- भूमि आंदोलन के दौरान बेगूसराय और जमुई में माले नेताओं व अन्य आंदोलनकारियों पर किए गए फर्जी मुकदमे.फर्जी मुकदमों से गरीबों के आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता.
पटना 5 जुलाई, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने बेगूसराय व जमुई जिले में पार्टी के नेतृत्व में चले भूमि आंदोलन के दौरान के माले नेताओं व अन्य आंदोलनकारियों पर थोपे गए फर्जी मुकदमों की कड़ी आलोचना की है और बिहार सरकार से इन मामलों में हस्तक्षेप करते हुए इन मुकदमों को अविलंब वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार दखल देहानी आॅपरेशन की दुहाइयां देते नहीं थकती लेकिन वास्तविक अर्थों में गरीबों-दलितों को उजाड़ने का अभियान चल रहा है. बरसो - बरस से जिस जमीन पर दलित-गरीब बसे हैं नीतीश-मोदी राज में उन्हें बेरहमी से विस्थापित कर दिया जा रहा है. और जब गरीब अपनी पहलकमदमी पर कहीं सीलिंग, भूदान अथवा गैरमजरूआ जमीन पर कब्जा जमाते हैं तो उनपर कई प्रकार के फर्जी मुकदमे लादकर प्रताड़ित किया जाता है. इससे साफ जाहिर है कि नीतीश-मोदी सरकार दलित-गरीबों को वास-चास का कोई भी अधिकार नहीं देना चाहती है. उन्होंने आगे कहा कि विगत 1 जुलाई को बेगूसराय जिले के डंडारी प्रखंड के बांक गांव में 500 की संख्या में मुसहर समुदाय के गरीबों को गैरमजरूआ जमीन पर बसाया गया. बसाने के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं घटी फिर भी प्रशासन इसे अराजक कार्रवाई बताकर गरीबों-महादलितों पर दमन अभियान चला दिया है. 85 लोगों को नामजद व 200 को अज्ञात अभियुक्त बनाया गया है और उनके ऊपर 7 प्रकार के फर्जी मुकदमे थोप दिए गए हैं. यहां तक कि भाकपा-माले की राज्य कमिटी के सदस्य व बेगूसराय जिला के सचिव दिवाकर प्रसाद पर भी 2 फर्जी मुकदमे थोप दिए गए. दरअसल स्थानीय प्रशासन पूरी तरह भाजपा नेता व केंद्रयी मंत्री गिरिराज सिंह के एक रिश्तेदार के इशारे पर चल रहा है, जो इस गैरमजरूआ जमीन पर अपना दावा जता रहा है. जाहिर है कि दलित-गरीबों के प्रति भाजपा का रवैया बेहद संवेदनहीन है. इस प्रखंड के कई पंचायतों में सीलिंग, गैरमजरूआ, कैसरे हिंद जैसी सरकारी जमीनों पर दबंगों व अपराधियों का कब्जा है लेकिन प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवई नही करता.
उसी प्रकार विगत 4 जुलाई को जमुई जिला के खैरा प्रखंड के मांगोंबंदर में मुसहर समुदाय से आने वाले दलित-गरीबों ने लगभग 500 की संख्या में अपने को गोलबंद कर गैरमजरूआ जमीन पर अपनी झोपड़ियां डाल ली. लंबे समय ये दलित-गरीब प्रशासन से उक्त जमीन पर बसाए जाने की मांग कर रहे थे लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया. झोपिड़यंा डालते गरीबों पर पर दबंगों ने हमला किया जिसमें गोविन्द मांण्ी का सर फट गया और कई लोग बुरी तरह जख्मी हो गए. प्रशासन ने उलटे इन्हीं लोगों पर मुुकदमा थोप दिया. भाकपा-माले जमुई जिला के सचिव शंभु शरण सिंह, आइसा के प्रदेश अध्यक्ष बाबू साहब, सिन्टु, बासुदेव राय आदि माले नेताओं के उपर फर्जी मुकदमे भी थोप दिए गए. दबंगों द्वारा किए गए हमले का प्रतिकार गरीबों ने भी जमकर किया. भाकपा-माले ने कहा है कि उक्त दोनों घटनाएं बेहद साफ तौर पर इंगित करती हैं कि दलित-गरीबों के प्रति सरकार घोषणाएं तो बड़ी-बड़ी करती है, लेकिन उन्हें जमीन पर दखल नहीं मिल रहा है, उलटे उनके उजड़ने की उलटी प्रक्रिया आरंभ हो गई है. सरकार का यह रवैया बेहद निंदनीय है.
उन्होंने सभी आंदोलनकारियों पर से फर्जी मुकदमे अविलंब वापस लेने की मांग की है.
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