भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 जुलाई को पटना आ रहे हैं। यात्रा का मकसद पार्टी के संगठन, कार्यक्रम और 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेना और टास्क सौंपना भी है। लेकिन अमित शाह व जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के बीच अभी न मुलाकात तय है और न समय। अमित-नीतीश मुलाकात मीडिया का आकलन है, जिससे भाजपा के सूत्र सहमति जताते हैं, लेकिन अधिकृत नहीं मानते हैं। आज हमने मुलाकात की संभावना को लेकर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता से पूछ ही लिया- मुलाकात की इच्छा अमित शाह ने जतायी थी या नीतीश कुमार ने। भाजपा कार्यालय ने नीतीश कुमार को फोन किया था या नीतीश कुमार ने भाजपा कार्यालय को। मुलाकात कब और कहां होगी। लेकिन इन सवालों का जवाब पार्टी के पदाधिकारी के पास नहीं था। दरअसल अमित शाह केंद्र सरकार में शामिल सत्तारूढ़ दलों में से बड़ी पार्टी भाजपा के अध्यक्ष हैं। जब वे पार्टी कार्यक्रमों के सिलसिले में किसी राज्य की राजधानी में पहुंचते हैं तो 'गार्जियनशिप' के तहत उस राज्य में सहयोगी पार्टियों के नेताओं से भी मिलते हैं। इसे आप 'आशीर्वाद मिलन' भी कह सकते हैं। पार्टी की 'पांत' में बैठे दलों को थाली नहीं छीन जाने का भरोसा भी दिलाते हैं। अमित शाह के साथ नीतीश की संभावित मुलाकात 'आशीर्वाद मिलन' श्रेणी की में ही है। इसमें सीट के सौदे जैसी बात नहीं होगी। वैसे बिहार भाजपा के नेताओं को ईश्वर से नीतीश के स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि अमित शाह पटना में और नीतीश स्वास्थ्य लाभ के लिए राजगीर पहुंच जायें।
जातीय आंकड़ों का जिन्न तलाश रही पार्टियां
लोकसभा चुनाव में वोटों के गणित पर सभी पार्टियां होमवर्क कर रही हैं। हर पार्टी का मीडिया सेल माथा-पच्ची कर रहा है, लेकिन ट्रेजडी यह है कि जातियों का कोई अधिकृत आकड़ा उपलब्ध नहीं है। जनगणना में धार्मिक गणना भी हो जाती है। अनुसूचित जाति-जनजाति की भी जातिवार गणना होती है। लेकिन सवर्ण, पिछड़ा व अतिपिछड़ा जातियों की जातिवार गणना नहीं होती है। यह वर्गीय विभाजन हिंदू व मुसलमान दोनों में है। इस कारण यह और जटिल हो जाता है। आज एक पार्टी कार्यालय में इसी इशू पर चर्चा हो रही थी। 1931 की जातिवार जनगणना को लेकर भी मंथन हो रहा था। आंकड़ों का जिन्न तलाशने की बेचैनी हर जगह है, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल रहा है।
'आमंत्रण पुरुष' बने नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके समर्थक 'विकास पुरुष' कहते हैं। कभी 'विकल्प पुरुष' बनने का प्रयास कर रहे थे। विकल्प पुरुष के रूप में उनको देशभर से आमंत्रण मिलने लगा था। देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ विकल्प खड़ा करने का सूत्र बांट रहे थे। महागठबंधन का पाठ पढ़ा रहे थे। लेकिन ऐसी पलटी मारी कि 'विलीन' हो गये। लेकिन अब उनके 'अच्छे दिन' आते दिख रहे हैं। अच्छे दिन का 'ठेका' कांग्रेस ने उठा लिया है। कांग्रेस उन्हें महागठबंधन में वापस लौटने का 'आमंत्रण' दे रही है। एक नया मोर्चा बनाने का आमंत्रण भी उन्हें मिल रहा है। राजद भी कुछ शर्तों के साथ नीतीश को गले-लगाने के लिए तैयार है। यानी अब नीतीश 'आमंत्रण पुरुष' बन गये हैं। अंतरात्मा जागरण के पहले भाजपा आमंत्रण दे रही थी और अब अंतरात्मा जगाने के लिए महागठबंधन वाले आमंत्रण दे रहे हैं।
--बीरेंद्र यादव न्यूज़---
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