मनन करने योग्य बातें।
बेगूसराय (अरुण कुमार) समाज के अंदर हर वो इंसान जो धन बल ज्ञान किसी में भी,ताकतवर हो जाए तो उसकी इच्छा रहती है एक बार विधायक सांसद मंत्री बन जाएँ।दिन प्रतिदिन इसके प्रति आसक्ति समाज के अंदर बढ़ती ही जा रही है समाज के प्रति कोई विनोबा भावे मदनमोहन मालवीय दिनकर या वैज्ञानिक अन्यत्र समाज के प्रति जवाबदेही लेना नहीं चाह रहें हैं।यहाँ तक की कार्य पालिका का सबसे बड़ा पद आई ए एस आई पी एस की भी प्रबल इच्छा शक्ति रहती है की एक बार सदन में चलें जाएँ।जब भी कोई कार्यक्रम त्यागी व्यक्ति की चर्चा होती है,लेकिन उनके पद्चिन्हों पर चलने को कोई तैयार नहीं।यह सोच दर्शाता है कि छोटा हो या बड़ा किसी भी सदन में जो भी जाते है उनका उद्देश्य सिर्फ धन अर्जित करना शोहरत पाना अपनी ताकत को बढ़ाना होता है।99% व्यक्ति सिर्फ भ्रष्टाचार की ताकत को बढ़ाने के लिए वहाँ जाते है।मैं अपने छात्र जीवन से देख रहा हूँ गरीबी हटाने की बात सभी करते आएं है,नौजवानों को रोजगार देने की बात सभी ने की है,महिलाओं को सुरक्षा देने की बात की है उसके व्यक्तित्व का महिमामडंन सभी ने किया लेकिन कई दशक बीत गए लेकिन देश के अंदर गरीबी बेरोजगारी महिलाओं का शोषण बढ़ता ही गया है।कम नहीं हुई है विचारधारा के साथ सत्ता आई है बदली है,लेकिन समाज की तस्वीर वद् से वद्त्तर होती ही चली गईं,सिर्फ भ्रष्टाचार घूसखोरी जातिवाद बढ़ता गया इससे यह देश के अंदर प्रतित होता है कि राजनीति मूल्यों का ह्रास हुआ है।उसके प्रति नौजवानों का आकर्षण दुखद है देश के अंदर सत्ता सिर्फ विभिन्न तरह से प्रतिनिधि को धन कमाने का रास्ता दिखाती है सेवा करने के लिए कोई सदन का सदस्य होना जरूरी नहीं,बल्कि समाज के किसी भी क्षेत्र में हम कार्य कर सकते है सामाजिक चेतना में बदलाव सिर्फ सामाजिक समावेशी विचारों के निर्माण से हो सकता है।किन्तु सत्ता परिवर्तन से नहीं हो सकता है इसलिए आम युवा समाज,अपने नजरिए को राजनीति सत्ता की ओर कम सामाजिक दायित्व के प्रति ज्यादा ध्यान दें उसी से हम समरस समसमायिक सामाजिक ताकत का निर्माण हम लोग देश के अंदर कर सकते है।
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