केरल बाढ़ में 483 की मौत, वार्षिक परिव्यय से अधिक हुआ नुकसान : विजयन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

केरल बाढ़ में 483 की मौत, वार्षिक परिव्यय से अधिक हुआ नुकसान : विजयन

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तिरुवनंतपुरम, 30 अगस्त,  केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने गुरुवार को कहा कि बाढ़ आपदा में 483 लोगों ने अपनी जान गंवाई और बाढ़ से हुए नुकसान का अनुमान हमारे राज्य के वार्षिक परिव्यय से कहीं अधिक है। आपदा पर चर्चा के लिए बुलाए एक दिवसीय विशेष सत्र में बहस की शुरुआत करते हुए विजयन ने कहा कि 14 लोग अभी भी लापता हैं हालांकि बाढ़ का पानी राज्य के लगभग सभी हिस्सों में कम हो गया है। उन्होंने कहा कि बाढ़ की वजह से करीब 14.50 लाख लोग तीन हजार राहत शिविरों में रह रहे हैं। राज्य में आई बाढ़ को सदी की सबसे भीषण बाढ़ बताया जा रहा है। उन्होंने कहा, "नए आंकड़ों के मुताबिक, अब 59,296 लोग 305 राहत शिविरों में रह रहे हैं। कुल 57 हजार हेक्टेयर कृषि फसलें बर्बाद हो गईं। नुकसान का अनुमान हमारे राज्य के वार्षिक परिव्यय से अधिक है।" मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम विभाग ने बारिश से संबंधित पर्याप्त चेतावनी दी थी, लेकिन अप्रत्याशित बारिश ने जल प्रलय ला दिया। उन्होंने कहा कि नौ से 15 अगस्त तक 98.5 एमएम की बारिश का अनुमान लगाया गया था जबकि राज्य में 352.2 एमएम की बारिश हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक वी.डी. सतीशन ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह एक मानवजनित आपदा है। सतीशन एर्नाकुलम जिले के परावुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। एर्नाकुलम जिला बाढ़ और बांध के पानी से जलमग्न हो गया था। उन्होंने कहा, "यह प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि एक मानवजनित आपदा है क्योंकि बांध जल प्रबंधन के गलत नियंत्रण के कारण ऐसा हुआ। राज्य के बांध पहले से ही पूरे भरे हुए थे और बांध के पानी को अंधाधुंध तरीके से छोड़ देना इस आपदा का प्रमुख कारण रहा।" सतीशन ने कहा, "कई बांधों को मध्यरात्रि को खोल दिया गया। समय की जरूरत है जिम्मेदारी तय करने की, और यह पता लगाने की इसके लिए कौन जिम्मेदार है।" दिग्गज विपक्षी विधायक के.एम. मणि ने बचाव प्रयासों की सराहना की लेकिन कहा कि अगर उचित बांध प्रबंधन नीति अपनाई गई होती तो इस त्रासदी से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा, "अब त्रासदी खत्म हो गई है, पुनर्वास कार्यो पर व्यवस्थित रूप से ध्यान देना होगा।" मणि ने कहा कि नए केरल के निर्माण में लगने वाले पैसे को एक अलग खाते में एकत्र किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम सभी जानते हैं कि जब ओखी ने तबाही मचाई थी तो क्या हुआ था और अभी भी मुख्यमंत्री के आपदा राहत कोष में रखे पैसे का उचित हिसाब किताब नहीं है। इसलिए एक अलग खाता बनाया जाना चाहिए।"

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