- छोहार बड़ी मुसहरी की ओर जाने वाली राह पर हैं प्रतिमा
छोहार,(समेली).आज भी लोग हाथ में संविधान पकड़ने वाले भीमराव अम्बेडकर को पहचानते नहीं हैं. समेली प्रखंड के छोहार पंचायत के लोगों की तरह ही आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका ममता कुमारी भी कहना सीख गयी है कि केंद्र के सामने स्थापित प्रतिमा सुभाष चंद्र बोस की ही हैं.केंद्र में सेविका सोनी कुमारी नहीं हैं.उनके बदले में सहायिका ही बच्चों को पढ़ाती हैं.घड़ी में पौने ग्यारह बज रहा था.ग्यारह बजे समझकर बच्चों को छुट्टी कर दी.इस बाबत पूछने पर सहायिका ममता कुमारी कहती हैं कि एक सप्ताह से राशन नहीं है.बच्चे ठहरते ही नहीं है. सहायिका कहती है कि 8 धात्री माता हैं.स्कूल पूर्व शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों की संख्या 40 है. 8 गर्भवती हैं. 12 अतिकुपोषित और 28 कुपोषित हैं. इस तरह 40 बच्चों को विशेष आहार की जरूरत है.कहां है आई.सी.डी.एस. सी.डी.पी.ओ. और पर्यवेक्षक? इस आंगनबाड़ी केंद्र पर विशेष टेंडर लर्विंग केयर ( टी. एल. सी.) देने की जरूरत है. आवश्यक जानकारी लेने के बाद जब सहायिका ममता कुमारी से पूछा गया कि यह चौक है किसके नाम से है? तो तुरंत कहती हैं कि यह चौक तो अम्बेडकर जी के नाम पर है, तो जरूर ही भीमराव अम्बेडकर जी का प्रतिमा है. जी हां आजादी के 70 साल के बाद भी प्रत्यक्ष रूप से संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अम्बेडकर को हम नागरिक पहचान नहीं पा रहे हैं. उनको सुभाष चंद्र बोस ही समझते हैं.
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