नई दिल्ली, 2 अगस्त, सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया से बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के आश्रय गृह में नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की तस्वीरों व वीडियो नहीं प्रसारित करने को कहा। न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने एक शख्स द्वारा अदालत को पत्र लिखने के बाद इस घटना पर स्वत: संज्ञान लिया। इस पर न्यायालय ने बिहार सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जवाब मांगा है। अदालत ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से भी सहायता मांगी है। पीठ ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की पहचान उजागर करने पर चिंता जताई। अदालत ने (मॉर्फ) तस्वीर भी प्रकाशित नहीं करने की बात कही है। मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामला इस साल की शुरुआत में प्रकाश में आया था जब बिहार समाज कल्याण विभाग ने टीआईएसएस द्वारा किए गए सोशल ऑडिट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सिफारिश के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो ने रविवार को आश्रय गृह दुष्कर्म मामले की जांच संभाल ली।
शुक्रवार, 3 अगस्त 2018
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह पीड़िताओं की पहचान उजागर नहीं करें : सुप्रीम कोर्ट
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