बेगूसराय : बारह दिवसीय श्री विजय राघव ठाकुरवाड़ी में झूला का भव्य आयोजन। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 26 अगस्त 2018

बेगूसराय : बारह दिवसीय श्री विजय राघव ठाकुरवाड़ी में झूला का भव्य आयोजन।

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बेगूसराय (अरुण कुमार)  कहानी बहुत ही पुरानी है,मगर आज भी वही ताजगी वही रवानी है।ग्राम बदलपुरा बेगूसराय के ठाकुरवाड़ी की प्राप्त जानकारी के अनुसार।वर्तमान महन्थ श्री रामानन्द "रामायणी"जी से एक भेंटवार्ता।महन्थ जी बताते हैं कि सन 1815/20 के दशक में ठाकुर श्री विजय राघव जी महाराज यहाँ ठाकुरवाड़ी निर्माण कर ठाकुर जी की स्थापना करने के लिए उद्धत हुए किन्तु ग्रामीणों ने रोकथाम,के साथ उपद्रव भी करना शुरु कर दिये।इस पर आक्रोशित हो ठाकुर श्री राघव जी ने ग्रामीणों को शाप दे दिया कि जाओ जिसने भी इस शुभ कार्य को करने में अड़चन डाला है उसका बदन सुख जाएगा,शाप के प्रभाव से उपद्रवियों का समयानुसार धीरे धीरे बदन सूखने लगा।जो भी हृष्ट-पुष्ट शरीर से थे वे सुखारोग से ग्रस्त हो गए,फिर सम्पूर्ण ग्रामवासी आकर उनसे क्षमा याचना करने लगे और मन्दिर निर्माण में जुट गए।किसी को क्या पता था कि यही स्वयं ठाकुर जी हैं।मन्दिर निर्माण कार्य का श्री गणेश होते ही सभी पीड़ितों की हालत में सुधार होना शुरु हो गया और मन्दिर बनते बनते ही सभी ठीक भी हो गए।फिर क्या था सभी ग्राम वासियों ने मिलकर बड़े ही धूम-धाम से ठाकुर जी की स्थापना करवायी, और उसी समय से श्रावण शुक्ल तृतीया से श्रावण पूर्णमासी तक झूले का आयोजन बड़े ही धूम-धाम से मनाते आ रहे हैं।इन दिनों जगह जगह से गायक मण्डली और जागरण ग्रुपों द्वारा भजन कीर्तन और जागरण का भव्य आयोजन किया जाता है।इस मन्दिर के स्थापना के बाद ठाकुर श्री विजय राघव जी समाधि ले लिये ऐसा कहा जाता है।इसके बाद कौन महन्थ बने इसकी जानकारी किन्हीं को नहीं उसके बाद क्रमशः महांथों की सूची कुछ इस प्रकार है:- स्वामी गुरुचरण दास जी,स्वामी राम खेलावन दास जी,स्वामी रामरुप दास जी,स्वामी पंडित श्री बलबीर दास जी महाराज और अब वर्तमान में महन्थ श्री रामानन्द दास जी महाराज हैं।बताया जाता है कि स्वामी पण्डित श्री बलबीर दास जी मूलतः रैली बाढ़ के निवासी थे।ये सन 1952 से इस ठाकुरवाड़ी में महन्थ पद पर आसीन रहे 1993 में स्वयं यह पद महन्थ श्री रामानन्द रामायणी जी महाराज को देकर ठाकुरवाड़ी का महन्थ घोषित वैदिक रीति से अभिषेकादि संस्कारोपरांत महन्थ की पदभर दिए।इसके बाद सन 1993 चैत्र शुक्ल रामनवमी के दिन अपने आप को शरीर से मुक्त कर लिये ये उनकी साधना की पराकाष्ठा ही कही जा सकती है।ठाकुर श्री विजय राघव जी का समय कुछ लोगों के अनुसार 1754 ईस्वी सन भी सुनने को मिलता है।जो भी हो यह ठाकुरवाड़ी पौराणिक कथाओं से ओत-प्रोत है।इस ठाकुरवाड़ी में श्री राम जानकी,लक्ष्मण और हनुमान जी के साथ साथ आँगन में एक शिव मंदिर भी है।यहाँ भाद्रपद में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का भी उत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है,जिसमें सम्पूर्ण ग्रामवासियों का भरपूर सहयोग रहता है।

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