बिहार : भाकपा-माले की राज्य स्थायी समिति की बैठक 9 जुलाई को पटना में. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 8 जुलाई 2018

बिहार : भाकपा-माले की राज्य स्थायी समिति की बैठक 9 जुलाई को पटना में.

माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य भी लेंगे बैठक में भाग.भोजपुर में आंदोलकारी नेताओं पर फर्जी मुकदमे लादकर प्रशासन ने किया विश्वासघात.
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पटना 8 जुलाई, भाकपा-माले की राज्य स्थायी समिति की एक दिवसीय बैठक कल 9 जुलाई को पटना स्थित राज्य कार्यालय में होगी. बैठक में मुख्य अतिथि के बतौर माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य भी उपस्थित रहेंगे. बैठक में हिस्सा लेने के लिए वे बिहार पहुंच गए हैं. बैठक में पार्टी महासचिव के अलावा राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा, अमर व राजाराम सिंह, मीना तिवारी, शशि यादव, रामेश्वर प्रसाद, मनोज मंजिल आदि नेतागण भाग लेंगे. बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव और सितंबर में आयोजित भाजपा भगाओ - लोकतंत्र बचाओ रैली की तैयारियों पर चर्चा होगी. विदित है कि 27 सितंबर को पटना में होने वाली रैली के पूर्व 26 जून से लेकर 26 सितंबर तक भाकपा-माले भगत सिंह - अंबेदकर के सपनों का भारत बनाने के संकल्प के साथ जनसंपर्क अभियान चला रही है. पार्टी ने राज्य के 20 लाख परिवारों तक अपने विचारों को पहुंचाने का निर्णय किया है. भोजपुर, पटना ग्रामीण, सिवान, अरवल, जहानाबाद, रोहतास आदि जिलों में भाजपा के खिलाफ यह सघन प्रचार अभियान आरंभ हो चुका है. पार्टी कार्यकर्ता रैली में शामिल होने का आमंत्रण पत्र लेकर दलित-गरीबों, मजदूरों-किसानों और समाज के अन्य मेहनतकश समुदाय के घर-घर जा रहे हैं और फासीवादी भाजपा से देश व लोकतंत्र की रक्षा के लिए 27 सितंबर की रैली में पटना चलने का आह्वान कर रहे हैं. बैठक में इस अभियान में तेजी लाने और इसे राज्य के सभी जिलों में आरंभ करने की योजनाओं पर बातचीत होगी.

भोजपुर में आंदोलनकारी नेताओं पर फर्जी मुकदमे थोपकर प्रशासन ने किया विश्वासघात.
माले राज्य सचिव ने कहा है कि भोजपुर के अगिआंव में भाकपा-माले व अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में चले आंदोलन के बाद प्रशासन ने नहर में पानी तो छोड़ा लेकिन हमारी पार्टी की केंद्रीय कमिटी के सदस्य मनोज मंजिल व अन्य 40 आंदोलनकारी किसानों पर आंदोलन के दौरान रोड जाम करने और सरकारी काम में अवरोध पैदा करने के मामले में मुकदमा दायर कर दिया है. हमारी पार्टी प्रशासन की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना करती है. उन्होंने कहा कि डिलिया नारायणपुर और पवार नदी लाइन को डिलिया लख से जोड़ते हुए नहर की निचली छोर तक तक पानी उलपब्ध कराने के सवाल पर यह आंदोलन आरंभ हुआ. 30 घंटे तक लगातार आरा-सहार मुख्य पथ जाम करने के बाद अधिकारी वार्ता के लिए तैयार हुए थे. वार्ता में उक्त नहरों में पानी छोड़ने पर अधिकारियों ने सहमति दी तब जाकर सड़क जाम खत्म हुआ. लेकिन प्रशासन ने दोनों बिन्दुओं पर विश्वासघात किया. उपर्युक्त नहरों में पानी छोड़ने के लिए कोईलवर रजवाहा को बंद कर दिया. जिसके कारण सहार-संदेश के बीच बसे गावों के किसानों के बीच पानी को लेकर हाहाकर मच गया है. इस जालजासी के साथ-साथ वार्ता के बाद पदाधिकारियों ने आंदोलनकारियों पर मुकदमे भी दर्ज कर दिए. यह सरासर अन्याय है. उन्होंने कहा कि दरअसल इस समस्या के प्रति नीतीश-मोदी की सरकार पूरी तरह गैरजिम्मेवार है. सोन नदी में पानी है ही नहीं, लेकिन राज्य सरकार के लिए यह चिंता का कोई विषय नहीं है. जिसकी वजह से कभी धान का कटोरा कहलाने वाला शाहाबाद का जिला आज भयानक सूखे की चपेट में है. सोन नहर प्रणाली पूरी तरह खत्म होने के कगार पर है. उन्होंने बिहार सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करते हुए सोन नदी में पर्याप्त मात्रा में पानी लाने के उपायों पर पहलकदमी लेने तथा आंदोलनकारियों पर किए गए मुकदमे वापस लेने की मांग की है.

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