रक्षा बन्धन के पूर्व मनाया वृक्षाबन्धन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 26 अगस्त 2018

रक्षा बन्धन के पूर्व मनाया वृक्षाबन्धन

  • पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और श्री इंद्रेश कुमार जी ने दिल्ली में मनाया ’’विश्व रक्षाबंधन दिवस’’, रक्षाबन्धन के साथ मनायें वृक्षाबन्धन, रक्षाबन्धन शक्ति को सहेजने का पर्व-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी
  • रक्षाबंधन विश्व शान्ति एवं भाईचारे का पर्व-श्री इंद्रेश कुमारजी
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ऋषिकेश, 25 अगस्त। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, राष्ट्रीय प्रचारक और विचारक श्री इंद्रेश कुमार, नाईजीरिया और सीरिया के राजदूत और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने मिलकर नई दिल्ली में अंतराष्ट्रीय रक्षाबन्धन उत्सवआयोजन समिति द्वारा विश्व रक्षाबन्धन दिवस मनाया गया। विश्व रक्षाबन्धन दिवस मनाने का उद्देश्य कन्या भुणहत्या, दहेज, तलाक, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नस्लवाद, अलगाववाद की हिंसा, नशा, साम्प्रदायिक, जातिवाद, अंध विश्वास, विश्व बन्धुत्व, शान्ति, सुरक्षा एवं मानव और प्रकृति के कल्याण का संदेश प्रसारित करना। आज का पूरा उत्सव मानव जीवन मूल्यों का त्यौहार बना इस अवसर पर भारत, नेपाल और विश्व के लगभग सभी देशों से सांस्कृतिक महोत्सवों पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। मनमोहक कार्यक्रमों के माध्यम से हम सब एक परिवार है का संदेश प्रसारित किया गया। एक छोटी सी बेटी ने देश मेरा रंगीला, जिसमें सब रंग है, सब तरह के पुष्प है तथा हमारा वतन एक गुलदस्ता है और इस गुलदस्ते में सब तरह के पुष्प होते है और अपनी-अपनी खुशबु देते है उसी तरह से हम सभी अपनी खुशबु से अपने वतन को महकाते रहे और उसका सौन्द्रर्य बनाये रखे। इस अवसर पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को मौर रहकर श्रद्धाजंलि दी। रक्षाबन्धन की पूर्व संध्या पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आह्वान किया कि अब रक्षाबन्धन ही नहीं रक्षाबन्धन के साथ वृक्षाबन्धन भी मनायंे, वृक्षाबन्धन भी अपनायें। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, अब समय आ गया है कि हम रक्षाबन्धन के साथ वृक्षाबन्धन का पर्व मनायें क्योंकि वृक्ष होंगे तभी स्वच्छ प्राणवायु आॅक्सीजन प्राप्त हो सकती है। लिंगानुपात पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि बेटियाँ हैं तो पर्व हैं, बेटियाँ हैं तो उत्सव हैं, बेटियाँ ही महोत्सव हैं। बेटियाँ हैं तो ही बहुयें भी हैं नहीं तो बहुयें कहा से लाओगे। बेटियाँ नहीं होगी तो कौन करेगा घरों की रखवाली, कौन बनेगा हमजोली, कौन बनेगा हमसफर और कौन बांधेगा भाईयों की कलाई पर रक्षाबन्धन और कौन बनायेगा यह राखी का पर्व। अगर बहनें, बेटियां और शक्ति नहीं होगी तो कौन बांधेगा भाईयों की कलाई पर यह रक्षाबन्धन, कौन मनायेगा राखी का पर्व। स्वामी जी ने कहा कि रक्षाबन्धन शक्ति को सहेजने का पर्व है तथा भारत की सभी बहनों को आश्वासन देने का पर्व है कि जैसे मेरी बहन वैसे सब की बहन। उन्होने सभी भाईयों को संदेश दिया कि जैसे भाई अपनी बहन पर आंच नहीं आने देते वैसे ही भारत की सभी बहनोें, बेटियों, बहुओं और माताओं पर आंच न आने देने का आश्वासन दे और प्रत्येक बहन की रक्षा का संकल्प लें। स्वामी जी महाराज ने प्रकृति और पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिये पर्व और त्योहारों से जोड़ने का संदेश दिया और कहा कि राखी का धागा रक्षासूत्र है और आज इसकी सबसे अधिक आवश्यकता पौधों को है, नदियों को है तथा पर्यावरण को है। जब ये सब सुरक्षित और प्रदूषण रहित होंगे तभी मानव जीवित रह सकता है अतः वर्तमान और भावी दोनों पीढ़ियों के लिये पौधो का रोपण नितांत आवश्यक है। स्वामी जी महाराज अंतराष्ट्रीय रक्षाबन्धन उत्सव में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित भाई-बहनों एवं विशिष्ट अतिथियों को वृक्षाबन्धन का संकल्प कराया। सभी ने हाथ खडे़ कर संकल्प लिया। इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रचारक और विचारक श्री इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि रक्षाबन्धन पर्व ’’मानव जीवन मूल्यों का त्यौहार है इसके माध्यम से हम विश्व शान्ति एवं भाईचारे का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित कर सकते है। इस अवसर पर डाॅ अमरजीत सिंह, नामधारी दरबार के सचिव, कल्बे मौलाना काकुब मुजतबा जी, लाबा ज्योत्सपल जी और हजारों की संख्या में महिलाओं ने सहभाग किया साथ ही अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

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