कोफी अन्नान की समानता एवं अधिकार के लिए लड़ने की विरासत हमेशा रहेगी जीवंत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 20 अगस्त 2018

कोफी अन्नान की समानता एवं अधिकार के लिए लड़ने की विरासत हमेशा रहेगी जीवंत

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संयुक्त राष्ट्र, 19 अगस्त, कोफी अन्नान ने गरीबी का मुकाबला करने, समानता को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों के लिए लड़ने के आदि क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र को काफी सशक्त बनाया और ताउम्र वह इन समस्याओं को एकजुट होकर हल कर रहे देशों की आवाज बने रहे और इसके साथ ही वह बढ़ते राष्ट्रवाद को लेकर चिंतित भी रहे। कोफी अन्नान 1997 से 2006 तक संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के पद पर काबिज रहे। अन्नान की सबसे बड़ी उपलब्धियां देशों के बीच असमानता को कम करने, संक्रामक रोगों से लड़ने, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और नरसंहार सहित गृहयुद्धों को रोकने के लिए कार्यक्रम एवं योजनाएं लाना था। गरीबी कम करने, महिलाओं के लिए समानता को बढ़ावा देने,प्रत्येक बच्चे की प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करने, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने और एड्स को फैलने से रोकने के लिए वर्ष 2000 में उन्होंने विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान ’संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों’ की शुरुआत की थी। इन सभी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए वर्ष 2015 की समय सीमा तय की गई थी।  अन्नान को वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र के साथ नोबेल शांति पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। गौरतलब है कि कल संक्षिप्त बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। कोफी अन्नान का जन्म 8 अप्रैल,1938 को घाना के कुमासी में हुआ था। उन्होंने 1961 में सेंट पॉल मिन्नेसोटा में मैकैलेस्टर कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। वहां से वह जिनेवा चले गये जहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मामलों में स्नातक अध्ययन शुरू किया और अपने यूएन करियर की शुरूआत की। अन्नान ने एक नाइजीरियाई महिला तिती अलाकिजा से 1965 में विवाह किया। उनकी एक बेटी आमा और पुत्र कोजो हैं। वह 1971 में अमेरिका लौटे और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से मास्टर डिग्री हासिल की। वह 1970 दशक के दौरान अपनी पत्नी से अलग हो गये थे और स्वीडिश वकील नाने लागेगग्रेन से 1984 में दूसरी शादी की।

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