- प्रोटेस्टेंट के खिलाफ सख्त कदम उठाये सी.बी.सी.आई.
पटना (आर्यावर्त डेस्क) : बी.जे.पी.अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री राजन क्लेमेंट साह प्रोटेस्टेंट के क्रियाकलाप के विरूद्ध हैं। इन लोगों के द्वारा राह-राह में ईश वचन पुस्तिका वितरित नहीं करने का परामर्श दिए हैं।इन धार्मिक पुस्तकों को पढ़ते नहीं वरण कूड़े के ढेर फेंक देते हैं। कुल मिलाकर बी.जे.पी.नेता राजन कहते हैं कि प्रोटेस्टेंट के कारण ही रोमन कैथोलिक के कार्डिनर, बिशप, फादर,सिस्टर और लोगों को सरकारी टारगेट बनना पड़ता हैं।अपने हक अधिकार के लिए सड़क पर उतरना पर रहा है। आंतकवादी और देशद्रोही तक कहने लगे हैं। इससे स्वच्छ छवि वाले रोमन कैथोलिक दागदार हो जा रहे है। आगे कहते हैं कि यह ऐतिहासिक सत्य है कि सन् 1517 ई. में मार्टिन लूथर (1483- 1546) के धर्म सुधार आंदोलन का श्रीगणेश हुआ और 1521 में यह काफी जोर पकड़ लिया। पोप के कैथोलिक संप्रदाय के विरुद्ध ईसाई मत के ही प्रोटेस्टेंट संप्रदाय का उदय हुआ। फिर यह जर्मनी के बाहर अन्य यूरोपीय देशों में फैल गया। व्यक्तियों ने अपने आपको पोप के धार्मिक आदेशों के बंधनों से तथा कुछ देशों ने स्वयं को चर्च की प्रभुसत्ता से मुक्त कर लिया। धीरे-धीरे यह आंदोलन फैलता चला गया। चर्च ने इस धर्म आंदोलन को पूर्ण रूप से दबाने की चेष्टा की। विरोधियों को कारावास में डाला गया। अनेक यातनाएं दी गर्इं। कुछ स्वतंत्र विचारधारा के व्यक्तियों को जीवित जला दिया गया। फिर भी यह धर्म सुधार आंदोलन पनपता ही गया और अंत में इसने पोप की प्रभुसत्ता को समाप्त करके ही दम लिया। मध्य युग के पश्चात आधुनिक युग के प्रारंभिक दर्शन का समय रहा। इसमें कुशा निवासी निकोलस, गिओर्दानो ब्रूनो, टोमस कैम्पानेला, फ्रांसिस बेकन, टॉमस हाब्स का नाम प्रमुख है। आज मार्टिन लूथर की तरह लोग प्रोटेस्टेंट के खिलाफ आग उंगलने लगे हैं। उनमें बी.जे.पी.के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री राजन क्लेमेंट साह हैं,जो रोमन कैथोलिक हैं और चर्च के वफादार भी हैं उनका कहना है कि प्रोटेस्टेंट द्वारा बिहार और झारखंड में धर्म परिवर्तन कराने का धंधा चलाया गया। उसका खामियाजा रोमन कैथोलिक भुगत रहे हैं। इस ओर पहल सी.बी.सी.आई.करे। उनके अधिकारियों से मिले। ऐसा नहीं करने से रोमन कैथोनिकों को ही सरकार निशाना बनाती रहेगी।
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