प्रभावित परिवार को 35 दिनों के बाद भी सरकारी सहायता नहीं
पटना (आर्यावर्त डेस्क) .आजीवन ईमानदारी के पथ पर चलने वाले जिला कल्याण पदाधिकारी के परिवार कष्ट में है.सीतामढ़ी में पदस्थापित शुभ नारायण दत्त की हत्या के 35 दिनों के बाद भी सरकारी सहायता नहीं मिलने से परिवार वाले क्षुब्ध हैं. सीता मइया की सीतामढ़ी में बदमाश सक्रिय हैं.जो गोली मारकर हत्या करने में पीछे नहीं रहते हैं.इस बार स्वर्गीय जीवनंदन दत्त के पुत्र शुभ नारायण दत्त निशाने पर आ गये.उनका सिर्फ यह कसूर रहा कि सीतामढ़ी जिला के जिला कल्याण पदाधिकारी बन कर भष्टाचार रहित कार्य करना. शिवहर, दानापुर, एस.टी./एस.सी.आयोग में शानदार कृत्य करके आये थे.यहां पर ईमानदारी का डंडा चला रखे थे.जो एक उर्दू स्कूल के अदना शिक्षक को भाया नहीं. इस संदर्भ में शुभ नारायण दत्त के छोटे पुत्र शैलेन दत्त का कहना है कि अदना शिक्षक मो.अली अंसारी उर्फ बबलू खान हैं. इनकी पत्नी शाहिन परवीन बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष हैं.इनके बल पर जिला कल्याण विभाग में बॉसगिरी करते थे.जो भी जिला कल्याण पदाधिकारी बनकर आते रहे उनके कर्मों रहम पर अबाध रहते.
राजधानी पटना के दीघा थानान्तर्गत अवधपुरी रेलवे कॉलोनी में रहने वाली श्री दत्त की पत्नी संजू रानी ने कहा कि मेरे दो पुत्र हैं शैलेश कुमार व शैलेन दत्त.उनका पदस्थापन सीतामढ़ी जिले में नवम्बर 2017 में जिला कल्याण पदाधिकारी पद पर हुआ था.सादगी और ईमानदारी के पथ पर चलने वाले हस्ति को 5 महीने के अंदर ही ईमानदारी की भारी कीमत चुकानी पड़ गयी .हर दिन की तरह बस शाम को टहलने ही निकले थे.मोटर साइकिल पर सवार अपराधकर्मी आये और डुमरा,भवप्रसाद रोड में गोली मार कर हत्या कर चलते बने.वहीं पर दम तोड़ दिये.काला दिन 31.05. 2018 था. डुमरा थाना की पुलिस ने शव को ले जाकर सदर अस्पताल डुमरा मेें पोस्टमाटम कराया. घटना की जानकारी मिलने पर परिवार के लोग सदर अस्पताल पहुंचे. बता दें कि स्व.एस.एन.दत्त के छोटे पुत्र शैलेन दत्त ने डुमरा थाना के पुलिस पदाधिकारी के समक्ष बयान दिया.डुमरा थाना का केस नं.204/18 दिनांक 01.06.2018 है.302/34 आई.पी.सी. और 27 आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.इस का अनुसंधानकर्ता एस.आई. अशोक कुमार राम हैं. एस.एन.दत्त के छोटे भाई अभय कुमार दत्त का कहना है कि मेरे अग्रज बहुत ही ईमानदार व्यक्ति थे. जब सहकर्मियों के साथ चाय पीने जाते थे तो अपनी चाय की कीमत खुद दे देते थे.किसी के एहशान लेना नहीं चाहते थे.अग्रज हमेशा कहा करते थे कि सरकार मुझसे फील्ड में काम न करवाये. फील्ड में भष्टाचार की गंगोत्री है.उससे बचने के लिए डिमोशन करवाने में पीछे नहीं रहते थे.आप सोच सकते है कि लोग पदोन्नति पाने के लिए जी जान लगा देते हैं.ये महाराज भष्टाचार से किनारा होने के लिए डिमोशन लेते थे. हां अब तो वी.आर.एस.लेने की बात किया करते थे.उनका जून में स्थानान्तरण होने वाला था .इसके पहले ही अपराधियों ने एक स्वच्छ छवि वाले पदाधिकारी को मौत के घाट उतार दिये.
सुबक-सुबक कर शैलेश कुमार और शैलेन दत्त की मां संजू रानी रोने लगी.कहने लगी कि परिवार वेतनभोगी हैं.उनके वेतन से दोनों पुत्रों की पढाई नहीं हो पाती थी तो बैंक से लॉन लेकर शैलेश ने इंजीनियरिंग और शैलेन बी.ए.कर पाया है.यह है ईमानदार पदाधिकारी की घर की कहानी.परिवार वालों का मानना है कि सीतामढ़ी के डी.एम. डॉ. रंजीत कुमार व एसएसपी विकास बर्मन ने हत्याकांड को जीर्वित करने में महत्वपूर्ण कदम उठाया है.15 दिनों तक विभागीय मेटर कहकर टाला जा रहा था.उसके बाद पता चला कि बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की सीतामढ़ी जिलाध्यक्ष शाहिन परवीन के शोहर मो.अली अंसारी उर्फ बबलू खान की बैठकबाजी से जिला कल्याण पदाधिकारी की हत्या की गयी है.'कर लो दुनिया मुट्ठी' में की तर्ज पर जिला कल्याण विभाग को मुट्ठी में कर लिया था.जो भी जिला कल्याण पदाधिकारी आते तो बबलू खान के इशारे पर चलते.बबलू और पदाधिकारी मिलकर लोगों का कल्याण कम और अपना कल्याण अधिक कर करोड़ो रू.का मालिक बन बैठा है.कई जगहों पर आलिशान मकान बना रखा है. उनके छोटे पुत्र शैलेन दत्त का कहना है कि मो.अली अंसारी उर्फ बबलू खान ने तीन शूटर को हायर किया.रामजी राय,सोहन ठाकुर और अरूण भगत.इन तीनों ने मेरे पिताश्री शुभ नारायण दत्त की गोली मारकर हत्या कर दी है.तीनों सीतामढ़ी का ही रहने वाले हैं.वहां से भागकर रामजी राय और सोहन ठाकुर पटना आ गया था.उन दोनों को पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक मनु महाराज ने गुप्त सूचना के आधार दीघा थाना क्षेत्र के बालूपर से धड़ दबोचा.तीसरा अरूण भगत को सीतामढ़ी में ही गिरफ्तार कर लिया.
पुलिसिया कार्रवाई और दबिश पर पड़ने पर कुर्की होने पूर्व ही मो. अली अंसारी उर्फ बबलू खान कोर्ट में जाकर आत्मसमर्पण कोर्ट में कर दिया.पुलिस छापामारी के दरम्यान बबलू के घर से कल्याण विभाग के पदाधिकारियों का रबर स्टांप के अलावे अन्य कागजात बरामद हुई. समझा जाता है कि एस.एन.दत्त के आगमन से बबलू खान की चलती गाड़ी बंद हो गयी थी.उनको राह से हटाना ही उपाय था. बच्चों के चाचा अभय कुमार दत्त ने कहा कि सरकार की और किसी तरह की राशि नहीं मिली और न ही अनुकंपा के आधार नौकरी ही.यह सब कागजी प्रक्रिया की जारी है.उन्होंने सरकार से उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है.बिहार के 38 जिले में कोई ईमानदार अधिकारी मौत न हो ,सरकार को देखनी चाहिए.
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