भूमिगत जल ‘फिक्स्ड डिपाजिट’ की तरह : संसदीय समिति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 13 अगस्त 2018

भूमिगत जल ‘फिक्स्ड डिपाजिट’ की तरह : संसदीय समिति

असाधारण परिस्थिति में सीमित उपयोग की हो इजाजत
under-ground-water-fixed-deposit-used-in-special-case
नयी दिल्ली, 12 अगस्त, संसद की एक समिति ने भूमिगत जल को बैंकों में जमा की जाने वाली ‘‘सावधि जमा’’ की तरह बताया है। उसने कहा है कि इस जल के इस्तेमाल की अनुमति केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जानी चाहिये, वह भी केवल सीमित मात्रा में। समिति ने यह सुझाव पेयजल की बढ़ती मांग तथा भूमिगत जल के बिगड़ते स्तर को ध्यान में रखते हुए दिया है। उसने कहा कि सरकार को सार्वजनिक -निजी भागीदारी मॉडल पर आधारित जल पैकेजिंग उद्योग को प्रोत्साहित करना चाहिए। जल संसाधन पर गठित संसद की स्थायी समिति ने ‘उद्योगों द्वारा पानी के व्यावसायिक दोहन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव’ पर एक हालिया रिपोर्ट में कहा कि जल पैकेजिंग इकाइयों की स्थापना सरकार की पहल थी ताकि लोगों को पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। समिति का मानना है कि उपभोग के लिए पानी की मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को पाटना सरकार की सबसे  बड़ी सामाजिक जिम्मेदारी है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति सुझाव देती है कि साफ एवं सुरक्षित पानी की उपलब्धता में सरकार को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। भूमिगत जल हमारे लिए निश्चित जमापूंजी की तरह है और यह भविष्य में पानी की मांग की पूर्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।’’  समिति पूरी मजबूती के साथ यह सिफारिश करती है कि सरकार को भूमिगत जल का इस्तेमाल करने की अनुमति केवल असाधरण परिस्थितियों में देनी चाहिये। 

कोई टिप्पणी नहीं: