नई दिल्ली, 28 जुलाई, केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि एसएनसी लवलीन मामले में सभी भ्रष्टाचार और आपराधिक आरोपों से मुक्त किए गए केरल के मुख्यमंत्री को 'मुकदमे का सामना करना चाहिए।' अदालत में पेश किए गए हलफनामे में सीबीआई ने इस मामले में विजयन और दो अन्य को बरी किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस संबंध में केरल उच्च न्यायालय का निर्णय 'सही नहीं' था। सीबीआई ने 23 जुलाई, 2017 के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है। इस फैसले के तहत विजयन, ऊर्जा विभाग में पूर्व मुख्य सचिव के. मोहनचंद्रन, विभाग के तत्कालीन संयुक्त सचिव ए. फ्रांसिस को मामले से बरी कर दिया था। उच्च न्यायालय ने बाकी आरोपियों के खिलाफ मामला चलाने का आदेश दिया था। बाकी आरोपी केरल राज्य बिजली बोर्ड के अधिकारी थे। सीबीआई ने उच्च न्यायालय द्वारा कुछ आरोपियों को बरी करने और कुछ के खिलाफ मामला चलाने के आदेश पर आपत्ति जताई। एजेंसी ने कहा, "विजयन को भी एक ही तरह के अपराध के लिए मुकदमे का सामना करना चाहिए।" सीबीआई ने कहा, "प्रत्येक आरोपी द्वारा किए गए कार्य का निर्णय एक समुचित सुनवाई के बाद किया जा सकता है और कुछ आरोपियों को बरी कर देने से इसके परिणाम पर असर पड़ सकता है।" केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने मामले पर मीडिया से कहा कि यह साबित हो गया है कि वे जो कहते थे वह सही था। विजयन को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए..हम कह रहे थे कि इसमें उनकी भूमिका है। विजयन ने हालांकि मामले में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह मामला कनाडियन कंपनी एसएनसी लावलीन से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1997 में केरल के इडुक्की जिले में इस कंपनी से पल्लीवसाई, सेनगुलम, पन्नियार जलविद्युत परियोजनाओं के उन्नयन और उन्हें आधुनिक बनाने के लिए करार किया गया था, जिससे राज्य को 266 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। विजयन उस समय केरल के ऊर्जा मंत्री थे।
रविवार, 29 जुलाई 2018
केरल के मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार मामले का सामना करना चाहिए : सीबीआई
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