बेगूसराय : शाण्डिल्य गोत्रीय सम्मेलन सह महाभोज। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

बेगूसराय : शाण्डिल्य गोत्रीय सम्मेलन सह महाभोज।

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बेगूसराय (अरुण कुमार) आज स्मृति शेष बोढ़न प्रसाद सिंह जी का त्रयोदशाह कर्म में बेगूसराय जिलास्तरीय महाभोज सह शाण्डिल्य गोत्रीय सम्मेलन का आयोजन नावकोठी निवासी बोढ़न प्रसाद सिंह के पांचों पुत्र ने एकमत से इस आयोजन को कर अपना और अपने पिता का कीर्तिमान स्थापित किया।शाण्डिल्य गोत्रीय यह सम्मेलन सह महाभोज जिला का प्रथम महाभोज हुआ।इस महाभोज में जिला के तकरीबन 106 गांवों को आमन्त्रित किया गया था,जिसमें तकरीबन 16/17 हजार शाण्डिल्य गोत्रीय अपनी सहभागिता निभाये।इसमें ग्रामीणों की भी लगभग गिनती शामिल है।बोढ़न प्रसाद सिंह के पुत्र तथा पौत्र के नाम क्रमशः इस प्रकार हैं:-(1)उपेन्द्र प्रसाद सिंह पौत्र:-मनोज कुमार,मुरारी कुमार।(2)योगेन्द्र प्रसाद सिंह,पौत्र:-संजय कुमार,रंजय कुमार।(3)महेन्द्र प्रसाद सिंह, पौत्र:-रंजीत कुमार,कन्हाई कुमार।(4)चन्द्रभूषण सिंह, पौत्र:-राजेश सिंह,राजीव सिंह।(5)चन्द्रमौली सिंह, पौत्र:-संजीत कुमार सिंह,मंजीत कुमार सिंह और रंजीत कुमार सिंह।आदि से भरा पूरा परिवार देखते हुए अपने शरीर का परित्याग सुख पूर्वक 108 वर्ष की पूर्णायु प्राप्त कर पारलौकिक हुये।अब एक नजर शाण्डिल्य गोत्र पर डालें तो इनकी गाथा अपने आप में एक स्थान बनाये हुए है।जी मैं शाण्डिल्य मुनि की चर्चा करना अति आवश्यक समझते हुए कर रहा हूँ।यूँ टी जितने भी मनुष्य धारा पर जन्म लिये हैं वे किन्हीं न किन्ही ऋषि के संतान हैं जिनके पराक्रम की व्याख्या करुँ तो शायद विषयान्तर हो जाएगा अतः वर्तमान में शाण्डिल्य ऋषि के बारे में इतना बता दूं कि इनकी चर्चा अनेकों जगह शास्त्र सम्मत है।पंचरात्र की परंपरा में शाण्डिल्य आचार्य प्रमाणिक पुरुष माने जाते हैं,इनका शाण्डिल्य संहिता,शाण्डिल्य सूत्र, शांडिलयोपनिषद नामक ग्रन्थ भी प्राचीनतम है। युधिष्ठिर के सभा में भी आचार्य शाण्डिल्य का नाम उल्लेखनीय है।इनके 12 पुत्र थे जो 12 गाँवों में अपना प्रभुत्व रखते थे।शाण्डिल्य गोत्रीय ब्राह्मण एक स्थान पर अधिक संख्या में नही मिल पाते हैं।कारण आचार्य शाण्डिल्य स्वयं और अपने सभी पुत्रों को भी यह शिक्षा प्रदान कर अलग अलग जगहों पर निवास करने को कहा कि अपने बुद्धि विवेक के अनुसार जगह जगह पर शिक्षा का प्रचार प्रसार करो।आचार्य शाण्डिल्य भी शिक्षा के प्रचार प्रसार में ही अपना जीवन व्यतीत किये।इनका मानना था कि शिक्षा के प्रचार प्रसार से ही भाईट का उत्थान संभव है।आचार्य चाणक्य से तो आप सभी परिचित ही हैं ये भी शाण्डिल्य गोत्र से थे,जिन्होंने नन्द वंश का विनाश कर चंदगुप्त को राजा बनाया था।चाणक्य को हम कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जानते हैं इनकी कीर्ति किसी परिचय का मोहताज नहीं है सम्पूर्ण विश्व इन्हें जान रहा है आज।आचार्य शाण्डिल्य शिक्षा के प्रचार प्रसार के मध्य सामवेद का भी प्रचार प्रसार किया जितने भी शाण्डिल्य गोत्रीय हैं वे सभी सामवेदीय हैं और इनका शादी व्याह,श्राद्धकर्म,उपनयन आदि जितने भी कार्य होते हैं वो छान्दोग्य पद्धति से ही होते हैं।सभी गोत्रों के साथ साथ शाण्डिल्य गोत्रीय भी धन्य हैं।शत शत नमन है आचार्य शाण्डिल्य को।

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