पटना: यह कयास लगाया जा रहा है कि बिहार और झारखंड के ईसाई लोग मिलकर बारम्बार ईसाई मिशनरियों को टार्गेट बनाने की सरकारी रणनीति के खिलाफ एकजूट होकर मैदान में आएंगे. सोशल मीडिया में एक बुद्धिजीवी ने झारखंड में रहने वाले ईसाई अल्पसंख्यकों पर सरकारी जुल्म होने की बात सामने लायी.वहीं उन्होंने संत मदर टेरेसा और उनकी संस्था पर सरकारी सवाल पर ही सवाल खड़़ा कर दिए हैं कि केवल सरकारी जांच केवल संत मदर टेरेसा संस्था को ही क्यों? बी.जे.पी.के सत्तासीन होने लगातार चर्च पर हमले होते चले गए हैं.ईसाई धर्म पर भड़काऊ बातें प्रचारित हो रहा है. इस बीच रांची से खबर है कि रीजनल बिशप्स काउंसिल ने ईसाई संगठनों पर कार्रवाई का सख्त विरोध किया है और कहा कि सरकार का रवैया दमनकारी साबित हो रहा है.वहीं पुलिस भी गिरफ्तार कर लेने की धमकी दे रही है.
विदेशी मुद्रा नियंत्रण कानून
विदेशी मुद्रा नियंत्रण कानून (एफसीआरए) के उल्लंघन के आरोप पर 88 ईसाई गैरसरकारी संस्थाओं के प्रति सरकार के रवैये को झारखंड व अंडमान रीजनल बिशप्स काउंसिल (झान) ने पूर्वाग्रह से ग्रसित, राजनीति से प्रेरित और दमनकारी बताया है. संस्था के अध्यक्ष आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो ने कहा है कि एफसीआरए मामले में पुलिस इन गैरसरकारी संगठनों के स्थानीय संचालकों को धमकी दे रही है कि वे अपने हिसाब- किताब का ब्योरा, रसीद, रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज, चल- अचल संपत्ति का ब्याेरा और पासवर्ड सहित ई-मेल आदि 24 घंटे के अंदर पुलिस काे सुपुर्द करें. ऐसा नहीं करने पर उनकी संस्था पर छापा मार कर उन्हें गिरफ्तार किया जायेगा.
यह घोर आश्चर्यजनक है
विकास भारती जैसे गैरसरकारी संगठनों पर कोई जांच प्रकाश में नहीं आ रही है, जबकि ऐसी संस्थाएं भी विभिन्न स्रोतों से आर्थिक सहायता प्राप्त करती है़ं सरकार का यह रवैया पक्षपातपूर्ण है़ मानहानि के मामले बनते हैं आर्च बिशप टाेप्पाे ने कहा कि सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट -1860 के अनुसार ऐसी सोसाइटी के कार्यकलापाें की जवाबदेही उनकी गवर्निंग बॉडी व जेनरल बॉडी की है़ इसलिए सूूचीबद्ध गैरसरकारी संगठनों ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि उन्हें आदिवासियों के धर्मांतरण से संबंधित आरोपों से जुड़ी ठोस घटना की जानकारी व तथ्य उपलब्ध कराये जायें.यह अब तक नहीं किया गया है.
ठोस आरोप उपलब्ध कराये
इन मामलों में कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआइ) व बिलीवर्स चर्च से संबंधित ठोस आरोप उपलब्ध कराये जायें, ताकि आरोपित पक्ष अपनी सफाई दे सकें. उपरोक्त दोनों संस्थाआें से इतर अन्य सूचीबद्ध गैर सरकारी संगठनों पर लगाये जानेवाले आरोप मानहानि के मामले बनते है. संबंधित गैर सरकारी संगठन इसके अनुरूप कानूनी कार्रवाई की मांग कर सकते है.
लगाये गये हैं ये आरोेप
रीजनल बिशप्स काउंसिल ने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर झारखंड के मुख्य सचिव ने सीआइडी को जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है. इस पर सीआइडी एडीजी ने विभिन्न जिलों के एसपी को आदेश दिया है. उन्हें यह निर्देशित किया गया है कि आरएसएस- भाजपा से संबद्ध केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की व महासचिव संजय तिर्की ने झारखंड के राज्यपाल से 88 एफसीआरए वाले एनजीओ के खिलाफ यह आरोप लगाते हुए शिकायत की है कि झारखंड में कार्यरत इन एनजीओ ने विदेशी फंड का इस्तेमाल भोले- भाले आदिवासियों के धर्मांतरण पर किया है.
ऐसी परिस्थिति में तब एफसीआर सुविधा रद्द हो
इसलिए इन संगठनों को प्राप्त होनेवाली एफसीआरए सुविधा को रद्द कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाये. इसकी प्रति मुख्यमंत्री एफसीआरए डिपार्टमेंट के असिस्टेंट सेक्रेटरी, केंद्रीय गृह मंत्रालय, झारखंड के मुख्य सचिव, गृह सचिव, रजिस्ट्रार जेनरल व इंस्पेक्टर जेनरल आॅफ पुलिस को भी दी गयी थी. अॉडिटेड एफसीआरए अकाउंट के दस्तावेज गृह विभाग को दिये गये हैं. आर्च बिशप ने कहा कि अॉडिटेड एफसीआरए अकाउंट भारत सरकार के गृह विभाग को दिये जा चुके है. निबंधन और अनापत्ति दस्तावेज भी संबद्ध मंत्रालय को दिये गये है. हम कहना चाहते हैं कि इन संस्थाओं के पासवर्ड सहित ई-मेल, रसीदों, तमाम दस्तावेजों की फोटो कॉपी, चल- अचल संपत्ति का ब्याेरा, वाहनों आदि की जानकारी 24 घंटे के भीतर दाखिल करना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है. गैर सरकारी संगठनों पर लगाये जा रहे आरोपों की ठोस जानकरी उन्हें उपलब्ध करायी जाये, ताकि वे दस्तावेजी साक्ष्य सहित अपना जवाब दे सकें.
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