
- स्वर्गीय मोहम्मद भगलू के पोत्र ने पिता को घर से बाहर जाने को किया मजबूर
दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) . आज भी समाज में श्रवण कुमार की तरह कर्तव्य निर्वाह करने वाले पुत्र व पुत्र हैं.जो मां-पिता की सेवा करके मिशाल पेश कर रहे हैं.वहीं एक मोहम्मद मुर्शीद के पुत्र हैं. पुत्र के दुर्व्यवहार के कारण विवश होकर दिव्यांग पिता घर ही छोड़ दिया. दरदर की ठोकर खाने को मजबूर दिव्यांग मोहम्मद मुर्शीद आसनसोल स्टेशन (पश्चिम बंगाल) पर लावारिश अवस्था में पड़े मिले.इस अवस्था में हर संभव मदद शीतला फाउंडेशन के अध्यक्ष इरफान भाई ने किया.उनके अनुसार अभी मोहम्मद मुर्शीद जी गर्वमेंट डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, आसनसोल (पश्चिम बंगाल) में इलाज करा रहे हैं. यहां के चिकित्सक हाथ खड़ा कर दिये हैं.चिकित्सकों का कहना है कि मोहम्मद मुर्शीद को दवा की जरूरत नहीं है बल्कि दुआ की जरूरत है.अब अकेलापन बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं.अगर उनको परिवार के बीच में रखा जाए तो शायद ही कुछ दिन और जी सके. इसी लिए संकट की घड़ी में उन्हें दवा के साथ दुआ की जरूरत है. जिंदगी के आखिरी पड़ाव में आ गये हैं.जिसने ठोकर मारकर घर से बेदखल कर दिया हैं.उनसे मिलने की एक दिली तमन्ना पाल रखे हैं. कोई बस बच्चे से मिला दें. उनका दिमागी संतुलन इतना भी ठीक नहीं है कि वह स्वयं घर पहुंच सके.यहां तक पता बता सकने लायक भी नहीं है. बस आज हम साथी मित्रों के सहयोग ही एक बिछड़े पिता को अपनी औलाद से मिलाकर उनकी आखरी इच्छा पूरा कर सकते हैं इसलिए कृपया मदद को आगे आकर इस पुनीत कार्य में सहयोग करें और एक बिछड़े पिता को अपने पुत्र से मिलने की आखरी इच्छा को पूरा करने मे हमारा सहयोग करे..!!
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