दुमका : आयोजित किया गया स्ट्रेस मेनेजमेंट व्याख्यान माला। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 26 जुलाई 2018

दुमका : आयोजित किया गया स्ट्रेस मेनेजमेंट व्याख्यान माला।

एसकेएमयू विवि मिनी कॉन्फ़्रेन्स हॉल में प्रति कुलपति की अध्यक्षता में आयोजित किया गया स्ट्रेस मेनेजमेंट व्याख्यान माला। 
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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में  दिन बुधवार को एसकेएमयू विवि  के मिनी कॉन्फ़्रेन्स हॉल में प्रति कुलपति प्रो हनुमान प्रसाद शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। राँची विवि में  प्रोफ़ेसर मीरा जायसवाल का एक व्याख्यान स्ट्रेस मैनज्मेंट पर संपन्न हुआ।  इस व्याख्यान के प्रारम्भ में सिदो कनहु मुर्मू वि वि के तीन वरिष्ठ शिक्षकों डॉक्टर गगन कुमार ठाकुर , प्राचार्य एस पी कॉलेजएवं ड़ीन विज्ञान , डॉक्टर हीरालाल राम , डॉक्टर ए पी अम्बुज को उनके उत्कृष्ट सेवा के लिए विभागाध्यक्ष स्वतंत्र कुमार सिंह ने अंग वस्त्र एवं पुष्प गच्छ देकर सम्मानित किया गया . इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो शर्मा , ड़ीन प्रो वाई पी राय ,एवं प्रो मीरा जायसवाल को भी अंग वस्त्र एवं पुष्प गच्छ देकर सम्मानित किया गया . प्रो मीरा जायसवाल ने अपने व्याख्यान में तनाव के करणो और उससे पड़ने वाले प्रभाव की विस्तृत चर्चा की . उन्होंने तनाव से उत्पन होने वाले बीमारियो के बारे में भी बतलाया .उन्होंने तनाव कम करने के लिए जीवन शैली में बदलाव के लिए कहा .डॉक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने प्रारम्भ में स्वागत भाषण दिया . धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर ए एन पाठक ने किया एवं मंच संचालन डॉक्टर अजय सिंहा ने किया।  विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष, प्रोफेसर ए के चटोराज ने एक सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। उनका विषय था 'झारखंड के धार्मिक पुनरुद्धार आन्दोलनों में राजनीतिक अधिस्वर'। उन्होंने औपनिवेशिक काल मे उन्नीसवीं सदी के दौरान झारखंड में आदिवासियों के बीच हुए विभिन्न धार्मिक आंदोलनों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इन सब का एक प्रबल राजनीतिक आयाम भी था। चाहे वह संतालों का खेरवार आंदोलन हो, या हो का हरिबाबा आंदोलन या मुंडाओं का तनाभगत आंदोलन हो। हर ऐसे धार्मिक पुनरुद्धार आंदोलन में राजनीतिक पुट देखा गया जैसे अंग्रेज़ों को कर नहीं देने का आह्वान, आदिवासियो के अपने राज और शासन की कामना इत्यादि। ये सभी धार्मिक आंदोलन बीसवी सदी के पूर्वार्द्ध में गांधी से प्रभावित रहे तथा उनके आंदोलन में और कांग्रेसी अधिवेशनों में भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे। इन आंदोलनों ने भले ही शराब बंदी, अपने आदिवासी धर्म में सुधार, हिन्दू धर्म के कुछ अंशों का अनुकरण, साफ सफाई, इत्यादि धार्मिक पहलुओं पर ज़ोर दिया परन्तु इन सभी का एक राजनीतिक आयाम भी था इससे कतई इनकार नहीं किया जा सकता। यही कारण था कि अंग्रेज़ी हुकूमत ने इन आंदोलनों पर अंकुश भी लगाया।

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