- विकास मित्र की ही तरह मानदेय देने की मांग
बकिया (समेली).प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में अंतर है.इंडिया में रहने वालों केे बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं.प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के प्रति अभिभावक सदैव तत्पर रहते हैं.कारण स्पष्ट है बच्चों का भविष्य बनाना है.इनके गतिविधियों पर ध्यान देते हैं.यहां तक होम वर्क भी बना डालते है. उनके वेल ड्रेज और पोष्ट्रिक आहार उपलब्ध करवाने में पीछे नहीं रहते हैं.उनको स्कूल ले जाने और ले आने की पुख्ता प्रबंध करते हैं. दूसरी ओर भारत के लोगों के बच्चे सुविधाहीन सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं.इनके बच्चे टोला सेवक पर ही आश्रित रहते हैं.बच्चों को ढकेल के स्कूल पहुंचाते हैं.बच्चों को सरकारी स्तर पर मिलने वाला मिड डे मिल पर निर्भर रहना पड़ता है. वार्ड नम्बर-12 के पूर्व सदस्य रामलाल ऋषि कहते हैं कि अभिभावक का ध्यान बच्चों की पढ़ाई पर हर्गिज नहीं रहता है.केवल छात्रवृति पर पर टिका रहता है. यहां पर सदैव अभिभावक और बच्चे उदासीन रहते हैं.
यहां पर रहते हैं संजीत मेहतर. खुद को सबसे छोटी जाति के समझते हैं.मैट्रिक उर्त्तीण होने के बाद भी मुसहर से भी छोटा मानते हैं.इनको सरकार ने टोला सेवक में बहाल किया है.7 जुलाई 2013 से कार्यशील हैं.उनको शुरूआती दौर में 3,500 रू.मानदेय मिलता था.एक माह के बाद मानदेय में वृद्धि कर 5000 रू.कर दिया गया.इसके बाद 2015 में मानदेय 8000 रू.कर दिया गया.जो तीन साल से स्थिर है. टोला सेवक कहते हैं कि उनके तीन बच्चे हैं.पांचवीं कक्षा में रौनक कुमार और तीसरी कक्षा में शाहिल कुमार पढ़ते हैं. हमलोगों का भी द्यर पोषण क्षेत्र में है. दोनों बच्चों के साथ लगभग 90 बच्चों को लेकर प्राथमिक विद्यालय,कामास्थान ले जाते हैं. बच्चों को स्कूल में पहुंचा कर स्कूल में पढ़ाते हैं.इस विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रीता दास हैं.शिक्षिका मीरा कुमारी हैं.यहां पर 120 पंजीकृत बच्चों की संख्या है. उन्होंने कहा कि स्कूल से छुट्टी होने पर बच्चों को सुरक्षित द्यर पहुंचा देते हैं.शाम के समय बच्चों पढ़ाते हैं.मेरे अपने दोनों बच्चों को बच्चों की मां रीना देवी पढ़ाती हैं.इनके कंधे पर बच्चों का भविष्य निर्भर है. टोला सेवक संजीत मेहतर का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आश्वासन दिये थे कि विकास मित्र और टोला सेवक का मानदेय समरूप कर देंगे.ऐसा नहीं कर सकें.उन्होंने सी.एम.नीतीश कुमार से निवेदन किया है कि विकास सेवक की ही तरह टोला सेवकों का मानदेय कर दें.
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