नयी दिल्ली, 26 जुलाई, लोकसभा में आज कांग्रेस के दो सदस्यों ने अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक कानून से जुड़ा एक फैसला देने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ में शामिल रहे एक न्यायाधीश को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने का मुद्दा उठाया । उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से दलितों में बहुत नाराजगी है और ऐसे में एनजीटी के नए अध्यक्ष को हटाया जाना चाहिए। सदन में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुल खडगे ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती से जुड़े मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक अधिसूचना का हवाला दिया और आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति,जनजाति और ओबीसी के आरक्षण को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। खड़गे ने कहा कि सरकार ने न्यायाधीश को सेवानिवृत्त होने के तत्काल बाद एनजीटी का अध्यक्ष बना दिया गया जिससे दलित समाज बहुत नाराजगी है क्योंकि इस न्यायाधीश ने एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून को कमजोर करने वाला फैसला दिया था। कांग्रेस के ही के. सुरेश ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार तत्काल एनजीटी के नए अध्यक्ष को हटाए। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार आरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है तथा एससी-एसटी कानून में कोई बदलाव नहीं होगा। सरकार ने फैसले के खिलाफ अपील की है। गौरतलब है कि पिछले महीने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एके गोयल को सेवानिवृत्ति के बाद एनजीटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
गुरुवार, 26 जुलाई 2018
लोकसभा में उठा एनजीटी के नए अध्यक्ष की नियुक्ति और विश्वविद्यालयों में आरक्षण का मुद्दा
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