नई दिल्ली, 15 अगस्त, प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने बुधवार को यहां कहा कि व्यवस्था की आलोचना करना, उसपर हमले करना और उसे बर्बाद करना बहुत आसान होता है, लेकिन इसके स्थान पर उसे रूपांतरित करने और सुधारने के प्रयास करने चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने शीर्ष न्यायापालिका के अंदर और बाहर से विरोध की आवाजों पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, "कुछ तत्व हो सकते हैं, जो संस्थान को बर्बाद करने की कोशिश करें, लेकिन न्यायपालिका इसके आगे हार मानने से इंकार कर देगा।" मिश्रा ने यह बयान सर्वोच्च न्यायालय में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय बार कौंसिल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में दिया। समारोह में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के भाषण में वर्णित 'पहचान की राजनिति' का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, "मैं बहुत खुश हूं कि कानून मंत्री ने नागरिकों की पहचान के बारे में बात की। यह पहचान मानवता के विचार पर आधारित होनी चाहिए, जोकि मूल रूप से संवैधानिक और वैध है।" प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "हम इस पथ पर कितना चलते हैं, वह केवल भविष्य ही बताएगा।"
गुरुवार, 16 अगस्त 2018
व्यवस्था को बर्बाद या कमजोर न करे : प्रधान न्यायाधीश
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