पटना: आज संत मोनिका का पर्व है। कुर्जी पल्ली में स्थित प्रेरितों की रानी ईश-मंदिर में पोप फ्रांसिस द्वारा मनोनीत पटना आर्च बिशप के कोएड्जुटर सेवास्टियन कल्लुपुरा को सम्मानित किया गया।इससे पहले मनोनीत कोएड्जुटर सेवास्टियन कल्लुपुरा बक्सर धर्मप्रांत थे। कोएड्जुटर का मतलब 'उप' होता है।इसका मतलब पटना धर्मप्रांत के उप अार्च बिशप हैं सेवास्टियन कल्लुपुरा। वे 64 साल के हैं। 11 साल तक बिशप के रूप में कार्य कर सकते हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आर्च बिशप से ऊपर कार्डिनल तक जा सकते हैं।
करूणामयी हैं संत मोनिका
सर्वज्ञात है कि करुणा की दृष्टि से देखने का नाम ही संत मोनिका है। कलीसिया की अच्छी शारीरिक और आत्मिक देखभाल के लिए माताओं की जरुरत है। काथलिक महिला संघ की भूमिका न केवल महत्वपूर्ण रही बल्कि उसे इस नाम से जाना जाने लगा। आज रविवार को माताओं की संरक्षिका संत मोनिका के पर्व है। कुर्जी पल्ली ने संत मोनिका के पर्व मनाने का निश्चय किया है। इस अवसर पर प्रेरितों की रानी ईश-मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान होगा। संत पिता फ्रांसिस ने बक्सर धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष सेवास्टियन को कोएड्जुटर मनोनीत किया। संत मोनिका का जीवन भी संतान के प्रति माता की करुणा-दृष्टि का ही वर्णन है। उनके पुत्र संत अगुस्तीन के मन फिराव में उनकी करुणामय प्रार्थना और त्याग, तपस्या की विशेष भूमिका मानी जाती है। ऐसा करके उन्होंने समस्त कलसिया के लिए माता मरियम की भूमिका को उजागर किया। संत पापा फ्रांसिस कहते हैं ' माता मरियम हमेशा पवित्र आत्मा के साथ लोगों के बीच उपस्थित रहती हैं।... वे कलीसिया की माता हैं। जो सुमाचारी साक्ष्य देती हैं और माता मरियम के बिना हम समझ भी नहीं पाएंगे कि नये सुसमाचारी साक्ष्य का क्या मतलब है।' आज हमारा व्यापक समाज टकराव की मुद्रा में है। यह टकराव स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भी दिख रहा है। सामाजिक टकराव की परिस्थितियों में महिलाओं की भूमिका अद्वितीय हो सकती हैं। यहां की कलीसिया में तो महिला संघ ही एक चमत्कार रहा है। हमारे तमाम पूर्वजों के समर्पण और सूझ-बूझ के कारण ही हम आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं। पटना महाधर्मप्रांत के चरवाहे की हैसियत महाधर्मप्रांत के स्तर पर मैं संत मोनिका के स्मरण दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
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