बेगूसराय (अरुण कुमार) बेगूसराय नगर निगम की बदहाली लागातार बढ़ती ही जा रही है।ये बदहाली किसी एक कारण से नहीं है,यहाँ की आबादी दिन व दिन बढ़ती जा रही है और आदमियों के जरूरतों की कोई सीमा ही नहीं रह गई है।जमीन जितना था उताना ही आज भी है और कल भी रहेगी,मगर आबादी पर जैसे कोई अंकुश ही नहीं उसपर नए नए टेक्नोलॉजी के कारण आदमियों की जरुरत भी बढ़ती ही जा रही है।इस बढ़ते हुए जरुरतों की पूर्ति के लिये हर रोज कहीं न कहीं नये नये दुकान खुल रही है,मकान बन रहे हैं दुकानों के लिये,जिसके पास जितनी जमीन है उसी में दुकान के नाम पर छोटे छोटे कमरानुमा बनाकर अच्छा खासा अग्रिम राशि लेकर मकान बना दिया जाता है,और दुकान खोलने के लिये छोटे बड़े पूंजीपतियों को दे दिया जाता है।ये पूंजीपतियों को जो जगहें मिल जाती है इसी को लेकर अपना दुकान तो चलाने लग जाते हैं मगर अतिक्रमण करते है सड़कों का,दुकान के बाहर चौकी,बेंच आदि लगाकर सामान दुकान के बाहर भी सजा देते हैं,कुछ तो सड़क इस तरह कम हो जाते हैं बाकी बचे जगहों पर फेरीवाले अपना ठेला लगा देते हैं जिसके कारण सड़क सिमट कर रह जाती है और परेशानियों का सामना करना पड़ता है राह चलते राहगीरों को।सुबह से रात्रि के 10/11बजे तक तो इसकी नजारा देखते ही बनता है।मेन रोड खातोपुर,बिशनपुर होते हुए हर हर महादेव चौक,खातोपुर से N H 31 का भी यही हाल हर हर महादेव चौक तक रहता है।साथ ही कहचरी रोड से ट्रैफिक चौक तक आनेवाली सड़कों का भी हाल देखते ही बनता है।बेगूसराय की जमीन तो एकदम सिकुड़ती जा ही रही है साथ ही नगर के आस पास इलाकों का भी जमीन शहरी दुष्प्रभाव के कारण सिमटता जा रहा है।कारण सबको लालच दौलत कमाने की लग गई है तो व्यापार बढ़ रही है और जमीन सिमटती जा रही है।आनेवाले समयों में ऐसा प्रतीत होता है कि खेती के लिये जमीन ही नहीं रहे।ये बातें तो सामान्य दिनों की है अगर कोई पर्व त्योहार का दिन आ जाये तो फिर पैदल चलने वालों को जो कठिनायों का सामना करना पड़ता है इस बात से प्रशासन और नगर निगम आयुक्त सभी भली भाँती परिचित हैं।फिर भी इसका निदान किन्हीं के पास नहीं।अब बरसात के मौसम में जहाँ तहाँ सड़क का जीर्ण-शीर्ण हालात,पानी के बहाव का कोई साधन नहीं जहाँ तहाँ पानी का लग जाना,बाजार में गन्दगी रहना जहाँ तहाँ कूड़ा कर्कट का अम्बार गन्दगी और बदबू से भरा शहर ये बेगूसराय पता नही कब स्वच्छ भारत का हिस्सा बनेगा भी या नहीं ये कहना फिलहाल तो सम्भव ही नहीं है आगे क्या होगा कौन जाने।
बुधवार, 1 अगस्त 2018
बेगूसराय : बढ़ती आबादी,सिकुड़ता शहर।
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