नई दिल्ली, 5 अगस्त, अखिल भारतीय मिथिला संघ की तरफ से यहां पहली बार मधुश्रावणी पर्व, मिथिला मधुर सावन महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान मधुश्रावणी पूजन, पुष्प क्रीड़ा, मैथिली गीत-संगीत सहित कई आकर्षक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। अंत में मिथिला के पारंपरिक मिष्ठान अल्पाहार के साथ महोत्सव का समापन हुआ। संघ के अध्यक्ष विजय चन्द्र झा ने कहा, "दिल्ली और आसपास में 40 लाख मैथिल रहते हैं। हमलोगों का यह कर्तव्य बन जाता है कि उनलोगों में अपनी संस्कृति, संस्कार, पर्व-त्योहार और उसके संरक्षण एवं संवर्धन में मैथिलानियों की भूमिका का प्रचार-प्रसार किया जाए।" संघ के महासचिव विद्या नन्द ठाकुर ने बताया कि इस पूजा में संस्कृत और मैथिली के मिश्रित शब्द और मन्त्र का प्रयोग होता है। बयान के अनुसार, मधुश्रावणी मिथिला की महिलाओं का पर्व है, जो नवविवाहिताएं 13 दिनों तक श्रावण कृष्णपक्ष की पंचमी तिथि से प्रारम्भ करती हैं। यह नेह, सौन्दर्य और आत्मिक समर्पण का पर्व है। यह पुरुष-प्रकृति, लोक-शास्त्र, संस्कृति-पर्यावरण के बीच तारतम्य स्थापित करता है। लड़की को सुघड़ स्त्री बनाता है। यह पर्व तीन भागों मे बिभक्त है - प्रथम, अरिपन अथवा तांत्रिक परंपरा से पूजास्थल का निर्माण एवं नित्य पूजाय, दूसरा कथा वाचिका के द्वारा प्रतिदिन कथा सुनानाय, तीसरा अंतिम दिन की पूजा और उसके बाद कुमारी लड़कियों और सुमंगलियों का भोजन।
सोमवार, 6 अगस्त 2018
मिथिला मधुर सावन महोत्सव दिल्ली में आयोजित
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