बिहार : 27 सितंबर की रैली फासीवादी और भ्रष्टाचारी भाजपा के खिलाफ चल रहे आंदोलनों को देगा मजबूती. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 23 सितंबर 2018

बिहार : 27 सितंबर की रैली फासीवादी और भ्रष्टाचारी भाजपा के खिलाफ चल रहे आंदोलनों को देगा मजबूती.

  • रैली राष्ट्रीय महत्व की होगी साबित, तैयारी अपने अंतिम चरण में.
  • वाम दलों व राजद को रैली में शामिल होने का आमंत्रण.
  • 26 सितंबर से ही पटना पहुंचने लगेगी रैली में शामिल होने के लिए जनता के जत्थे.
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पटना (आर्यावर्त डेस्क) 23 सितंबर 2018, 27 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘‘भाजपा भगाओ, लोकतंत्र बचाओ’’ रैली राष्ट्रीय महत्व की साबित होगी. आज पूरा देश फासीवादी भाजपा के शासन के चंगुल में कराह रहा है, लोकतंत्र खतरे में है, विरोध के हर स्वर को कुचला जा रहा है और राफेल जैसे घोटाले उजागर हो रहे हैं. ऐसी ही राजनीतिक परिस्थिति में हमारी यह रैली हो रही है. रैली भाजपा के खिलाफ चल रहे देशव्यापी आंदोलनों व प्रतिरोध के स्वरों को और मजबूती देगा. जनसंघर्षों के बलबूते ही भाजपा जैसी काली ताकतों को पीछे धकेला जा सकता है. रैली में जनसंघर्षों के विभिन्न स्वरों की एकता दिखेगी. उक्त बातें आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कही. उनके अलावा संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. अमर, वरिष्ठ माले नेता केडी यादव और केंद्रीय कमिटी के सदस्य संतोष सहर उपस्थित थे. आज राफेल मामले में मोदी सरकार का असली चरित्र पूरी तरह बेनकाब हो गया है. फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के खुलासे के बाद कोई संदेह नहीं रह गया है कि इस मामले में भारी भ्रष्टाचार हुआ है. देश की जनता ऐसे भ्रष्टाचार और अपने साथ किए गए धोखे को कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. राफेल मामले में आज पूरा देश मोदी सरकार से इस्तीफा मांग रहा है. एक तरफ कारपोरेट घराने की चाकरी और दूसरी ओर विरोध की आवाज को दबाना, यही मोदी सरकार की चारित्रिक विशिष्टता बन गई है. देश मोदी आपातकाल के दौर से गुजर रहा है. भाजपा व संघ परिवार द्वारा प्रत्येक दिन किसी न किसी रूप में आरक्षण खत्म करने की बातें की जा रही हैं. महंगाई चरम पर है, पेट्रोल व डीजल का मूल्य सौ रुपया के करीब पहंुचने वाला है. रुपये का भारी अवमूल्यन हुआ है. इस तरह यह सरकार अंबानी-अडाणी की सरकार साबित हुई है. संविधान तक बदलने की न सिर्फ घोषणा की जा रही है, बल्कि अब तो उसे सरेआम संसद के सामने जलाया भी जा रहा है. देश के संघीय ढांचे को कमजोर किया जा रहा है. दलितों-अल्पसंख्यकों व महिलाओं के अलावा अब सामाजिक - मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, कवियों-वकीलों-बुद्धिजीवियों को भी प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्हें जेल में ठूंसा जा रहा है. यह सब आपातकाल के कुख्यात दिनों की याद ताजा कर दे रहा है.  जहां तक बिहार का सवाल है हमने मुजफ्फरपुर सहित अन्य बालिका गृह कांड की बर्बरता देखी है. सत्ता के संरक्षण में बच्चियों का संस्थागत यौन उत्पीड़न कू्ररतम है. आज राज्य में अपराध बेलगाम है. हिंसा, घृणा, उन्माद को मिल रहे सरकारी संरक्षण के कारण माॅब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ गई हैं. भूमि आयोग की सिफारिशों को रद्दी की टोकरी में फेंकने के बाद अब गांव - शहर सभी जगह गरीबों को उजाड़ने का अभियान चलाया जा रहा है. कोर्ट के आदेश की आड़ में दशकों से काबिज खेती की जमीन से भी गरीबों - बटाईदारों को बेदखल किया जा रहा है. मनरेगा सहित जन वितरण प्रणाली को भी खत्म करने की साजिश शुरू हो गई है. मकई आदि फसलों की खरीद और न्यूनतम समर्थन मूल्य की तो बात ही छोड़िए, अब तो बिहार सरकार ने किसानों से धन-गेहूं भी खरीदना करीब-करीब बन्द ही कर दिया है. जुल्मी व्यापारियों को किसानों को लूटने की पूरी छूट दे दी गई है. न तो बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा और न ही मक्का में दाना नहीं आने से बदहाल किसानों को. अब बिहार में भी किसान आत्महत्या करने लगे हैं. ये सब हमारी रैली के मुख्य मुद्दे हैं.रैली की तैयारी अब अपने अंतिम चरण में है. वाम दलों व राजद को हमने रैली में शामिल होने का आमंत्रण दिया है और भाजपा के खिलाफ चल रहे अभियान को मजबूत बनाने का आह्वान किया है. रैली तैयारी के सिलसिले में पूरे बिहार में जीप प्रचार निकला हुआ है. लोग ग्रामीण बैठकें आयोजित कर आम लोगों को पटना चलने के लिए गोलबंद कर रहे हैं. पटना ग्रामीण के विभिन्न इलाकों में प्रचार वाहन निकला हुआ है. हिरावल की टीम इस प्रचार वाहन के जरिए जगह-जगह नुक्कड़ सभाओं का आयोजन कर रही है, रैली के राजनीतिक संदेश को गांव-गावं पहुंचा रही है और रैली को ऐतिहासिक बनाने का आह्वान किया गया है. जगह-जगह लोग मोटर साइकल जुलूस अथवा साइकल जुलूस निकालकर भी रैली के प्रचार में लगे हुए हैं. पटना शहर कंकड़बाग, इंद्रा नगर, चांगर, आरएमएस काॅलनी, स्लम काॅलनी, सम्राट काॅलनी, डिफंेस काॅलनी, पीसी काॅलनी, अशोक नगर आदि इलाकों में मार्च निकाला गया. मुहल्ला स्तर पर बैठकें आयोजित की जा रही हैं और लोगों को रैली में चलने का आमंत्रण दिया जा रहा है. भाकपा-माले बिहार की जनता व न्यायप्रिय नागरिकों से 27 सितंबर को गांधी मैदान पहुंचने की अपील करती है.

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