लद्दाख में विराट हिमालय चिंतन शिखर वार्ता - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 21 अगस्त 2018

लद्दाख में विराट हिमालय चिंतन शिखर वार्ता

अध्यात्म, विज्ञान, पर्यावरण जगत के शिखरस्थ वार्ताकारों, डब्ल्यू डब्ल्यू एफ, सेना के आर्मी जनरल एवं अनेक संस्थाओं ने सहभाग किया, हिमालय, भारत का माथा, मुकुट, ताज, प्रहरी, शिखर और रक्षा कवच, हिमालय बचेगा तो हम बचेंगे, हिमालय बचेगा तो गंगा बचेगी, हिमालय है तो जल, जीवन और कल है-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी, पूज्य स्वामी जी महाराज ने घोषणा की 9 सितम्बर, हिमालय दिवस गंगा के पावन तट परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में मनाया जायेगा
talk-in-laddakh
ऋषिकेश, लद्दाख, 21 अगस्त। लद्दाख में दो दिवसीय विराट हिमालय चिंतन शिखर वार्ता का शुभारम्भ हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता के रूप में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, इमाम उमर अहमद इलियासी जी, श्री भिक्खू संघसेना जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, डाॅ वन्दना शिवा, श्री अनिल जोशी तथा अध्यात्म, विज्ञान, पर्यावरण जगत के शिखरस्थ वार्ताकारों डब्ल्यू डब्ल्यू एफ, सेना के आर्मी जनरल, विभिन्न धर्मो के धर्मगुरू एवं अनेक संस्थाओं ने सहभाग किया। विराट हिमालय चिंतन शिखर वार्ता को सम्बोधित करतेे हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, ’’हिमालय, भारत का माथा, मुकुट, ताज, प्रहरी,  शिखर और रक्षा कवच है। जिस हिमालय ने हमें चिंतन करने के संस्कार, संस्कृति, सभ्यता, विरासत और गौरवशाली इतिहास दिया आज उसके लिये चिंता करने की अवश्यकता है। लद्दाख हो या गंगा का गोमुख के ग्लेश्यिर हो सभी स्थानों पर एक जैसी समस्यायें सामने आयी है। क्लाइमेंट चेज के कारण हमारे ग्लेश्यिर पिघलते जा रहे है, कहीं बाढ़ है तो कहीं सूखा है और कहीं अत्यधिक वर्षा है। उन्होने कहा कि केदारनाथ की त्रासदी हो या केरल की बाढ़ सभी स्थानों पर लोग समस्याओं का सामना कर रहे है परन्तु इस समस्या का समाधान नहीं मिल पा रहा है। अब समय आया है कि हमें मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा क्योंकि ’समस्या हम है तो समाधान भी हम है’। उन्होने कहा कि हिमालय, नदियों एवं पर्यावरण संरक्षण कि दिशा में अनेक संस्थायें अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रही है परन्तु अब सभी को मिलकर एक मंच से कार्य करना होगा। दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान न हो उन्होने सभी से आह्वान किया कि आईये मिलकर अपने विराट हिमालय को संरक्षित करे। हिमालय ने हमें 30 हजार करोड़ की वार्षिक मिट्टी, जल, शुद्ध प्राणवायु और जड़ी-बूटियाँ और उससे भी अधिक हिमालय ने हमेशा शत्रुओं से हमारी रक्षा की है। आज भी हिमालय भारत की ढाल बनकर खड़ा है। जीवन, जागृति और जीवटता प्रदान करने वाला हमारा हिमालय उपेक्षित न रहे अतः विशेष तौर पर हिमालय की छत्रछाया में भरण-पोषण करने वाले राज्य मिलकर हिमालय रूपी विराट अस्तित्व को संरक्षित और सुरक्षित रखे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं डाॅ अनिल जोशी जी ने सुझाव दिया कि 9 सितम्बर, हिमालय दिवस को पूरे देश में मनाया जाये तथा इसे अन्तर्राष्ट्रीय दिवस घोषित करने हेतु यूएनओ द्वारा स्वीकृति के लिये भी प्रयत्न किया जाये। स्वामी जी के इस सुझाव को हिमालय चिंतन शिखर वार्ता में उपस्थित सभी ने स्वीकृति प्रदान की। स्वामी जी महाराज ने कहा कि ’’दुर्लभं भारते जन्म, हिमालये तत्र दुर्लभं’’ भारत में जन्म लेना बहुत ही सौभाग्य की बात है लेकिन उससे भी दुर्लभ है हिमालय, में जन्म लेना परन्तु यह हमारा सौभाग्य है कि हमें यह अवसर प्राप्त हुआ। उन्होने कहा हिमालय हमारा प्रहरी है अब हमें हिमालय का प्रहरी बनना होगा क्योंकि हिमालय बचेगा तो हम बचेंगे, हिमालय बचेगा तो गंगा बचेगी, हिमालय है तो जल, जीवन और कल है। स्वामी जी ने कहा कि केरल में जड़ी-बूटी और मसालों के कारण विश्व स्तरीय पर्यटन आकार ले रहा है और हमारे यहां पलायन आकार ले रहा है अतःक्यों न हम अपने यहां पर भी हिमालय की जड़ी-बूटियों का सही उपयोग करे ताकि पलायन भी रूकेगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि मैं जब भारत आयी तो मेरा सबसे पहला आकर्षण हिमालय  और गंगा थी, उस आकर्षण में मुझे सदा के लिये यहां बांध लिया। उन्होने कहा कि ऐसे अनेक लोग है जिन्हें सदियों से हिमालय अपनी ओर आकर्षित कर रहा है अतः हमें कुछ भी करना पडे़ पर हिमालय रूपी इस पवित्र धरोहर को बचाना होगा। साध्वी जी ने कहा कि हिमालय केवल एक धरती का टुकड़ा नही बल्कि हमें धैर्य का पाठ पढ़ाने वाला, धैर्य की संस्कृति देने वाला, धैर्य प्रदान करने वाला और सबसे बड़़ी बात है जीवन में शान्ति प्रदान करने वाला है। उन्होने कहा कि मैने दुनिया के अनेक देशों में भ्रमण किया परन्तु मुझे जितनी खुशी हिमालय से प्राप्त हुई उतनी खुशी कहीं नहीं मिली। हिमालय केवल एक पर्यटन स्थल नहीं है बल्कि जीवन में आनन्द को प्राप्त करने का उत्तम स्रोत है।

  हिमालय चिंतन शिखर वार्ता में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने वहां उपस्थित सभी लोगों को संकल्प कराया कि हम हिमालय के लिये सब मिलकर कार्य करेंगे, सभी ने खडे़ होकर दोनों हाथों को उठाकर संकल्प किया। उन्होने कहा कि ’’संघे शक्ति कलियुुगे’’ सभी मिलकर कार्य करे और अपने उन वैदिक मंत्रों को साकार करे ’संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। स्वामी जी महाराज ने घोषणा की कि 9 सितम्बर हिमालय दिवस को गंगा के पावन तट पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में मनाया जायेगा। जिसमें हेस्को, जीवा, गंगा एक्शन परिवार, परमार्थ निकेतन और अन्य संस्थायें मिलकर आयोजित करेगे। हिमालय चिंतन शिखर वार्ता के समापन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और मुख्य इमाम डाॅ इमाम उमर अहमद इलियासी जी ने मिलकर राष्ट्रगान गाया और इस मंच से शान्ति, एकता और भाईचारा का संदेश दिया। उन्होने कहा कि अगर हम मिलकर रहेगे तो दुनिया की कोई भी बुरी ताकत इस देश पर नहीं पड़ सकती है। स्वामी जी ने कहा कि यह देश बुरी नजरों के लिये नहीं बना है बल्कि नज़ीर बनने के लिये बना है और नज़ीर को बनाये रखने के लिये हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा मिलकर राष्ट्रगान गाना होगा तथा मिलकर राष्ट्र की एकता के लिये कार्य करना होगा जम्मू कश्मीर की धरती पर यह एक अद्भुत नजारा था जब विभिन्न धर्मों के धर्माचार्यों एवं अनुयायियों ने मिलकर राष्ट्रगान गाया तो वहां का माहौल ही बदल गया। स्वामी जी महाराज ने कहा कि दिलों में शान्ति, बन्दूक की नोंक पर नहीं मिलती बल्कि शान्ति तो भारतीयता में, राष्ट्रगान में और राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में समाहित है। हथियार, दहशत तो पैदा कर सकते है परन्तु प्यार से उठा हाथ, शान्ति और अपनत्व का संदेश देता है आईये इसी संदेश के साथ आगे बढे़। हिमालय चिंतन शिखर वार्ता में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, इमाम उमर अहमद इलियासी जी, श्री भिक्खू संघसेना जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी,  हिमालय की बेटी डाॅ वन्दना शिवा, हेस्को के प्रमुख, श्री अनिल जोशी, काॅप्र्स कमांडर, 14 कोर जनरल एस के उपाध्याय, मेजर जनरल यश मोर, जनरल आॅफिसर कमांडिंग, लेह सब ऐरिया, कर्नल एस के शर्मा, कमांडर, लद्दाख सकाउट्स रेजिमेंटल सेंटर, लेह, ब्रिगेड सोढ़ी, स्टेशन कमांडर लेह एवं सेना के अन्य अधिकारी, पर्यावरणविद् एवं विभिन्न धर्मों के अनेक अतिथियों ने सहभाग किया।

कोई टिप्पणी नहीं: