- अब उनकी कृति अनमोल नेत्र ही शेष है, उनकी रोशनी से अवरूद्ध जिंदगी में आएंगी उमग
पटना: शेखपुरा में है इंदिरा गाँधी आर्युविज्ञान संस्थान.यहां पर आई.बैंक है. जो अनमोल आँखों को सुरक्षित रखने में कामयाब है.इस संस्थान को तरक्की तक पहुंचाने में सी.एम.नीतीश कुमार को श्रेय जाता है.जो बिहारियों की सेवा में लगे रहते हैं. बता दें कि संस्थान में अनेक विभाग खुले हैं जिसके कारण बाहर में जाकर इलाज करवाने की जरूरत नहीं है.कम लागत में संस्थान में ही इलाज संभव है. इसमें क्रोनिया ट्रांसप्लांट भी है. इसके आलोक में दूर दराज के लोग आते हैं आैर इलाज करवाकर चले जाते हैं. दुख की बात है कि जागरूकता के अभाव में लोग नेत्रदान नहीं कर पा रहे हैं जिसके कारण यहां पर करीब 300 लोग पंजीकृत हैं जिनको क्रोनिया ट्रांसप्लांट करवाना है.काफी दिनों से इंतजार कर रहे हैं. कोई नेत्रदान वीर मिलता ही नहीं है. हां, खुशी की बात है कि दधीचि देह दान समिति नामक गैर सरकारी संस्था ने बीड़ा उठाया है.इस समय समिति के सदस्यों ने अथक परिश्रम करके विजय जैन और उनके परिजनों को विश्वास में लेकर अपने 96 साल के पिता शांति लाल जैन ने पंच तत्व में विलिन होने के पूर्व दोनों आँख समाज को समर्पित करवाने में अहम भूमिका अदा किए. अब सवाल उठता है कि 300 लोगों में से वह 2 कौन भाग्यशाली हैं जो 96 साल पुरानी आँखों से कुदरत की चमत्कारिक चीजों को देख पाएंगे? विदित है कि समाज को देने की परंपरा में आज एक और ऐतिहासिक दान सामने आया. जब पटना में अंतिम सांस लेने वाले 96 वर्षीय श्री शांति लाल जैन जी ने पंचतत्व में विलीन होने से पहले अपनी दोनों आंखे समाज को समर्पित कर दी ! दो दिनों में आई.जी.आई.एम.एस. में क्रोनिया ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे 300 लोगों में से दो लोग पहली बार उनकी आंखों से देखेंगे ! इस दुख की घड़ी में इतना बड़ा निर्णय लेने वाले उनके पुत्र श्री विजय जैन जी और उनके परिवार के साथ श्री विमल जैन जी और आई बैंक को दधीचि देह दान समिति की ओर से धन्यवाद!
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