- सेवा प्रदान करने की आपत्तिरहित 30 जून और आपत्ति प्राप्त होने की 18 अगस्त की अवधि खत्म,परिणाम शून्य
- 36 साल से परेशान हैं महादलित मुसहर
समेली,(डूमर). बिहार के नौकरशाह है बेलगाम.यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि उनकी कार्यशैली बोल रहा है. जिला भूदान यज्ञ कार्यालय,कटिहार के कार्यालय मंत्री ने पत्रांक -17/ 13-83 दिनांक 06.07.2013 के माध्यम से अंचलाधिकारी,समेली को कार्यालय से पत्र अग्रसारित किया.पत्र का विषय है भूदान नामानान्तरण करने के संबंध में.पत्र लेखन का प्रभाव पांच साल के बाद भी नहीं पड़ा.
कितने सी.ओ.वर्ष 2013 से वर्ष 2018 तक आए और चले गए
जिला भूदान यज्ञ कार्यालय,कटिहार के कार्यालय मंत्री ने पत्र में लिखा है कि मौजा बकियाडीह थाना नं.259 अंचल समेली जिला -कटिहार के अन्तर्गत पूर्व में ही भूदान भूमि वितरित की गई है,जिसमें से दो आदाताओं का पूर्ण विवरणी विहित प्रपत्र -10 पर अंकित नामानान्तरण हेतु भेजा गया है.प्रदत्त भूमि का दाता महाराज दरभंगा ग्राम दरभंगा है,जिसका केस नं.1882 तिथि 29.06.60 है.यह निवेदन किया गया कि बिहार भूदान यज्ञ अधिनियम 1954 की धारा 18 एवं 19 के तहत विहित प्रपत्र-10 में वर्णित आदाओं के नाम आवंटित 60 डिसमिल भूमि का भूदान का भूदान नामानान्तरण कर रसीद काटते हुए कार्यालय मंत्री को सूचित करें.वर्ष 2013 से वर्ष 2018 तक समेली अंचल के अंचल पदाधिकारी आए और चले गए.परंतु महादलित मुसहर समुदाय के दो आदाओं का भूदान नामानान्तरण नहीं किया सका.
और महादलित हिम्मत नहीं हारे
वर्ष 2013 में जिला भूदान यज्ञ कार्यालय,कटिहार ने समेली के अंचल पदाधिकारी को पत्र लिखा है.इसका सार्थक परिणाम सामने नहीं आने पर महादलित हिम्मत नहीं हारे.सी.एम.नीतीश कुमार का अस्त्र लोक सेवाओं का अधिकार का उपयोग किए.गांव/टोला/मोहल्ला:बकिया, पंचायत/वार्ड: डूमर,थाना:फलका,अंचल:समेली, अनुमंडल: कटिहार और जिला: कटिहार के झपटलाल ऋषि पिता खुबलाल ऋषि और जहरू ऋषि पिता लखपति ऋषि ने अलग-अलग नाम से दाखिल खारिज का आवेदन निष्पादन करने के लिए लोक सेवक अंचल अधिकारी को 08.06.2018 को दिए.वाद संख्या:M/00282/ 2018 है.सेवा प्रदान करने की समय अवधि:18 कार्यदिवस (आपत्तिरहित) /60 (आपत्ति प्राप्त होने पर). जनता दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम की ही तरह लोक सेवाओं का अधिकार भी हश्र होने लगा है. सेवा प्रदान करने की आपत्तिरहित अवधि 30 जून और आपत्ति प्राप्त होने की 18 अगस्त की भी अवधि खत्म होने के बाद भी परिणाम शून्य ही निकला. 31.06.1982 में बिहार भूदान यज्ञ कमिटी द्वारा प्रमाण-पत्र मिला है.36 साल से भूदान नामानान्तरण कराने के लिए मैराथन दौड़ लगा रहे हैं.
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