प्रकृति से सम्बंध और आत्मज्ञान से रुबरु हुये 21 देशों से आये युवा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 11 अगस्त 2018

प्रकृति से सम्बंध और आत्मज्ञान से रुबरु हुये 21 देशों से आये युवा

  • पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने युवा छात्रों को दिया प्रकृति से जुड़ने का संदेश, नदियां मानव सभ्यता की लाईफ लाईन, आत्मविश्वास के साथ अपने नेचुरल टैलेंट की ओर बढ़े - पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी
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ऋषिकेश, 11 अगस्त। परमार्थ निकेतन में आयोजित जीवन सम्मेलन के दुसरे दिन विश्व के 21 से अधिक देशों से आये युवा प्रतिनिधियों को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सम्बोधित किया। उन्होने युवा शक्ति का महत्व बताते हुये युवाओं को वैश्विक विकास का सुत्रधार बताया। टी गेल्फ, ग्लोबल इण्टरफेथ वाॅश एलायंस और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित जीवन सम्मेलन में आये युवाओं ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में महर्षि आश्रम चैरासी कुटिया का भ्रमण किया। जीवा की अन्र्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने चैरासी कुटिया के दिव्य प्रांगण में सभी को ध्यान की विभिन्न विधाओं की जानकारी दि। सभी ने ओमकार की ध्वनी के साथ इस पवित्र क्षेत्र में ध्यान किया। आज के शौक्षणिक सत्र में युवाओं को टी गेल्फ संस्था के संस्थापक शिव खेमका एवं उर्वशी खेमका, डीआरडीओ के वैज्ञानिक तथा जीवा के विशेषज्ञों ने जल संरक्षण, जैव विविधता, नदियों की संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण आदि की जानकारी प्रदान की।  कम खर्च में वॉटर रिचार्ज करने, नदियों को शुद्ध करने के विभिन्न तरीके तथा चन्दे्रश्वर नाले को स्वच्छ करने हेतु लगाये गये प्रोजेक्ट कि विषय में जानकारी दी। 
      
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि युवा शक्ति अपने नैचुरल टैलंेट को पहचाने और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े। उन्होने कहा कि ईश्वर ने आपको जीवन रूपी सुन्दर कैनवास प्रदान किया है आप उस कैनवास को शान्ति, सेवा, मानवता, संस्कृति और श्रेष्ठ संस्कारों के सुन्दर रंग से रंगे तो जीवन एक खुबसुरत कलाकृति बन जायेंगा। स्वामी जी ने कहा कि पहले खुद को जाने, ध्यान के माध्यम से अपनी एकाग्रता को बढायें, अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखे, अपने आत्मविश्वास के स्तर को ऊंचा रखे और पूरे विश्वास के साथ अपने सपनों की मंजिल को हासिल करने के लिये अग्रसर होते रहे।  स्वामी जी महाराज ने युवाओं से आह्वान किया कि वे प्लास्टिक की वस्तुओं का कम से कम प्रयोग करे अपने देश और आस-पास की नदियों, जलस्रोत्रों को स्वच्छ, निर्मल और अविरल बनाने में योगदान प्रदान करे, पर्व और त्योहारों को वृक्षारोपण अवश्य करे तथा प्रकृति सेवा को अपना प्रथम कर्तव्य समझे।  साध्वी भगवती सरस्वती जी ने युवाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि अपने भविष्य को सुखद और सुरक्षित बनाने के लिये प्रकृति से जुडना सबसे बेहतर माध्यम है। उन्होने कहा कि प्रकृति हमारी सच्ची शुभचितंक है अब हमें भी प्रकृति का शुभचिंतक बनना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने टी गेल्फ संस्था के संस्थापक शिव खेमका एवं उर्वशी खेमका को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया तथा सभी विशिष्ट अतिथियों का रूद्राक्ष की माला पहनाकर अभिनन्दन किया।

विश्व के 21 देशों से आये युवा प्रतिनिधियों ने कहा कि परमार्थ निकेतन मंे हमें ज्ञान, अध्यात्म, योग, ध्यान के साथ पर्यावरण संरक्षण की विज्ञान परक जानकारी प्राप्त हो रही ही। हमें यहां पर स्वामी जी एवं साध्वी जी के सत्संग के माध्यम से भारतीय संस्कृति और दर्शन की जानकारी प्राप्त हो रही है। उन्होने आयोजक शिव खेमका जी ने निवेदन किया की प्रतिवर्ष इस तरह का आयोजन किया जाये जिसमें विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं की भागीदारी हो। यह सम्मेलन वास्तव में प्रेरणा का स्रोत्र है। उन्होने कहा कि सम्मेलन का सबसे विशेष अंग गंगा आरती है जो हमारी अन्र्तआत्मा को छू जाती है वास्तव में आरती के क्षण अद्भुत और अविस्मर्णीय है। स्वामी जी महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती जी, श्री शिव खेमका, उर्वशी खेमका, डीआरडीओ से आये वैज्ञानिक और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने विश्व शान्ति हेतु वाटर ब्लेंसिंग सेरेमनी सम्पन्न की तत्पश्चात सभी ने दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।

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