देश की स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अपने पांचवें सम्बोधन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण अभियान प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान की घोषणा किये जाने से देश के निचले तबके के शोषितों , निर्धनों के स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन की एक नई उम्मीद जगी है । आयुष्मान भारत योजना के साथ ही संचालित की जाने वाली भारत के इस महत्वपूर्ण अभियान के अंतर्गत भारत वासियों को स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षा प्रदान की जाएगी । अपने मौजूदा कार्यकाल के आखिरी भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष में गगनयान भेजने और पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितंबर के दिन प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान की शुरुआत करने की घोषणा करते हुए कहा कि जन आरोग्य अभियान के तहत 10 करोड़ परिवारों के प्रत्येक सदस्य को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा । यह कार्य इस साल बजट में घोषित आयुष्मान भारत के तहत किया जाएगा । प्रधानमंत्री ने अभियान की घोषणा करते हुए कहा कि 10 करोड़ परिवार के तहत लगभग 50 करोड़ आबादी कवर होगी । प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आने वाले दिनों में मध्यम वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग के बीच इस योजना का विस्तार किया जाएगा । प्रधानमंत्री मोदी का यह सपना है कि हर भारतीय के पास अपना घर हो, हर घर के पास बिजली कनेक्शन हो, हर भारतीय को धुएं से मुक्ति मिले, हर भारतीय को जरूरत के मुताबिक जल मिले, हर भारतीय को शौचालय मिले, हर भारतीय को कुशलता मिले, हर भारतीय को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सेवा मिले, हर भारतीय को सुरक्षा मिले, इश्योरेंस की सेवा मिले, इंटरनेट की सेवा मिले। प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रीमंडल ने इस दिशा में पर्याप्त काम किया है और आयुष्मान भारत योजना के साथ ही संचालित की जाने वाली महत्वपूर्ण अभियान प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान प्रधानमंत्री की इसी सपने की परिकल्पना है। प्रधान मंत्री के घोषणा के अनुसार हालांकि यह अभियान 25 सितंबर 2018 को पंडित दीन दयाल जयंती पर संपूर्ण भारत में शुरू किया जाएगा, लेकिन जिस पर अभी से ही सबकी निगाहें लग गई हैं। प्रधानमंत्री की इस दिशा में लगन व इच्छा उनकी स्वतन्त्रता दिवस के सम्बोधन में भी झलकती है, जिसमें उन्होंने कहा है कि हमें रुकना मंजूर नहीं है, झुकना तो हमें आता नहीं है। अपने मन में एक लक्ष्य लिए, मंजिल अपनी प्रत्यक्ष लिए, हम तोड़ रहे हैं जंजीरे, हम बदल रहे हैं तस्वीरें। यह नवयुग है, यह नवभारत है, खुद लिखेंगे अपनी तकदीर, हम बदल रहे हैं अपनी तस्वीर। हम निकल पड़े हैं प्रण करके, अपना तनमन अर्पण करके, जिद है, एक सूर्य उगाना है, अंबर से उंचा जाना है। एक भारत नया बनाना है।
उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर 2018 को पंडित दीन दयाल जयंती पर संपूर्ण भारत में एक साथ प्रारम्भ की नए वाली इस अभियान के द्वारा भारतीय गरीब वर्ग के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाएगा । इसका मुख्य लाभ आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को दिया जाएगा । इस योजना के द्वारा परिवार के प्रत्येक सदस्य बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं सभी को समय पर अच्छी स्वास्थ्य उपलब्ध कराई जाएगी । तथा इसमें परिवार के हर सदस्य को कवर किया जाएगा और इसमें उम्र और परिवार में सदस्य संख्या का कोई बंधन नहीं होगा ।इसके तहत देशवासियों को सभी गंभीर बीमारियों के लिए बीमा कवर प्रदान किया जाएगा । इसी के साथ इसमें अस्पताल में भर्ती होने के पहले और बाद के सभी खर्चे शामिल होंगे. यह पूर्ण रूप से कैशलेस सुविधा होगी ।भारत के कुछ हिस्सों में आयुष्मान भारत योजना के तहत इस अभियान की शुरुआत हो चुकी है । कई जगह हेल्थकेयर सेंटर खोले जा चुके है और कई जगह इस संबंध में काम जारी है । आगामी 25 सितंबर से इस अभियान के तहत बीमा स्कीम का आगाज किया जाएगा, जिसके अंतर्गत परिवारों को मुफ्त बीमा सुविधा प्रदान की जाएगी ।यह योजना केंद्र और राज्यों के संयुक्त तत्वाधान में लागू होगी, परंतु इसे लागू करने का पूरा जिम्मा राज्य सरकार का होगा । इससे गरीब वर्ग भी निजी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त कर पाएगा । इस योजना के द्वारा गरीबों को बेहतर सुविधाएं तो मिलेंगी ही इसी के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे । इसके अंतर्गत गांवो और शहरों में कई हॉस्पिटल खुलेंगे जिससे कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इस योजना का लाभ वे व्यक्ति ले संकेंगे जो अपने इलाज का खर्च नहीं वहन कर सकते । 15 अगस्त के बाद कुछ सप्ताह तक इस प्रोजेक्ट पर टेक्नालजी टेस्टिंग की जाएगी और फिर इसे 25 सितंबर को लागु किया जाएगा।
ध्यातव्य हो कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद देश में स्वास्थ्य सुविधाएं आज भी गरीबों के पहुंच से दूर हैं । सामान्य बीमारियों से तो किसी तरह इधर- उधर करके लोग पार पा लेते हैं, लेकिन गम्भीर बीमारियों की परिस्थिति में भगवान भरोसे रहकर प्राण त्याग देना ही गरीबों की नियति बन आई है। गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले परिवारों के लिए लागू स्वास्थ्य बीमा कार्ड से भी लोगों को कोई ख़ास लाभ नहीं मिल पाता। एक तो गम्भीर बीमारियों के लिए वह राशि कम पड़ती है, दुसरे स्वास्थ्य शुल्क व दवाओं के नाम पर अस्पतालों द्वारा आवश्यकता से अधिक वसूल लिए जाने से इसका लाभ अस्पतालों को ही मिल पाता है, वास्तविक गरीब इसका समुचित लाभ नहीं ले पाते। स्वतंत्र भारत में लागू की गई स्वास्थ्य सेवाओं के कारण भारत ने शिशु उत्तरजीविता, मातृत्व मृत्यु दर, प्रतिरक्षण और जनसंख्या स्थिरीकरण जैसे अपने प्रमुख स्वास्थ्य संकेतकों में उल्लेखनीय बेहतरी हासिल की है। इसके बावजूद हम स्वास्थ्य में मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (एमडीजी) के लक्ष्य को अर्जित करने में सक्षम नहीं हो पाए हैं। ये कमियां ग्रामीण भारत में एक निर्बल सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की ऐतिहासिक विरासत की वजह से हैं। देश में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का या तो अस्तित्व नहीं है या फिर उनमें कर्मचारियों और आवश्यक वस्तुओं की भारी किल्लत है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की उपलब्धता से लेकर भौतिक चीजों तक का बड़ा अभाव है। वित्तीय हो या गैर वित्तीय, देश में किसी भी प्रकार के प्रोत्साहन देने की कोई प्रणाली नहीं है जो ऐसे लोगों, जिनसे इस क्षेत्र में ज्यादा प्रयास किए जाने की जरूरत है, को सामाजिक मान्यता दे या आर्थिक लाभ मुहैया कराए। दूसरी बड़ी समस्या ठेके वाले और नियमित कर्मचारियों के बीच कार्य आवंटन और पारिश्रमिक पर समानता का अभाव तथा ठेके वाले कर्मचारियों की जरूरतों को लेकर व्याप्त असंवेदनशीलता है। इससे नौकरी छोड़ने के मामलों