मधुबनी : मधुबनी स्टेशन को रंगने वाले कलाकारों ने रोका रेल, मांगा हक़ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 22 जुलाई 2018

मधुबनी : मधुबनी स्टेशन को रंगने वाले कलाकारों ने रोका रेल, मांगा हक़


मधुबनी  (आर्यावर्त डेस्क) 21 जुलाई, 13 जुलाई को मधुबनी स्टेशन पर मिथिला चित्रकला के कलाकारों द्वारा जयनगर-दिल्ली स्वतंत्रता सेनानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस रोके जाने के बाद रेलवे अधिकारियों द्वारा आंदोलन को तत्काल कुछ दिनों के लिए स्थगित करने के आग्रह को मानते हुवे एक ज्ञापन जिसमे कलाकारों ने 7 दिन के अंदर पूरे मधुबनी स्टेशन प्रकरण की जांच हेतू एक निष्पक्ष कमिटी का गठन एवं कमिटी द्वारा इस प्रकरण की जांच करवाने की मांग की गई थी । 7 दिन की वो अवधि पूरी हो जाने के पर कलाकारों ने पुनः ज्ञापन और ईमेल के माध्यम से रेलमंत्री भारत सरकार, जी एम हाजीपुर, डी आर एम / ए डी आर एम समस्तीपुर को 24 घण्टे की और मौहलत दी गई । आज इस 24 घण्टे पूरा हो जाने के बाद दिन के 12 बजे सैकड़ो कलाकारों ने मधुबनी स्टेशन पहुंच ट्रेन परिचालन को रोका । कलाकारों ने रेलवे पर आरोप लगाते हुवे निम्न बाते कहीं हैं

1. रेलवे इस पूरे आयोजन के आय व्यय का लेखा जोखा सार्वजनिक करे ।
2. कार्यक्रम समाप्ति के कई महीनों के बाद किस आधार पर करोड़ों के टर्नओवर वाली पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को इस पूरे आयोजन का आयोजक दिखाया गया । इस मामले की जांच हो ।
3. कलाकारों के संग्रह में मुख्य भूमिका निभाने वाले क्राफ्टवाला और ग्राम विकास परिषद को इस आयोजन में मदद के लिए प्रशस्ति पत्र जारी करें ।
4. किस आधार पर 200 से अधिक कलाकारों में से मात्र 5 कलाकारों को मधुबनी स्टेशन पर काम किये कलाकारों का प्रतिनिधि बना रेलमंत्री से सम्मानित किया गया । इसके पीछे किस अधिकारी और कलाकारों की मिलीभगत है उसकी जांच हो ।
5.यदि ये 5 कलाकार मधुबनी स्टेशन पर काम किये कलाकारों के प्रतिनिधि बनके रेलमंत्री से मधुबनी स्टेशन को स्वच्छता और सुंदरता में द्वितीय स्थान आने का पुरस्कार लेने गए थे । तो रेलवे द्वारा किस आधार पर उन 5 कलाकारों के व्यक्तिगत नामों से सर्टिफिकेट जारी किया गया । इस तरह की लापरवाही क्यों ?
6. पूरे मधुबनी स्टेशन पर हुवा पेंटिंग कार्य जब श्रमदान था तो कलाकारों को दिए गए प्रशस्ति पत्र में श्रमदान शब्द का उल्लेख ना होना और करोड़ो के टर्न ओवर वाली पब्लिक सेक्टर की कंपनियाँ (पावर ग्रिड कॉरपोरेसहन, कोल इंडिया लिमिटेड आदी) को अंदर ही अंदर प्रायोजक बना इस पूरे आयोजन को कलाकारों के श्रमदान से बदल कर कम्पनियों के सौजन्य से कर देना । किसी घोटाले की ओर संकेत करता है।

 क्राफ्टवाला राकेश झा का कहना है कि सम्पूर्ण मधुबनी स्टेशन मिथिला पेंटिंग से सजाने के प्रस्ताव का उल्लेख खुद DRM समस्तीपुर रवींद्र कुमार जैन ने 2 ओकटुबर को मधुबनी स्टेशन पर हुवे कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में मानते हुवे राकेश झा के प्रयासों की सराहना की थी । पर जैसे जैसे ये कार्य आगे बढ़ा रेलवे के अधिकारी गणनाथ झा ने इस पूरे प्रोजेक्ट के उद्दश्यों को अपने अहंकार की भेंट चढ़ा दी । परिणामस्वरूप जो मधुबनी और मिथिला चित्रकला का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल होना था वो तो नही ही हुवा साथ ही साथ गणनाथ झा की एक से बढ़कर एक बचकानी हरकतों ने इस पूरे आयोजन को ही विवादित बना दिया । कलाकार सोनू निशांत ने कहा है कि इस सारे प्रकरण में आज कलाकार खुद को ठगे महसूस कर रहे हैं । ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न ये उठता है कि इन सबके लिए कौन जिम्मेवार है ? क्राफ्टवाला, ग्राम विकास परिषद या रेलवे के कुछ ऑफिसर । अतः हम कलाकरों की ये मांग है कि एक जांच कमिटी का गठन हो और जो भी दोषी है उनपर कड़ी से कड़ी करवाई हो ।

कलाकार रमेश मंडल के अनुसार आज के इस आंदोलन में सैकड़ो कलाकरों की सक्रिय भागीदारी से एक बात तो स्पष्ठ होती है कि कलाकारों में आक्रोश है और वो इस लड़ाई को अंजाम तक पहुचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं । अतः रेल प्रशासन को चाहिए कि ऐसे हालात को पैदा करने वाले अधिकारियों को जब तक इस पूरे मामले की जांच ना हो उन्हें सस्पेंड किया जाय । पूरे 2 घन्टे जब स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन मधुबनी स्टेशन पर खड़ी रही तो कलाकारों की माँग को स्थानीय जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने अपने प्रतिनिधी sdo सुनील कुमार और dsp कमिनिबाला को स्थल पर भेज माना और खुद जिला प्रशासन के तरफ से रेलवे बोर्ड को इस सारे प्रकरण पर जाँच कमिटी गठित करने का आग्रह करने की बात कही । तब जा कर कलाकारों ने अपने आंदोलन को बंद कर ट्रेन को जाने दिया ।

आज के इस आंदोलन में सीमा कुमारी , चतुरानंद झा, रत्नेश झा, रमेश मंडल, रानी कुमारी, हेमा कुमारी, चंद्रकांत बारी, आनन्द लाल, विजय कुमार, अमरेंद्र कुमार, सत्यजीत झा क्राफ्टवाला और ग्राम विकास परिषद आदि के कलाकारों ने अपनी सक्रिय भागीदारी दी ।

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