पटना 02 जून, लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) ने आज आरोप लगाया कि बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल में दलित उत्पीड़न की आये दिन घटनाएं हो रही है इसके बावजूद सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुयी है। लोजद के वरिष्ठ नेता एवं बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में वैशाली जिले के राघोपुर थाना क्षेत्र के मलिकपुर गांव में चार दिन पूर्व दलितों के कुछ घरों में आग लगाये जाने की घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि इस तरह की घटना की जितनी भी निंदा की जाये वह कम है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी और विपक्ष पर अनर्गल आरोप लगाया जा रहा है। श्री चौधरी ने कहा कि सरकार ने बक्सर जिले के नन्दनपुर गांव में महिलाओं एवं बच्चों और के अलावा गर्भवती महिलाओं हुए जुर्म पर चुप्पी साध ली है। सरकार को यह बताना चाहिए कि इसके लिए कौन जिम्मेवार है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद बक्सर जिले की घटना को कोई मंत्री या सरकार का प्रतिनिधि देखने तक नहीं गया।
लोजद नेता ने कहा कि इसी तरह नवादा जिले के वारसलीगंज थाना क्षेत्र में अपसड़ गांव के रहने वाले अनुसूचित जाति के टाले मांझी को इसलिए जिन्दा जला दिया गया कि उसने अपनी पुत्री को सामन्तों के हवाले नहीं किया। इस मामले का लेकर श्री मांझी बार-बार प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते रहे लेकिन सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि राजग सरकार में केवल अनुसूचित जाति-जनजाति के कल्याण के दावे किये जाते हैं जबकि सच्चाई इसके उलट है। श्री चौधरी ने कहा कि गया जिले में बोधगया थाने के कोशमा गांव में बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के गांवों को उजाड़ दिया गया और स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक बनी रही। वहीं, दीपावली के दिन खगड़िया जिले के छनसिया गांव में 82 परिवार के घरों को जला दिया गया और भागलपुर जिले के झंडापुर गावं में पति-पत्नी की हत्या कर दी गयी। उन्होंने कहा कि यह सभी घटनाएं राजग सरकार के चन्द महीनों के कार्यकाल के दौरान हुयी। लोजद नेता ने कहा कि दलितों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने वाली नीतीश सरकार राघोपुर के विधायक तेजस्वी यादव पर अपना भड़ास निकाल रहे हैं। सरकार अपनी जिम्मेवारी से भाग रही है। अपराधी का न तो जात होता है और न ही धर्म। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को बताना चाहिए कि इन घटनाओं पर क्या कार्रवाई हुयी और कितने अपराधी पकड़े गये। सरकार ने सभी भूमिहीन परिवारों को पांच डिसमिल जमीन देने की बात कही थी। सरकार बताये कि कितने लोगों को अभी तक जमीन आवंटित की गयी है। श्री चौधरी ने कहा कि बंधोपाध्याय आयोग की अनुशंसा को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। उन्होंने राष्ट्रीय रिकाॅर्ड का हवाला देते हुए कहा कि हाल के दिनों में बिहार में दलितों और महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं। इसकी जवाबदेही राज्य सरकार को लेनी चाहिए। इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुशवाहा, प्रदेश महासचिव बिन्नु यादव, उमेश राय, राजेन्द्र सिंह यादव, उमेश मांझी एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष कुमार सिंह मौजूद थे।
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