में तेजी आती है जिसका परिणाम निम्न गुणवत्ता और कमजोर प्रदर्शन के रूप में सामने आता है। कई राज्यों में डायग्नोस्टिक्स तथा फैसिलिटी प्रबंधन के लिए आउटसोर्सिंग की पहले की गई कोशिशों का परिणाम अपेक्षित नहीं रहा है। यह निर्धारण करना मुश्किल है कि इसकी वजह निम्न कांट्रैक्ट डिजायन रही है या मौजूदा प्रणालियों के साथ उनका तालमेल नहीं बन पाना रहा है या फिर यह समस्या हमारी व्यवस्था में ही अंतर्निहित है। निजी अस्पतालों में दाखिल कई गरीब स्वास्थ्य बीमा योजना यानी आरएसबीवाई के तहत शामिल नहीं होते। आरएसबीवाई द्वारा अस्पतालों को की गई भरपाई पूरी नहीं होती या फिर समय पर नहीं की जाती। दावों को तकनीकी आधार जैसेकि स्मार्ट कार्ड रीडर काम नहीं कर रहा है या फिर सामाजिक पद्धति जैसे कि पांच सदस्यों का परिवार छोटी लड़की या बुजुर्ग का नाम हटा सकता है, जैसे कारणों का हवाला देकर खारिज कर दिया जाता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र कई प्रकार की शाश्वत समस्याओं से जूझता रहा है जिनमें सेवाओं की गुणवत्ता, गैर मौजूदगी, अनिवार्य दवाओं की आपूर्ति में कदाचार और अंतर शामिल हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री के इस अभियान से संपूर्ण भारतवासियों को बहुत उम्मीदे है, इससे निर्धनों को भी अच्छा ईलाज मिल पाएगा और पैसों की कमी की वजह से लोग ईलाज से वंचित नहीं रहेंगे । आयुष्मान भारत योजना में सालाना प्रत्येक परिवार को पांच लाख रुपये का कवर दिया गया है । प्रस्तावित योजना के लक्षित लाभार्थी दस करोड़ से अधिक परिवार होंगे । यह परिवार एसई सीसी डाटा आधार पर आधारित गरीब और कमजोर आबादी के होंगे । इस योजना पर अगले दो साल में 10,500 करोड़ रूपये खर्च अनुमानित है जिसमें 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी खर्च का वहन राज्य सरकार करेगी । बीमा कवर के लिए उम्र की बाध्यता नहीं होगी । इसके लिए देशभर में 1.5 लाख स्वास्थ्य केंद्र खोले जाएंगे । आयुष्मान भारत योजना के तहत सालाना प्रति परिवार पांच लाख रुपये का परिभाषित लाभ कवर होगा । इस कवर में सभी द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रक्रियाएं शामिल हैं । यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई व्यक्ति (महिलाएं, बच्चे तथा वृद्धजन) छूट न जाए, इसलिए योजना में परिवार के आकार और आयु पर किसी तरह की सीमा नहीं होगी । लाभ कवर में अस्पताल में दाखिल होने से पहले और दाखिल होने के बाद के खर्च शामिल किए जाएंगे । बीमा पॉलिसी के पहले दिन से विद्यमान सभी शर्तों को कवर किया जाएगा । लाभार्थी को हर बार अस्पताल में दाखिल होने पर परिवहन भत्ते का भी भुगतान किया जाएगा । उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल पेश किए गए बजट में इस योजना की घोषणा की थी, घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी थी और स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की तारीख की घोषणा लाल किले से की । आयुष्मान भारत योजना को रिपैकेजिंग करके प्रधानमंत्री जन आरोग्य के नाम से योजना शुरू किया जाएगा । फिर भी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में वित पोषण, खरीद, आपूर्ति तथा नियमन में शामिल संस्थानों की सख्त निगरानी और गुणवत्तापूर्ण प्रशासन ही निर्धारित करेगा कि क्या स्वास्थ्य क्षेत्र में अतिरिक्त निवेश स्वास्थ्य परिणामों में उल्लेखनीय बेहतरी ला सकेगा?
अशोक “प्रवृद्ध”
करमटोली , गुमला नगर पञ्चायत ,गुमला
पत्रालय व जिला – गुमला (झारखण्ड)
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