बेगूसराय (अरुण कुमार) कल श्रावण शुक्ल द्वादशी दिनांक 23 अगस्त 2018 रोज गुरुवार के दिन शुभ मुहूर्त में पञ्चदेव यानी शिव,पार्वती,गणेश,दुर्गा और विष्णु भगवान के प्रतिमाओं को स्थापित किया गया।स्थापित करने के पाँच दिन पूर्व से ही सभी मूर्तियों को पंचावास कराया गया।पंचावास यानी कि एक दिन जलावस एक दिन पुष्पावास,एक दिन फलावास,एक दिन अन्नावास और फिर एक दिन शैय्यावास के बाद 108 कन्याओं के माथेपर एक एक यानी 108 कलश लेकर हाथी, घोड़ा, ऊँट और पैदल श्रद्धालुओं के साथ नगर भ्रमण के उपरान्त वेदपाठी दर्जनों ब्राम्हणों द्वारा पञ्चदेवों की पूजा,प्राण प्रतिष्ठा सहित,स्थापना प्राचिन कालिक शनिदेव मंदिर के प्रांगण में किया गया।यहाँ स्थापित शनिदेव की बड़ी ही अजीबो गरीब कहानी है।बुजुर्गों से सुनी सुनाई कहानी के अनुसार अभी के निहायत ही बुजुर्गों का कहना है कि कभी,कहीं हमारे तुरहा समाज (सब्जी की खेती)करनेवालों पर,राजा बब्बर सिंह ने हमला बोल दिया था।कारण कभी हमारे विरादारों की भी सियासत हुआ करती थी।अचानक इस हमले के कारण हमारे पूर्वजों को भागना पड़ा था भागते भागते कहीं किसी जंगल में वे लोग भटक गए अन्न,पानी के बिना कई दिन बीत जाने से बुरा हाल हो गया था,तो उन हमारे पूर्वजों ने यूँ ही मिट्टी का दो पिण्डी बनाकर और उन्हें भगवान मानकर कल्याण हेतु प्रार्थना करने लगे।तभी एक स्त्री और एक पुरुष वहाँ आये और उनसे बोले कि तुम्हारा अवश्य ही कल्याण होगा,तुम इस दोनो पिण्डियों को लेकर पूर्व दिशा की ओर प्रश्थान करो जहाँ पर तुम्हें यह पिण्डी भारी लगाने लगे तुम जब इसे लेकर चलने में असमर्थ हो जाओ तो वहीं पर इस पिण्डियों को रखकर पूजा अर्चना करना शुरु कर देना वही तुम्हारा नगर होगा और वहीं तुम्हारा कल्याण भी होगा।इतना सुनते ही विपत्तियों से घिरे व्यक्तियों ने उन नर-नारी से परिचय का निवेदन किया कि आप इस घने जंगलों में कैसे?आप कौन हैं जो हमारे इस आपत्ति के घड़ियों में आ पधारे हैं।कृपया अपना परिचय दें इसकव लिये सभी हठ कर बैठे।इस पर दोनो ने कहा कि आज शनिवार है तुम सबों ने हमारी ही पूजा की है,इसलिये हम तुमपर प्रसन्न हैं।अपना परिचय और अपने स्वरूपों का दर्शन देते हुए कहा कि जहाँ कहीं भी इस पण्डियों कि स्थापना तुमसे होगा हम दोनों ही उस स्थान पर प्रत्येक शनिवार के दिन पूजा स्वीकारने स्वयं वहाँ रहेंगे।तुम इस बात को किसी और से नहीं कहना ये बात अपने मन में ही रखना।इतना कहते ही वे दोनों अंतर्ध्यान हो गये।वे दोनों पिण्डी लेकर चले तो इसी नगर में रखने को विवश होने के कारण पिण्डी को यहीं रखकर पूजा करने लगे।समय बीतता गया आगे चलकर उस पिण्डियों पर पीतल का कवर चढ़ा दिया गया,फिर दो आदमकद मूर्तियों की स्थापना की गई जिसमें एक शनि देव और दूसरा उनकी पत्नी संचला की और ये जगह शानिचरास्थान के नाम से प्रसिद्ध हो गया।आज उन्ही शनि देव के कृपा से पञ्चदेवों की भी स्थापना बड़े ही धूम-धाम,ढोल,बाजे,नगाड़े बजाते हुए हाथी, घोड़ा,ऊँट पालकी आदि सहित नगर भ्रमणोंपरान्त पञ्चदेवों की स्थापना का कार्य सम्पन्न हुआ।इस शानिचरास्थान के महन्थ शिव रतन साह हैं इसकी अपनी एक कमिटी है।जिसका संरक्षक अर्जुन साह हैं और बाकी के सदस्य भी इस प्रकार हैं।कारी साह,दीना साह,कन्हैया साह,मुन्ना साह,विनोद साह,मोहन साह,प्रदीप साह,विजय साह,रोहित साह, ओम प्रकाश साह एवं मनीष कुमार ठठेरी गली निवासी का सहयोग सराहनिय रहा।उपर्युक्त कार्यक्रम का आयोजन सभी तुरहा समाज के साथ साथ स्थानीय लोगों का भी सराहनिय योगदान रहा।
शनिवार, 25 अगस्त 2018
बेगूसराय : शानिचरास्थान में पंचदेवों की स्थापना।
Tags
# बिहार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
बिहार
Labels:
बिहार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें