पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विश्व पर्यावरण दिवस पर संकल्प कराया ’हर कथा हो हरित कथा’, जंगल उगाये जीवन बचाये, पेड़ लगाये पीढ़ियाँ बचायें’’-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, काष्र्णि पीठाधीश्वर श्री स्वामी गुरूशरणानन्द जी महाराज, सालासर बालाजी राजस्थान से नेमि नारायण जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी ने पर्यावरण को समर्पित श्री रामकथा के समापन समारोह में की शिरकत, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर योगगुरू रामदेव जी महाराज ने श्री राम कथा प्रेमियों को लाइव वीडियो संदेश के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया तथा योग एवं वृक्षारोपण के लिये प्रेरित किया*, भारतीय संस्कृति है पर्यावरण संरक्षण की संस्कृति
ऋषिकेश, 5 जून। परमार्थ निकेतन में ’माँ गंगा के तट पर पर्यावरण संरक्षण एवं पतित पावनी माँ गंगा को समर्पित ’श्री राम कथा’ का विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर समापन हुआ। इस अवसर पर काष्र्णि पीठाधीश्वर, स्वामी गुरूशरणानन्द जी महाराज, सालासर बालाजी जी नेमि नारायण एवं भजन गायक प्रकाश जी माली ने कथा में सहभाग किया। माँ गंगा के तट पर श्री राम कथा की रसधारा संत मुरलीधर जी महाराज के मुखारबिन्द से 24 मई से निरन्तर प्रवाहित हो रही थी। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज की प्रेरणा एवं सरंक्षण में आयोजित श्री मानस कथा में अनेक पूज्य संतों एवं राजनीतिक दिग्गजों ने सहभाग किया। विश्व पर्यावरण दिवस पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि अब ’’जय गंगे के साथ-साथ जैविक गंगे का उद्घोष हो, हर-हर गंगे के साथ हो हर्बल गंगे, हर बल गंगे, हर पल गंगे, हर हर गंगे को आत्मसात करें। माँ गंगा और देश की अन्य नदियों के प्रति समर्पण ही सबसे बड़ा तर्पण है। स्वामी जी महाराज ने कहा ’’माँ के गर्भ से लेकर मरघट तक मनुष्य के पूरे जीवन काल में वृक्षों का महत्वपूर्ण योगदान है। अपने जीवन में चिंतन करें और आज गंगा के तट से संकल्प लेकर जाये की अब तक प्रकृति और पर्यावरण से लिया अब वृक्षारोपण कर कुछ कर्ज चुकाने का समय है, तभी हमारा और हमारी भावी पीढ़ियांे का जीवन सुरक्षित रह सकता है। उन्होने कहा जब बाहरी पर्यावरण स्वच्छ होगा तभी भीतर का वातावरण भी स्वस्थ्य होगा आईये इस हेतु मिलकर प्रयास करे जंगल उगाये जीवन बचाये, पेड़ लगाये पीढ़ी बचाये।’’
श्री राम कथा के समापन अवसर पर संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने भक्तों एवं श्रद्धालुओं से आह्वान किया, कथा के माध्यम से प्रतिदिन अखाडों के पूज्य महन्त एवं संतों के उद्बोधन को श्रवण किया उसे आत्मसात कर कथा के याद में कम से कम 11 पौधों का रोपण अवश्य करे यही कथा की पूर्णाहुति और फलश्रुति है। स्वामी गुरूशरणानन्द जी महाराज ने कहा, ’ईश्वर को पाने के लिये मन की निर्मलता एवं तन की स्वच्छता आवश्यकता होती है। आप सभी माँ गंगा के तट पर आयोजित कथा से प्राप्त दिव्य ऊर्जा कोे श्रेष्ठ कार्यो में लगाये यही कथा का सार है और यही परमात्मा, प्रकृति और पर्यावरण के लिये उत्तम भेंट है।’’ श्री राम कथा के समापन समारोह के पश्चात पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा काष्र्णि पीठाधीश्वर स्वामी गुरूशरणानन्द जी महाराज को भेंट किया तत्पश्चात स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, स्वामी वेदविद्यानन्द सरस्वती जी महाराज साध्वी भगवती सरस्वती जी, तथा पश्चिम से आई नदियों का स्वरूप धारण की कन्यायें और दक्षिण भारत से आई वेद की विद्वान ऋषिन्याओं एवं सभी विशिष्ट अतिथियों ने स्वच्छ जल की उपलब्धता हेतु वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की। इस अवसर पर हजारों की सख्या में उपस्थित भक्त परमार्थ परिवार से सुश्री नन्दिनी त्रिपाठी जी, आचार्य संदीप शास्त्री, आचार्य दीपक शर्मा, लक्की सिंह, नरेन्द्र बिष्ट, भगत सिंह, राजेश दीक्षित एवं देशी विदेशी भक्तगण उपस्थित थे। स्वामी जी महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया सभी ने दोनों हाथ उठाकर संकल्प किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें