बिहार : भोजपुर में आंदोलनरत किसानों की मांगों को अविलंब पूरा करे सरकार : माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

बिहार : भोजपुर में आंदोलनरत किसानों की मांगों को अविलंब पूरा करे सरकार : माले

उत्तर बिहार में बाढ़ का खतरा, सरकार के बाढ़ पूर्व तैयारी की एक बार फिर पोल खुली
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पटना (आर्यावर्त डेस्क)  6 जुलाई, भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने भोजपुर जिले में नहरों में अविलंब पानी छोड़ने और विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चतकालीन रोड जाम व भूख हड़ताल पर बैठे किसानों की मांगों का पुरजोर समर्थन किया है और बिहार सरकार से उनकी मांगों को अविलंब पूरा करने की मांग की है. कहा कि भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी के सदस्य मनोज मंजिल व किसान नेताओं के नेतृत्व में किसानों का चलने वाला यह आंदोलन किसानों के प्रति मोदी व नीतीश सरकार के वास्तविक रूख की पोल खोलने वाला है. उन्होंने कहा कि रोहणी नक्षत्र के बाद अब अदरा नक्षत्र भी बीत रहा है लेकिन नहर विभाग ने अब तक नहरों में पानी नहीं छोड़ा है जिसकी वजह से किसानों के सामने गंभीर समस्याएं उठ खड़ी हुई हैं. मजबूरन किसानों को आंदोलन में उतरना पड़ा है. इसलिए किसानों की मांगों पर सरकार को अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नहरों मेें पानी छोड़ने के अलावा नहर की विभिन्न शाखाओं को भी चालू करवाने की मांग उठाई जा रही है. नीतीश सरकार कृषि रोड मैप की दुहाइयां तो जरूर देती है लेकिन आज तक सोन नहर प्रणाली को ठीक नहीं करा सकी जिसकी वजह से उस तरफ भोजपुर और इधर पटना-अरवल-औरंगाबाद जिलों के किसानों के सामने संकट खड़े हो गए हैं. किसानों की मांग नहर सिस्टम को जिंदा करने की है. नहर व उसकी शाखाओं से 20 वर्ष पहले तक सिंचाई होती थी लेकिन पिछले 20 वर्षों से कृषि के लिहाज से भोजपुर जैसे उन्नत जिले की जमीन भी परती पड़ते जा रही है. सरकार नहरों को चालू करने की बजाए उलटे उसका निजीकरण कर रही है. यदि इन नहरों की उड़ाही की जाती तो किसानों को तो पानी मिलता ही मजदूरों को भी काम मिलता लेकिन सरकार का रवैया इसके प्रति पूरी तरह उदासीन है.

बाढ़ से निपटने की सरकार की तैयारी की पोल खुली
माले राज्य सचिव ने कहा कि एक ओर जहां दक्षिण बिहार के लोग नहरों में पानी की मांग पर आंदोलनरत हैं, वहीं उत्तर बिहार में अभी ही बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है. मुजफ्फरपुर, अररिया, किशनगंज और कई अन्य जिलों में तटबंधों के टूटने से कई गांवों के सामने संकट पैदा हो गया है. कोसी व सीमांचल में नदियों उफान पर हैं. सुपौल में कई गांवों के संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गए हैं. मुजफ्फरपुर में बागमती पर बेनीपुर, महुआरा, भरथुआ रिंग पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. मोतिहारी के कई गांव भी प्रभावित हो चुके हैं. भाकपा-माले विधायक सुदामा प्रसाद बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए इन इलाकों में रवाना हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि पहली बारिश में ही बाढ़ का खतरा इस बात को जाहिर करता है कि पुरानी गलतियों से बिहार सरकार ने कुछ भी नहीं सीखा. बड़े-बड़े दावों की हकीकत यह है कि एक बार फिर उसका आपदा प्रबंधन पूरी तरह फ्लाॅप साबित हो रहा है. बाढ़ हरेक साल आती है लेकिन सरकार उसे नियंत्रित करने का कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रही है और लाखों लोगों की जिंदगियों से खेल रही है. कहा कि एक तरफ उत्तर बिहार में बाढ़ का कहर आरंभ हो गया है तो दूसरी ओर सरकार अभी पटना में बाढ़ से निपटने के लिए सेना को पूर्वाभ्यास ही करवा रही है. साथ ही बाढ़ को रोकने का ठोस प्रयास करने की बजाए सरकार हर साल नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने का अफवाह पैदा करती है.  भाकपा-माले बाढ़ पीड़ित इलाकों में अविलंब राहत अभियान चलाए जाने की मांग करती है.

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