- (पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिवार के सदस्यों तक का नाम एनआरसी (National Register of Citizens) की लिस्ट में नहीं है।)
भाजपा की केन्द्र सरकार हर वो हथकंण्डा अपनाना चाहती है। जिसके जरिये चुनावी समर को जीता जा सके।
कुछ उदाहरण:
1. देश के खजाने से कॉर्पोरेट्स को हजारों अरब रुपये लुटा दिये गये!
2. विज्ञापन के नाम पर हजारों करोड़ रुपये मीडिया हाऊसों में बांट दिया गये!
3. मुसलमानों के घरों में पति-पत्नी को एक दूसरे का दुश्मन बनाने के लिये तीन तलाक विधेयक लाया जा रहा है!
4. ओबीसी, अजा एवं अजजा के आरक्षण को परोक्ष रूप से समाप्त करने के लिये रोस्टर प्रणाली जैसे नये-नये हथकंडे अपनाये जा रहे हैं!
5. आदिवासियों के अस्तित्व को समाप्त करने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ में यह घोषणा की गयी कि कि भारत में आदिवासी रहते ही नहीं!
6. संयुक्त राष्ट्र संघ में डॉ. अम्बेड़कर की जयंती मानाने की सहमति नहीं दी गयी।
7. अब एनआरसी (National Register of Citizens) के नाम पर देश में रह रहे सम्मानित मुसलमान नागरिकों को विदेशी और शरणार्थी घोषित किया जाकार अपमानित और प्रताड़ित किया जा रहा है।
8. बताया जा रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिवार के सदस्यों का नाम तक एनआरसी (National Register of Citizens) की लिस्ट में नहीं है।
9. जिसका कानूनी अर्थ यही है कि पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिवार के सदस्य भारत के नागरिक नहीं, बल्कि भारत में शरणार्थी/विदेशी हैं।
10. ऐसे में कल्पना करना सहज है कि कितने सारे लोगों को जानबूझकर शरणार्थी/विदेशी घोषित करके मतदान से वंचित किया जाना भाजपा सरकार का मकसद है।
निंदा और भर्त्सना: हक रक्षक दल (HRD) के देशभर में सेवारत करोड़ों समर्थक और सदस्यों की ओर से हक रक्षक दल द्वारा केंद्र सरकार की इस संविधान विरोधी नीति की कड़े शब्दों में निंदा और भर्त्सना की जाती है। साथ ही देश के शांतिप्रिय तथा इंसाफ पसंद लोगों से आह्वान एवं अनुरोध किया जाता है कि चौकन्ने और सावधान रहें, क्योंकि संघ के इशारे पर संचालित सत्ताधारी भाजपाइयों द्वारा देश के माहौल को बिगाड़ने हेतु लोगों को गुमराह करने के लिये नये-नये तरीके ईजाद किये जाकार लागू किये जा रहे हैं।
सवाल: इन हालातों में यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा चुनावी लक्ष्य हासिल करने के लिये हिंदू और मुसलमान के बीच नफरत और दुश्मनी का माहौल बनाना चाहती है? बेशक देश टुकड़े-टुकड़े ही क्यों न हो जायें और बेशक इस कारण संविधान की चीथड़े ही क्यों न करने पड़ें?
निर्णय का वक्त: अत: देश के 90 फीसदी वंचित/MOST (Minority+OBC+SC+Tribals) समुदायों को जातिगत एवं धार्मिक भावनाओं से ऊपर उठकर निर्णल लेने का वक्त आ गया है, जबकि संघ और भाजपा से जुड़े किसी भी व्यक्ति को जातिगत आधार पर एक भी वोट नहीं दें। बेशक ऐसा व्यक्ति हमारे परिवार का सदस्य ही क्यों न हो? अन्यथा इस एक छोटी सी गलती की सजा हमारी आने वाली पीढियों को भुगतनी पड़ेगी।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल
(HRD) सामाजिक संगठन
संपर्क : 9875066111
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें