हाइकोर्ट इस पर संज्ञान ले, आखिर सीबीआई एसपी को महज 20 दिनों में क्यों हटाया गया?
पटना 2 अगस्त 2018, वाम दलों ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की जांच कर रहे सीबीआई के एसपी जेपी मिश्रा को महज 20 दिनों में हटाने की कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि इसके जरिए सरकार ने संदेहों को और बढ़ावा दिया है. वाम दल सरकार से जानना चाहते हैं कि आखिर वे कौन सी वजहें थीं जिसकी वजह से सीबीआई एसपी को इतना जल्दी हटाना पड़ा? भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, सीपीआई (एम) के राज्य सचिव अवधेश कुमार, सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, एसयूसीआई (सी) के राज्य सचिव अरूण कुमार सिंह, आरएसपी के वीरेन्द्र ठाकुर और फारवर्ड ब्लाॅक के अशोक कुमार ने संयुक्त बयान जारी करके सीबीआई एसपी को हटाने के संबंध में सरकार से यह प्रश्न पूछा है. उन्होंने यह भी पूछा कि जब जांच पटना उच्च न्यायालय के निर्देशन में चल रहा है, तब सीबीआई एसपी को हटाने के पहले पटना उच्च न्यायालय से अनुमति ली गई या नहीं? वाम नेताओं ने कहा कि बिहार की जनता के लंबे आंदोलनों के उपरांत मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की सीबीआई जांच आरंभ हुई. इस संस्थागत यौन उत्पीड़न के तार सत्ता के शीर्ष तक पहंुचने का अंदेशा पहले से ही लगाया जाता रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह सबकुछ राज्य सरकार के संरक्षण में हुआ है. नीतीश कुमार के ही पास लंबे समय से सूचना व जनसंपर्क का विभाग है जिसके जरिए नकली अखबारों को करोड़ों का विज्ञापन दिया गया. इसी के जरिए ब्रजेश ठाकुर की लूट व दरिंदगी का साम्राज्य खड़ा हुआ. नीतीश-मोदी के एनजीओ माॅडल के तहत ही तमाम एनजीओ की फंडिंग होतेे रही है, जिसने अनाथ बच्चे-बच्चियों-महिलाओं की सेवा-सुरक्षा के बदले पूरे तंत्र को लूट, यातना और सेक्स रैकेट का अमानवीय व घृणित खेल बना दिया. ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार व सुशील मोदी भी शक के दायरे में हैं. सीबीआई एसपी को अचानक हटाने से यह शक और मजबूत हो रहा है. वाम नेताओं ने कहा कि चूंकि यह जांच पटना उच्च न्यायालय के निर्देशन में चल रहा है. इसलिए माननीय उच्च न्यायालय से आग्रह है कि सीबीआई एसपी को हटाने के सवाल पर वह स्वतः संज्ञान ले और जांच में पारदार्शिता बरकरार रखने की गारंटी करे.
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