दुमका (अमरेन्द्र सुमन) महा प्रतापी बाली व अनुज सुग्रीव के बीच एक बड़ी गलतफहमी थी जो शनै:शनै: भयंकर शत्रुता में तब्दील हो गई। गलतफहमी के शिकार अंतत: महा प्रतापी बाली को प्रभु श्री राम के हाथों ही मोक्ष की प्राप्ति हुई। श्री रामकथा समिति (शिव पहाड़) दुमका के तत्वावधान में आयोजित संगीतमय नौ दिवसीय संपूर्ण श्री राम कथा के सातवें दिन किष्किंधा कांड प्रसंग पर व्याख्यान के क्रम में प्रवचन कर्ता राजकुमार हिम्मतसिंहका ने अपनी बातें रखी। किष्किंधा कांड की कथा सुनाते हुए प्रवचन कर्ता श्री हिम्मतसिंहका ने कहा कि वर्तमान समय में तो संपूर्ण विश्व ही गलतफहमी का शिकार है। व्यक्ति विशेष का आपसी मसला हो या फिर परिवार, समाज, ,राज्य या देश का। गलतफहमी के मूल में संवादहीनता व आपसी विश्वास की कमी मुख्य कारण है। कथा के क्रम में प्रवचनकर्ता राजकुमार हिम्मतसिंहका ने कहा कि श्री राम ने अपने श्री मुख से सच्चे मित्रों के लक्षण बताए हैं। आज सच्चे मित्रों का सर्वत्र अभाव नजर आता है। एक भी सच्चा मित्र मिल जाने से जीवन का बोझ आधा कम हो जाता है। बाहर सच्चा मित्र खोजें, उससे पहले सच्चे मित्रों के गुणों को अपने में धारण करें । कथा के क्रम में आगे कहा कि हमारा असली शत्रु तो हमारे भीतर बैठा काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार जो बगैर श्री राम की कृपा के दूर नहीं होता। हम तो इतना ही कह सकते हैं कि ऐसा जीवन हम जियें जिससे श्रीराम की अधिकाधिक कृपा हम पर हो । कल की कथा में सुंदरकांड व लंका कांड पर बातें होंगी। । हारमोनियम पर प्रसिद्ध संगीतकार कुबेर झा व तबला पर नंदन झा कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे हैं । बिजली आपूर्ति विभाग के छोटू जी, कुर्सी टेंट विभाग- के पारस जी व ध्वनि विस्तारक यंत्र को प्रताप जी संभाल रहे हैं।
शनिवार, 25 अगस्त 2018
दुमका : संपूर्ण श्री राम कथा के सातवें दिन किष्किंधा कांड पर व्याख्यान।
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