बिहार : अाखिर कब वैवाहिक रस्म की तरह की खुशी जोसेफ देखेंगा? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 20 अगस्त 2018

बिहार : अाखिर कब वैवाहिक रस्म की तरह की खुशी जोसेफ देखेंगा?

शेयर बाजार से परिवार की सेहद बनाने के चक्कर में प्रभु फंसा
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पटना : दीघा थाना क्षेत्र के फेयर फील्ड कॉलोनी में जोसेफ पीटर का पुश्तैनी घर को  प्रीति पीटर और प्रभु प्रकाश बिक्री करवाये दिए.लकवाग्रसित जोसेफ पीटर की बेटी और दामाद हैं. जोसेफ कहते हैं कि दरभंगा में प्रभु प्रकाश का घर है. मेरी बेटी कुर्जी होली फैमिली हॉस्पीटल से ए.एन.एम.की ट्रेनिंग पास की हैं.उसके बाद हॉस्पीटल में ही प्रीति कार्य करने लगी. गर्भधारण होने पर नौकरी छोड़ दी. इधर 2 साल से मियां- बीबी अपार्टमेंट में रहते थे.  परिवार की माली हालत खराब होने लगी.इसमें सुधार लाने की तरकीब दामाद करने लगे. शेयर बाजार से शेयर खरीदने लगे. दामाद के पास खुद का पैसा नहीं रहने पर इधर-उधर से एक दर्जन लोगों से व्याज पर ऋण ले लिए.वह भी भारी व्याज पर ऋण लिया गया.लेने लगा.आंख बंद कर शेयर में लगाते चले गए.

नोटबंदी से प्रभु प्रकाश पर आफत
करोड़ों रूपए शेयर बाजार में लगा चुके प्रभु प्रकाश नोटबंदी के प्रभाव में आ गए.जांच होने लगी और डेढ़ करोड़ की हिसाब नहीं दे सकने के कारण प्रभु प्रकाश का शेयर विवादस्पद हो गया.राशि निकल नहीं पा रही है.प्रभु प्रकाश देनदारी के डर से फरार हो गया है. जोसेफ पीटर की मां आगता पीटर का निधन 1985 में और पिताश्री पीटर डेविड का निधन 1989 में हो गया.इस समय दीघा थाना क्षेत्र के बालूपर मोहल्ला में रहते हैं.63 साल के  जोसेफ पीटर हैं.वे तीन साल से लकवा ग्रसित हैं.इनके 5  लड़की और 1लड़का है.इस परिवार में कोई काम करने वाला नहीं है.फिलवक्त रजनी जोसेफ और मनोज कुमार घर में रहते हैैं.लकवाग्रसित पिता की देखभाल रजनी करती हैं.मनोज कुमार नौकरी की तलाश में भटकता है.दोनों की शादी नहीं हुई है.

लकवाग्रसित जोसेफ पीटर बीमार है
रूलासे आवाज में जोसेफ कहते हैं कि मधुमेह और मूत्र संबंधी रोग से बेहाल हैं. कहते हैं पत्रिसिया जोसेफ की अकाल मौत हो गयी. देखते -देखते 23 साल गुजर गया.मगर देखते - देखते गरीबी दूर नहीं हुई.आफत की चादर ओढ़कर पत्नी के बारे में सोचता हूं.जोसेफ कहते हैं कि पत्नी को सांप डंस लिया.उसे उठाकर कुर्जी होली फैमिली अस्पताल ले गए.इमर्जेंसी में तैनात  सी.एम.ओ. ने मरीज पत्रिसिया की जांचकर कहा कि यह मरीज घर जाने लायक है.उसका नाम काट दिए हैं.आप लोग घर ले जाए.इस चिकित्सक ने तो मरीज को ऑब्जरवेशन में नहीं रखा. मरीज का बिल जमा करके जब परिजन मरीज को मैन गेट तक लेकर पहुंचे तो वह मुर्च्छितावस्था में चली गई. गंभीर स्थिति में पत्रिसियो को इमर्जेंसी में लेकर गए तो ड्यूटी में तैनात सी.एम.ओ.ने भरती कर ली.रात के अंधेरी में घटी घटना का पर्दाफाश मौत से हो गयी.लापरवाह चिकित्सक नौकरी से फरार हो गया. मृत्यु 21 जून 1995 को हुई.

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