दिल्ली के मुखर्जी नगर में पुलिसिया जुल्म के खिलाफ छात्रों-साहित्यकारों ने निकाली अपनी भड़ास
गलत तरीके से बढ़ाये जा रहे मकान किराये के विरूद्ध छात्रों में फैले असंतोष से आक्रोशित स्थानीय ब्रोकरों ने छात्रों की जबरन पिटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। घटना दिन शुक्रवार (10 अगस्त 2018) के शाम की हैै। दिल्ली के मुखर्जी नगर में कम्पीटीशन की तैयारी कर रहे देश के अलग-अलग प्रांतों के छात्रों ने मकान भाड़े में अचानक बढ़ोतरी से आजीज हो ब्रोकरों के खिलाफ शांतिपूर्वक कारवाई की आवाज बुलंद की तो पहले ब्रोकरों ने छात्रों की जमकर पिटाई कर दी। भारी संख्या में पुलिस को घटनास्थल पर देख छात्रों को लगा कि मामला सुलझने ही वाला है कि तभी अचानक पुलिसकर्मियों ने ब्व्रोकरों को ब्लाइंड सपोर्ट करते हुए उल्टे छात्रों पर ही ताबड़तोड़ लाठी बरसानी कर कर दी। एकपक्षीय पुलिसिया दमन से कई छात्रों के सर पर गंभीर चोटें आईं। ब्रोरोकरों की दलाली करने वाले पुलिस की इस कार्रवाई से कई छात्र गंभीर रूप से घायल भी हो गए। मालूम हो कि यूपी, बिहार, झारखंड सहित अन्य उत्तर भारतीय प्रदेशों के सैकड़ों छात्र दिल्ली के मुखर्जी नगर में सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए इस इलााके में कोचिंग करते हैं । मजबूरन छात्रों को इसी इलाके में भारी किराया देकर रहना पड़ता है, ताकि समय पर कोचिंग क्लास कर सकें। अवैध मकान किराया की वसूली व निम्नस्तरीय सुविधा के विरूद्ध छात्रों ने कई बार स्थानीय प्रसाशन से मकान मालिकों के विरूद्ध कार्रवाई की गुहार लगाई किन्तु हर बार स्थिति ढाक के तीन पात वाली ही रही। साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त युवा साहित्यकर व छात्र नेेता नीलोत्पल मृणाल को पहले बुरी तरह पीटा गया। बाद में पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर थाने ले गई। थाने में उन्हें घण्टों बैैठाया गया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली पुलिस ब्रोकरों के साथ दिल्ली पुलिस की मिलीभगत ही थी जो ब्रोकरों के विरूद्ध किसी भी तरह की कार्रवाई से खुद को अलग रखना चाहती थी। छात्रों का आरोप है कि ब्रोकरों द्वारा अनाप-शनाप मकान किराया फिक्शेशन में पुलिस को भी हिस्सा प्राप्त होता है, परिणामस्वरूप पुलिस छात्रों के ज़ायज़ मांग को भी डंडे के जोर से दबाना चाहती थी। युवा साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल छात्र आंदोलन के नियमित हिस्सा रहे हैं। हमेशा ही मज़बूती के साथ छात्रों के हितों के लिए आवाज़ उठाई है। दिन शनिवार को जब सोशल मीडिया के माध्यम से खबरें देश भर में फैलने लगी तो पुलिसिया लाठी चार्ज की भर्त्सना जबर्दस्त होनेे लगी। दुमका के साहित्यकारों व छात्रों नेे इस घटना को काफी गंभीरता के साथ लिया। सतीश स्मृति मंच ने घटनाा की तीखी आलोचना की। मंच के सदस्य वि द्यापति झा ने कड़ी निंदा करते हुए कहा कि नीलोत्पल मृणाल के जज्बे को सलाम। अधिवक्ता, साहित्यकार व पत्रकार अमरेंद्र सुमन ने कहा कि पुलिसिया जुल्म के विरोध में संघर्ष का नारा बुलंद किया जाता रहेगा। उन्होंने कहा दिल्ली की केजरीवाल सरकार व एलजी को पूरे मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेन्सी से कराना चाहिए ताकि पढ़ने वाले छात्रों को न्याय मिल सके। सेवानिवृत्त पदाधिकारी व साहित्यकार अरुण सिन्हा ने पुलिसिया बर्बरता को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। केंद्रीय गृह मंत्री को एक सामूहिक ज्ञापन सौपकर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। राष्ट्रीय कवि संगम के पदधारक रोहित अम्बष्ट व पीयूष राज ने पुलिसिया जूल्म के खिलाफ छात्रों को संगठित होकर विरोध की बात कही। सामाजिक कार्यकर्ता व कव अंजनी शरण, युवा कवि अंकित राजहंस, कश्यप नंदन ने देश भर में बढ़ रहे छात्रों के शोषण पर चिंता जाहिर की। सामजिक कार्यकर्ता सौरभ तिवारी ने "छात्र शक्ति राष्ट्र शक्ति" की बात कही । युवा कवि सौरभ सिन्हा ने कहा कि छात्रों पर हो रहे इस तरह के जुल्म को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और मनमाने तरीके से रूम भाड़े में बढ़ोतरी की कड़ी निन्दा की।
--अमरेन्द्र सुमन--
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