- 2017 साल के 1 माह के और 2018 साल के 4 माह के वेतन भुगतान नहीं, इसके चलते वेतनभोगी कर्मियों को चारों ओर आफत ही आफत, वेतन नहीं मिलने के कारण घर उजड़ने के कगार पर
पटना (आर्यावर्त डेस्क) आप नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं.महिलाओं के कहने पर प्रदेश में शराबबंदी कर दिए हैं.जो स्वागत पूर्ण कदम है.इससे कितने परिवार उजड़ने से बच गया. जी, बेशक शराबबंदी करने के पश्चात शराबियों के घर उजड़ने से बच गये.इसका असर बिहार सरकार के वेतनभोगी कर्मियों पर पड़ने लगा. नियमित वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मियों की बीबी खफा हैं. मंहगाई की दौर में परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो चला है.बैंक का लॉन, बिजली, दूध, फीस, मकान किराया, आवाजाही में व्यय, पर्व-त्योहारों आदि में उधारी व्यय करते-करते थक गये हैं.इनके साथ सेवारत महिला कर्मियों ने भी सुर मिलाकर वेतनभोगियों को नियमित वेतन देने का आग्रह सी.एम. से किए हैं. सी.एम.साहब को मालूम हो कि स्वास्थ्य विभाग में नियमित वेतन नहीं मिल रहा है.गत वर्ष दिसम्बर माह का नहीं मिला.इस साल जनवरी, फरवरी, जून और जुलाई का भी वेतन नहीं मिला.यानी 5 माह का वेतन अवरूद्ध है.वेतन नहीं मिलने के कारण सरकारी गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली तरह जीवन बिताने को बाध्य हो रहे हैं.ऐसे लोगों का घर उजड़ने से बचा लें. एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा कहावत चरितार्थ हो रहा है.आवंटन नहीं होने के कारण वेतनादि भुगतान नहीं हो रहा है.पैसा का अभाव झेलने वालों से ही कहा जा रहा है कि नोटरी से प्रमाणित करके लाए कि आवंटन नहीं रहने के कारण वेतन भुगतान नहीं हुआ.दो से तीन सौ रू.खर्च हो रहा है.
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