दुमका (अमरेन्द्र सुमन) नौ दिवसीय संगीतमय संपूर्ण रामकथा के छठे दिन श्रीराम-लक्ष्मण संवाद (श्री राम गीता के नाम से प्रसिद्ध) व श्रीराम- माता शबरी संवाद (नवधा भक्ति के नाम से प्रसिद्ध प्रसंग) का व्याख्यान दिन बुधवार को शिवपहाड़ में संपन्न हुआ। श्री राम कथा समिति, शिवपहाड़, दुमका के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में प्रवचनकर्ता ने संपूर्ण अरण्यकांड कथा का वाचन किया। अरण्यकांड में मुख्य रूप से भ्राता लक्ष्मण ने श्री राम से ऐसे छह प्रश्न पूछे जो साधकों व भक्तों के मन के सदैव प्रश्न रहे हैं। उन्होंने पूछा कि ज्ञान क्या है ? माया क्या है ? वैराग्य किसे कहते हैं ? वह उच्च कोटि की भक्ति क्या है जिससे आप अर्थात भगवान भक्तों पर विशेष कृपा किया करते हैं ? जीव और ईश्वर किसे कहते हैं, उनमें संबंध और अंतर क्या है ? भ्राता लक्ष्मण के सवालों का उत्तर प्रभु श्री राम ने जो उससे अधिक प्रमाणिक उत्तर और कौन दे सकते था। माता शबरी प्रसंग में प्रवचनकर्ता राज कुमार हिम्मतसिंहका ने सर्वप्रथम माता शबरी के वर्तमान व पूर्व जन्म की कथा का वाचन किया। इस प्रसंग में श्री राम ने माता शबरी को निमित्त बना कर समस्त मानव जाति को जो नवधा भक्ति का ज्ञान दिया उसकी व्याख्या मन, आत्मा को प्रफुल्लित कर देने वाली है। प्रसंग के अंत में श्री राम ने ऐसा कहा कि नौ में से किसी एक भी प्रकार की भक्ति में कोई दृढ़ हो जाए तो वह साधक मुझको अत्यंत प्यारा हो जाता है ।
नव महुँ एकउ जिन्ह कर होई।
नारी-पुरुष सचराचर कोई॥
सोई अतिसय प्रिय भामिनि मोरे ।
सकल प्रकार भगति दृढ़ तोरे।।
श्रद्धा व भक्ति के इस माहौल में शिवपहाड़ मंदिर प्रशाल राममय हो चुका था। संगीत में हारमोनियम पर दुमका के प्रसिद्ध संगीतकार कुबेर झा व तबला पर नंदन झा कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे थे। पिछले छः दिनो से वाचन, श्रवण व संगीत के लय में लोग राम कथा का असीम आनंद ले रहे हैं। कल की कथा में संपूर्ण किष्किंधा कांड व सुंदर कांड के मंगलाचरण पर आधारित होगी।
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