दुमका : डॉ (प्रो) मनमोहन मिश्र की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 26 अगस्त 2018

दुमका : डॉ (प्रो) मनमोहन मिश्र की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) विद्वान वक्ता,  साहित्यकार,  समीक्षक व सतीश स्मृति मंच के अध्यक्ष  डॉ  (प्रो) मनमोहन मिश्र की स्मृति में    क्वार्टर पाड़ा, दुमका के सतीश चौरा में दिन शनिवार (25 अगस्त  2018) को एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया  गया। अनायास उनके निधन को  साहित्यप्रेमियों ने संताल परगना सहित अंग क्षेत्र के साहित्य के लिए अपुरणीय क्षति बताया। अरुण कुमार सिन्हा ने उनके व्यक्तित्व को नदी की तरह प्रवाहमान बताते हुए कहा कि उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब  हममें  साहित्यिक ऊर्जा उसी अवस्था में बची रहे जैसा कि उनके जीवितावस्था के दौरान थी।   विश्वजीत राहा ने उन्हें हिंदी का जीता-जागता ग्रंथ कहा। अंजनी शरण ने उनके व्यक्तित्व को स्वाध्याय के साथ चिन्तन का सामंजस्य वाला बताया। हेना चक्रवर्ती ने कहा  हिंदी, संस्कृत, अंगिका विषयों के ज्ञान के  भंडार थे वे।  डॉ  यू एस आनन्द ने  सरल, निष्कपट, मुग्धकारी व्यक्तित्व के स्वामी की संज्ञा देते हुए कहा कि उनकी  जिह्वा पर साक्षात सरस्वती विराजती थी।  अशोक सिंह ने उनके साथ बिताए गये क्षणों व उनके संस्मरणों को याद किया। शिवनारायण यादव ने अपनी कविता 'प्यार का शबनम लूटाने कौन आयेगा' के माध्यम से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ. सी एन मिश्रा ने डॉ  मनमोहन मिश्र को ज्ञान का सागर वाला व्यक्तित्व बताया।  कमलाकांत प्रसाद    सिन्हा  ने उनके  व्याख्यानों को स्मारित करते हुए कहा उनको सुनकर सहज एहसास हो जाता था कि वे  विराट व्यक्तित्व के स्वामी हैं। राजीव नयन तिवारी ने  उनके निधन को बिहार, झारखंड के साहित्य जगत के लिए  अपुरणीय क्षति कहा।  मनोज घोष ने उनके साथ बिताए गये क्षणों को याद किया। अंजनी सिन्हा ने अपनी कविता 'तुम थे तो संसार था' से उन्हें याद किया। अनंतलाल खिरहर ने उन्हें सरल शब्दों में साहित्य की व्याख्या करनेवाले अद्भुत व्यक्तित्व का स्वामी कहा।  वरीय कवि शंभूनाथ मिस्त्री ने उनके विषय ज्ञान, विषय की सर्वज्ञता व सूक्ष्म अनुशीलन की तारीफ की।  नवीन गुप्ता ने गज़ल के परिप्रेक्ष्य में उनके द्वारा दिए गये अमूल्य सुझावों से श्रोताओं को अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता  डॉ० रामवरण चौधरी कर रहे थे।  भावुक होते हुए उन्होंने कहा  कंठ आज अवरुद्ध हैं, स्मृतियां अनंत है उनके ,किसे रखूूं  किसे छोड़ूंंगा।  यह  सच है कि साहित्याकाश से एक नक्षत्र टूट गया। मंच के सचिव कुन्दन कुमार झा ने कहा इस चौरे में  साहित्यिक गतिविधि चलती रहे यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।  दुमका से  बाहर  रहने की वजह से श्रद्धांजलि सभा से अनुपस्थित  अमरेन्द्र सुमन ने वाट्स एप के जरिए अपनी संवेदना विद्यापति झा को भेजा और कहा साहित्य के क्षेत्र में अंग जनपद और संताल परगना के  साहित्यिक  कार्ययक्रमों में उनकी उपस्थिति व  व्याख्यान  प्रभावकारी हुआ करते।  वे दधिची थे, मृत्यु  पूर्व तक  जिन्होंने हिन्दी सााहित्य की जी भर कर सेवा की।  डॉ आर के नीरद ने अपनी श्रद्धांजलि उद्गार बेतार के माध्यम से प्रेषित किया।इसके पूर्व  शहर के तमाम साहित्यकारों/ साहित्य प्रेमियों ने  पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धा निवेदित किया।  मंच का संचालन कर रहे विधापति झा ने सतीश स्मृति मंच के लिए उनके महाप्रयाण को अपुरणीय क्षति बतलाया।  कार्यक्रम में साहित्यकारों/साहित्य प्रेमियों नवीन चन्द्र ठाकुर, ॠतुराज कश्यप, अमन कुमार, रोहित कुमार अम्बष्ट, संतोष पाल, मनीष कुमार, बंशीधर पंडित, अनुराग कुमार,  पवन कुमार झा, अमृता झा, चंपा देवी, अर्णव झा इत्यादि उपस्थित थे।

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