बेगुसराय (आर्यावर्त डेस्क) 11 अगस्त, पश्चिमी चम्पारण के बेतिया गाँव के एक सामान्य किसान के घर "गोपाल सिंह नेपापाली का जन्म 11 अगस्त 1911 को हुआ।इनका पूरा नाम गोपाल बहादुर सिंह "नेपाली"था।इन्होंने अपने नाम के साथ नेपाली इसलिये लगाया था कि ये भारत और नेपाल के समीपवर्ती क्षेत्र के रहनेवाले थे।नेपाली भाषा पर भी इनकी अच्छी पकड़ थी और इन्होंने हिन्दी के साथ साथ नेपाली भाषा में भी कइएक कविता और गीत लिखे।हिन्दी भाषा में इनकी प्रकाशित कृतियों में उमंग,पंछी,रागिनी,पंचमी,नवीन और हिमालय ने पुकारा प्रमुख है।इसके अतिरिक्त प्रभात,सुधा,रतलाम टाइम्ब व योगी साप्ताहिक का प्रकाशन भी किया।श्रृंगार,प्रणवआदि गीतों से श्रोताओं और पाठकों का दिल जीतने वाले "नेपाली" की कलम से कई ऐसी रचनायें प्रकाशित है।जो राष्ट्रप्रेम के गीतों से युवाओं में देश भक्ति के भावों का भरपूर संचार किया था।इनकी रचना लगभग नवो रसों में प्रकाशित है जिसमें से कुछ एक का नाम पाठकों के जानकारी के लिये प्रस्तुत है।जैसे:-श्रृंगार रस में-वसंत गीत,तारे चमके तुम भी चमको।करुण रस में:-कुछ ऐसा खेल रचो साथी,डीप जलता रहा रातभर आदि। शांत रस में:-मेरा देश बड़ा गर्वीला,भाई बहन,बाबुल तुम बगिया के तरुवर आदि।अद्भुत रस:-नवीन कल्पना करो आदि।वीर रस में:-यह दिया बुझे नहीं,तुम आग पर चलो,शासन चलता तलवार से,मेरा धन है स्वाधीन कलम आदि वीर रस की कविताओं में से एक है।
राजा बैठे सिंहासन पर,यह ताजों पर आसीन कलम।मेरा दहैँ है स्वाधीन कलम।
जिसने तलवार शिवा को दी,रोशनी उधार दीवा को दी। पतवार थमा दी लहरों को,खंजर की शेर हवा को दी। अग जग में उसी विधाता ने,कर दी मेरे आधीन कलम। मेरा धन है स्वाधीन कलम..................
इतना ही नहीं इनको हिन्दी के गीतकारों में भी मान्यता/स्थान प्राप्त है।इन्होंने फल्मों के लिये भी तकरीबन 400 गीत लिखे।फिर असमय ही 17 अप्रैल 1963 को भागलपुर रेलवे स्टेशन पर ही यात्रा के दौरान अपने जिन्दगी के 51वर्ष 6महीन 5दिन पूरा कर्तव्य हुए पंचतत्व में विलीन हो गये।इस आयोजन में शेर के लब्ध प्रतिष्ठित श्री भगवान प्रसाद सिंह,बहु चर्चित कवि उद्घोषक प्रफुल्ल चन्द्र मिश्र,भुवनःवार प्रसाद सिंह,अनुज झा,अभिषेक कुमार,आयोजन कर्ता जनकवि दीनानाथ सुमित्र और बेगूसराय,डुमरी स्थित विकास विद्यालय के संस्थापक राज किशोर सिंह आदि के साथ विद्यालय के छात्र भी उपस्थित थे।यह आयोजित कार्यक्रम का आयोजन स्थल भी विकास विद्यालय का प्रांगण ही था। आपको ये भी बताते चलूँ की गोपाल सिंह नेपाली के पुत्र नकुल सिंह नेपाली ने मुम्बई के उच्च न्यायालय में फ़िल्म स्लमडॉग मिलेनियर के निर्माताओं के खिलाफ एक याचिका दायर की है,जिसमें यह कहा गया है कि डैनी बॉयल ने "दर्शन दो घनश्याम"गाने के लिये सुर दास को उध्दृत किया है जो गलत है।ये गाना इनके पिता जी गोपाल सिंह नेपाली का है।इसके लिये 5 करोड़ रुपये का मुआवजा सूद के साथ मांग किया गया है जो कि जग विदित है।
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