दुमका : पार्टी झंडा के रंग पर मसानजोर डैम का रंग-रोगन और झारखण्ड से उसका विरोध, परिणाम क्या होगा ? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 6 अगस्त 2018

दुमका : पार्टी झंडा के रंग पर मसानजोर डैम का रंग-रोगन और झारखण्ड से उसका विरोध, परिणाम क्या होगा ?

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) झारखण्ड की समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास मंत्री व दुमका की भाजपा विधायक डाॅ0 लुईस मराण्डी ने दिन रविवार को मसानजोर में हुुंकार भरते हुए कहा कि मसानजोर डैम की तरफ आँख उठाकर देखने वालो की आँखें वे निकाल लेंगी। मयूराक्षी नदी पर बने मसानजोर डैम पर डाॅ0 लुईस मराण्डी के इस बयान के बाद सियासी राजनीति काफी तेज हो गई है। आसन्न समय में झारखण्ड-प0 बंगाल के आपसी रिश्तों में क्या कुछ बदलाव आएगा यह तो समय के गर्भ में छिपा है, फिलवक्त कयास लगाया जा रहा है कि माय, माटी, मानुष के नाम पर प0 बंगाल में सत्तासीन ममता बनर्जी की सरकार चूप बैठने वाली नहीं है। दो-दो दीदियों के बीच का आपसी टकराव इस लड़ाई को किस स्तर तक ले जाएगा यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा। डाॅ0 लुईस मराण्डी के इस चुनौती भरी हुंकार का जबाव ममता बनर्जी अवश्य तलाश रही हांेंगी। मालूम हो, भारत व कनाडा के बीच एक एग्रिमेंट के तहत मसानजोर में मयूराक्षी नदी के उपर डैम का निर्माण वर्ष 1954 में हुआ था। इस डैम के निर्माण के बाद 144 मौजा के लोग विस्थापित हो गए थे। विस्थापन के बाद आज तक उन तमाम लोगों को सरकारी स्तर पर मुआवजा नहीं मिल पाया है जिसकी लड़ाई कतिपय क्षेत्रीय स्थानीय नेता लड़ रहे हैं। यह मुद्दा अचानक तब प्रकट हुआ जब त्णमूल काॅंग्रेस के पार्टी फलेग के रंग पर मसानजोर डैम के रंग-रोगन का काम चल रहा था। इस बात की जानकारी के बाद भाजपा के दुमका इकाई के जिलाध्यक्ष निवास मंडल ने अपने समर्थकांें के साथ प. बंगाल के सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता व सहायक अभियंता से मुलाकात कर मसानजोर डैम के रंग-रोगन का काम स्थगित करवा दिया था। जिलाध्यक्ष निवास मंडल का कहना है पार्टी फलेग के रंग पर मसानजोर डैम का रंग-रोगन वर्ष 2019 के लोस चुनाव को ध्यान में रखकर करवाया जा रहा है जिसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जाऐगा। डाॅ0 लुईस मराण्डी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस मैटर पर पीएमओ तक बात पहुँच चुकी है। डाॅ0 मराण्डी ने कहा कि यह कतई बर्दाश्त होगा कि कोई बाहरी अपने स्वार्थ सिद्धी के लिये हमारी जमीन का उपयोग करे। विदित हो हेमन्त सोरेन के मुख्यमंत्रित्व काल में भी झारखण्ड-प0 बंगाल के बीच तानातानी की स्थिति सामने आयी थी जब प0 बंगाल सरकार ने झारखण्ड को आलू सप्लाई न करने की धमकी दी थी। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में हेमन्त सोरेन ने भी प0 बंगाल सरकार को झारखण्ड से श्रमिकांें सहित अन्य उत्पादों को प. बंगाल जाने से रोकने की धमकी दी थी। यह दिगर बात है कि बाद में सबकुछ खुद-व-खुद सामान्य हो गया। मसानजोर डैम का रंग-रोगन पूर्णतः राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। प्रश्न यह उठता है कि मौसमी रोजगार के लिये प्रति वर्ष लाखों की संख्या में प0 बंगाल  जाने वाले उन श्रमिकों का क्या होगा जो अपने परिवार का भरण-पोषण धनकटनी व अन्य कार्यों के माध्यम से करते हैं ? उन दिहाड़ी मजदूरों, छोटे-छोटे व्यवसायियों के परिवार का भरण-पोषण कौन करेगा जिनके मुखिया प. बंगाल में रोटियाँ तलाशने जाते हैं ? भविष्य की परिस्थितियों पर उपरोक्त संभावनाएँ व्यक्त की जा रही हैं झारखण्ड की सरकार को जिनका हल पहले ही ढूँढ़कर रखना होगा। प0 बंगाल की ममता बनर्जी सरकार लगातार ऐसे निर्णय ले रही है जिसका स्थायी समाधान झारखण्ड की सरकार को ढँूढ़ना होगा। कुछ महीनें पूर्व रानेश्वर प्रखण्ड के पाटजोर के कुछ लोगों को वीरभूम जिला की पुलिस ने धमकी दी थी जिसका कड़ा विरोध देखने को मिला था। इसी तरह इलाज के लिये दुमका से प. बंगाल जाने वाले रोगियों की सेवाएँ भी वहाँ रोक दी गई थी। गैर बंगालियों को झारखण्ड से प. बंगाल में प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी गई थी। छोटी-छोटी चीजें कभी-कभी नासूर जख्म बन जाया करती हैं। इन दिनों कुछ ऐसा ही द्श्य सामने आ रहा है जिसपर गंभीरता के साथ विचार करना झारखण्ड सरकार की महत्पवूर्ण पहल होनी चाहिए। प0 बंगाल सरकार के ऐसे कदम का निर्णायक जबाव देने का वक्त भी आ चुका है। डाॅ0 लुईस मराण्डी अपने स्टैंड पर कहाँ तक टिक पाती हैं यह भी देखने का होगा। बहरहाल स्थिति सामान्य है। 

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